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वैश्विक रोजगार एवं सामाजिक परिदृश्य रिपोर्ट

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ 

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने वैश्विक रोजगार एवं सामाजिक परिदृश्य रिपोर्ट, 2025 (World Employment and Social Outlook) जारी की है। 

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष  

श्रम बल भागीदारी में गिरावट

  • निम्न आय वाले देशों में श्रम बल भागीदारी में गिरावट आई है। इसके विपरीत उच्च आय वाले देशों में इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। 
    • हालाँकि, दक्षिणी एशिया में श्रम बल भागीदारी दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिसका विशेष कारण भारत में महिला भागीदारी में वृद्धि है। 
  • कार्यबल में महिलाओं की संख्या कम होने से लैंगिक अंतराल संबंधी चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है जिसके कारण जीवन स्तर में प्रगति सीमित हो रही है।

वैश्विक आर्थिक विकास 

  • वर्ष 2024 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि 3.2% रही है जो वर्ष 2023 एवं 2022 में क्रमशः 3.3 व 3.6% से कम है। वर्ष 2025 के लिए भी इसी तरह की वृद्धि दर का अनुमान है, हालाँकि, मध्यम अवधि में धीरे-धीरे मंदी का अनुमान है।
  • भारत की विकास दर दुनिया में सबसे तेज़ है जोकि दक्षिण एशिया में जी.डी.पी. के बेहतर प्रदर्शन को रेखांकित करती है। भारत के लिए विकास दर वर्ष 2025 में 6.4% रहने का अनुमान है।

रिकवरी संबंधी चुनौतियाँ

भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु परिवर्तन की बढ़ती लागत व अनसुलझे ऋण जैसे मुद्दे रिकवरी के समक्ष चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं और श्रम बाजारों पर दबाव का कारण हैं। 

वैश्विक नौकरियों का अंतर

  • वर्ष 2024 में उन लोगों की अनुमानित संख्या 402 मिलियन पहुँच गई है जो काम तो करना चाहते हैं किंतु उनके पास नौकरी नहीं है। 
    • इसमें बेरोज़गार, अस्थायी रूप से अनुपलब्ध और हतोत्साहित कर्मचारी शामिल हैं, जिन्होंने नौकरी की तलाश बंद कर दिया है। 
  • हालाँकि, वैश्विक नौकरियों का यह अंतर महामारी के बाद से कम हो गया है किंतु अगले दो वर्षों में इसके स्थिर होने की संभावना है।

बेरोज़गारी दर एवं मुद्रास्फीति  

  • वर्ष 2024 में वैश्विक बेरोज़गारी दर 5% पर स्थिर रही है जिसमें युवा बेरोज़गारी दर 12.6% है जोकि चिंताजनक स्थिति है। 
  • मुद्रास्फीति की दर में कमी आई है किंतु कोविड-19 के बाद अर्थव्यवस्था अभी तक महामारी से संबंधित आय में हुई हानि से पूर्णतया उबर नहीं पाई है। इसका एक कारण रोजगार में वृद्धि का कमजोर होना भी है।

हरित एवं डिजिटल क्षेत्रों में रोजगार के अवसर

  • हरित ऊर्जा एवं डिजिटल प्रौद्योगिकियों में रोजगार वृद्धि की संभावनाओं की पहचान की गई है।
  • सौर एवं हाइड्रोजन ऊर्जा में निवेश के कारण दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा से संबंधित नौकरियाँ बढ़कर 16.2 मिलियन हो गई हैं। हालाँकि, नौकरियों का यह वितरण अलग-अलग देशों में असमान है जिनमें से लगभग आधी पूर्वी एशिया में ही संकेंद्रित हैं।
  • बहुत से निम्न आय वाले देशों में डिजिटल प्रौद्योगिकियों से पूर्ण लाभ उठाने के लिए बुनियादी ढांचे एवं महत्वपूर्ण कौशल का अभाव है।

प्रमुख सिफारिशें

ILO के अनुसार, सामाजिक न्याय एवं सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए बेहतर कार्य व उत्पादक रोजगार की आवश्यकता है। इसके अलावा रिपोर्ट की अन्य सिफारिशें निम्नलिखित हैं- 

  • कौशल प्रशिक्षण में निवेश करके उत्पादकता बढ़ाना
  • सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना 
  • निम्न आय वाले देशों में स्थानीय विकास के लिए निजी निधियों के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित करना 
  • असमानता को कम करने के लिए सुरक्षित कार्य स्थितियों तक बेहतर पहुँच प्रदान करना 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)

  • परिचय : संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी 
  • गठन : 11 अप्रैल, 1919
  • मुख्यालय : जिनेवा, स्विटजरलैंड
  • सदस्य संख्या : 187 
  • नोबेल शांति पुरस्कार : वर्ष 1969
  • उद्देश्य : अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को निर्धारित करके सामाजिक एवं आर्थिक न्याय को आगे बढ़ाना 
  • मिशन : 
    • कार्यस्थल पर मानकों एवं मौलिक सिद्धांतों व अधिकारों को निर्धारित करता और बढ़ावा देना 
    • महिलाओं व पुरुषों के लिए रोजगार एवं आय के अधिकतम तथा अच्छे अवसर सृजित करना
    • सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा की कवरेज और प्रभावशीलता को बढ़ाना
    • त्रिपक्षीयता (सरकारें, नियोक्ता व श्रमिक) और सामाजिक संवाद को मजबूत करना
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