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वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन,2020

(प्रारम्भिक परीक्षा: पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन सम्बंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सयुंक्त राष्ट्र (United Nations) के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agricultural Organization- FAO) द्वारा वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन 2020 (Global Forest Resources Assessment- FRA 2020) रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1990 से 2020 की अवधि में निर्वनीकरण की दर में गिरावट के साथ ही विश्व के वन क्षेत्र में भी गिरावट आई है।

FAOरिपोर्ट के महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • वन संसाधन मूल्यांकन,2020 विगत तीस वर्षों की अवधि में 236 देशों और 60 से अधिक वन सम्बंधी भू-भाग के मूल्यांकन कारकों पर आधारित है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1990 के बाद से 178 मिलियन हेक्टेयर वन नष्ट हो चुके हैं लेकिन सतत वन प्रबंधन (Sustainable Forest Management- SFM) जैसे कदमों से वनोन्मूलन की दर में गिरावट दर्ज की गई है।
  • 1990 के दशक में निवल वन हानि की दर (Net Forest Loss Rate) 7.8 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष से घटकर वर्ष 2000 से 2010 के बीच 5.2 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष और 2010 से 2020 के बीच 4.7 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष हो गई है।
  • वर्ष 2015 से 2020 के बीच वन हानि की दर 12 मिलियन हेक्टेयर से घटकर 10 मिलियन हेक्टेयर हो गई है।

वैश्विक स्थिति

  • वैश्विक स्तर पर 2010 से 2020 की अवधि के मध्य वनोन्मूलन की सर्वाधिक वार्षिक दर अफ्रीका में थी, जोकि 3.9 मिलियन प्रति हेक्टेयर थी। 2.6 मिलियन हेक्टेयर की वनोन्मूलन की दर के साथ दक्षिण अमेरिका दूसरे स्थान पर था।
  • वहीं दूसरी तरफ महाद्वीपों में वनीकरण की दर में सबसे अधिक प्रगति क्रमशः एशिया एवं यूरोप में रही। हालाँकि इनमें शुद्ध लाभ की दर में कमी देखी गई।

वन क्षेत्र

  • इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पृथ्वी के भू-भाग का 31 प्रतिशत (4.06 बिलियन हेक्टेयर) वन क्षेत्र है, जोकि प्रति व्यक्ति 0.52 हेक्टेयर के समान है।
  • दुनिया के 50 % से अधिक वन केवल पाँच देशों रूस, ब्राज़ील, कनाडा, सयुंक्त राज्य अमेरिका तथा चीन में हैं।
  • वैश्विक स्तर पर वनों का सबसे अधिक हिस्सा उष्णकटिबंधीय जंगलों (Tropical Forest) का है, जोकि 45 % है। इसके बाद शीतोष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र आते हैं।
  • वैश्विक वनों के कुल क्षेत्रफल में लगभग 3 प्रतिशत (131 मिलियन हेक्टेयर) की हिस्सेदारी वृक्षारोपण की है। 1990 के पश्चात विश्व में प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित वन क्षेत्रों में कमी आई है, किंतु रोपित वनों (Planted forest) के क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
  • विश्व में संरक्षित वन क्षेत्र लगभग 726 मिलियन हेक्टेयर है इसका सर्वाधिक हिस्सा दक्षिण अमेरिका (31 %) में है।

वनोन्मूलन का कारण

  • कृषि क्षेत्र में वृद्धि हेतु बड़े पैमाने पर वृक्षों एवं वनों की कटाई की जा रही है।
  • खनन गतिविधियों एवं शहरी विस्तार की नीतियों के कारण भी वनों को काटा जा रहा है।
  • वृक्षों की लकड़ी का कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है इसलिये भी वनों की कटाई हो रही है।

वनोन्मूलन (Deforestation)

  • वनोन्मूलन का अर्थ वृक्षों की कटाई या उन्हें जलाकर अथवा अन्य तरीके से समाप्त या नष्ट करने से है, जिसके कारण वनों का विनाश हो जाता है। लोग अपने स्वार्थ के लिये वृक्षों और जंगलों को काटकर जंगल की भूमि को कृषि अथवा अन्य उपयोग के लिये या लकड़ी को बेचकर पर्यावरण को अत्यधिक हानि पहुंचा रहे हैं।
  • जंगलों में आग लगने (आकाशीय बिजली या मानवीय गतिविधियों के कारण), बाढ़ आने, ज्वालामुखी के फटने एवं अन्य प्राकृतिक कारणों से भी वन क्षेत्र में कमी आ रही है।
  • पशुओं के अत्यधिक चारण से बड़े पौधों के साथ-साथ छोटे पौधे भी नष्ट हो जाते हैं तथा मृदा अपरदन भी होता है।

सयुंक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (F.A.O.)

  • खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना सयुंक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत अक्टूबर 1945 में की गई थी। इसका मुखालय रोम (इटली) में स्थित है।
  • यह संगठन सरकारों एवं विभिन्न विकास संस्थाओं को कृषि, वानिकी, मत्स्यपालन, भूमि और जल संसाधनों से सम्बंधित गतिविधियों के संचालन में सहायता प्रदान करने के साथ-साथ विभिन्न परियोजनाओं के लिये तकनीकी सहायता एवं शोध कार्य करता है।
  • इस संस्था का लक्ष्य वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा के लिये कार्य करने के साथ पोषण के स्तर में वृद्धि करना है। वर्तमान में FAO के 197 सदस्य हैं जिनमें 194 देश, एक संगठन एवं दो संलग्न सदस्य (Associate Member) हैं।

आगे की राह

  • पृथ्वी पर वनोन्मूलन के प्राकृतिक कारणों की तुलना में मानवजनित कारण अधिक हैं। इसे रोकने के लिये कठोर कानूनों का प्रावधान, अवैध वृक्षों एवं वनों की कटाई पर रोक तथा शहरी विस्तार एवं विकास के लिये वृक्षों की कटाई पर रोक जैसे प्रयास किये जाने चाहिये।
  • आधारभूत संरचना के विकास हेतु वृक्षों एवं वनों के नुकसान को कम किये जाने के साथ ही कृषि क्षेत्र में नवाचारी खेती जैसे हाइड्रोपॉनिक्स (बिना मिट्टी के, जल की सहायता से पौधे उगाने की तकनीक) को अपनाया जाना चाहिये। औद्योगिक गतिविधियों हेतु ईंधन के रूप में प्रयोग की जाने वाली जंगल की लकड़ी के स्थान पर बांस का उपयोग करके वनों की कटाई को कम किया जा सकता है।
  • वन पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा होने के साथ ही मानव जाति के लिये एक वरदान है किंतु दुर्भाग्य से मनुष्य विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ती हेतु वृक्षों को काट रहा है, जिससे पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ रहा है। वृक्षों एवं वनों को बचाने के लिये और अधिक गम्भीरता की आवश्यकता है।
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