अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने ‘वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक, 2024’ जारी किया।
वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) के बारे में
- अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ द्वारा वर्ष 2015 में प्रारंभ किए गए इस सूचकांक का उद्देश्य साइबर सुरक्षा के संदर्भ में देशों को सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करना तथा देशों को क्षमता एवं योग्यता निर्माण हेतु कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
- यह सूचकांक वैश्विक स्तर पर साइबर सुरक्षा के महत्व और इसके विभिन्न आयामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न देशों की प्रतिबद्धता का मापन करता है।
- मूल्यांकन के पाँच स्तंभ : साइबर सुरक्षा के संदर्भ में इस सूचकांक का मूल्यांकन निम्न पांच स्तंभों के आधार पर किया जाता है :
- कानूनी उपाय
- तकनीकी उपाय
- संगठनात्मक उपाय
- क्षमता विकास
- सहयोग
वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष
- इस सूचकांक में देशों को टियर-आधारित एक प्रणाली के आधार पर उनके प्रदर्शन को मापा गया है। इसमें 193 देशों को शामिल किया गया है।
- इस सूचकांक में 46 देशों को उच्चतम स्तर टियर-1 में रखा गया है और ‘रोल मॉडल’ देश हैं। ये देश सभी पाँच साइबर सुरक्षा स्तंभों में एक मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हैं। अधिकांश देशों (105) को टियर-3 एवं टियर-4 में रखा गया है और ये देश डिजिटल सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं।
- अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम एवं सिंगापुर जैसे देशों के साथ भारत शीर्ष टियर-1 में शामिल हो गया है, जिससे उसने वैश्विक साइबर सुरक्षा प्रयासों में स्वयं को एक आदर्श मॉडल के रूप में स्थापित किया है।
- 98.49 स्कोर के साथ भारत कानूनी उपायों, तकनीकी तत्परता, संगठनात्मक रणनीति, क्षमता विकास और सहयोग जैसे विभिन्न स्तंभों में साइबर सुरक्षा के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रमुख चिंताएं
- रैनसमवेयर अटैक में वृद्धि होना
- डाटा उल्लंघन में वृद्धि
- डीपफेक, कंटेंट मॉडरेशन जैसे एआई-चालित खतरे
- सीमा पार साइबर अपराध के कारण ट्रैकिंग एवं प्रतिक्रिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता