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ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच रिपोर्ट

हाल ही जारी किए गए ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2000 के बाद से भारत में 2.33 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष क्षेत्र कम हो गया है। 

  • यह इस अवधि के दौरान वृक्ष आवरण में छह प्रतिशत की कमी के बराबर है।

ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच (GFW) के बारे में

  • उपग्रह डेटा और अन्य स्रोतों का उपयोग करके वास्तविक समय में वन परिवर्तनों पर नज़र रखता है। 
  • स्थापना : वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI) द्वारा वर्ष 1997 में ।  
  • इसकी शुरुआत गैर सरकारी संगठनों के एक नेटवर्क के रूप में हुई थी, जो चार पायलट देशों: कैमरून, कनाडा, गैबॉन और इंडोनेशिया में वनों की स्थिति के बारे में नवीनतम रिपोर्ट तैयार करता था।

वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI)

  • यह एक वैश्विक अनुसंधान गैर-लाभकारी संगठन है। 
  • स्थापना: वर्ष 1982 में जॉन डी. और कैथरीन टी. मैकआर्थर फाउंडेशन के वित्त पोषण द्वारा। 
  • मुख्यालय: वाशिंगटन डी.सी. ।
  • WRI छह क्षेत्रों- भोजन, वन, जल, ऊर्जा, शहर एवं जलवायु, में मानव समाज को बेहतर समर्थन देने के उद्देश्य से व्यापार, अर्थशास्त्र, वित्त और शासन के लिए टिकाऊ प्रथाओं का अध्ययन करता है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  • वर्ष 2002 से 2023 तक भारत में 4,14,000 हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन (4.1 प्रतिशत) नष्ट हो गया, जो इसी अवधि में कुल वृक्ष आवरण हानि का 18 प्रतिशत है।
  • वर्ष 2001 और 2022 के बीच भारत में जंगलों से एक वर्ष में 51 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन हुआ और 141 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को सिंक किया।
    • यह प्रति वर्ष 89.9 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर शुद्ध कार्बन सिंक का प्रतिनिधित्व करता है।
  • भारत में वृक्षों के नुकसान के परिणामस्वरूप प्रति वर्ष औसतन 51.0 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ा गया।
    • इस अवधि के दौरान कुल मिलाकर 1.12 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष उत्सर्जित हुआ।
  • आंकड़ों से यह पता चलाता है कि वर्ष 2013 से 2023 तक भारत में वृक्ष आवरण की हानि का 95 प्रतिशत प्राकृतिक वनों के भीतर हुआ है।
  • वर्ष 2001 और 2023 के बीच कुल वृक्ष आवरण हानि का 60 प्रतिशत नुकसान पांच राज्यों (असम > मिजोरम > अरुणाचल प्रदेश > नागालैंड > मणिपुर) में हुआ है।
    • औसतन 66,600 हेक्टेयर की तुलना में में सबसे अधिक 324,000 हेक्टेयर वृक्षों का नुकसान असम में हुआ। 
  • वर्ष 2002 से 2022 तक भारत में आग के कारण 35,900 हेक्टेयर वृक्षों का नुकसान हुआ। 
    • वर्ष 2008 में आग के कारण सबसे अधिक वृक्षों का नुकसान (3,000 हेक्टेयर) दर्ज किया गया।
  • वर्ष 2001 से 2022 तक, ओडिशा में आग के कारण पेड़ों के नुकसान की दर सबसे अधिक थी। 
    • उसके बाद अरुणाचल प्रदेश > नागालैंड > असम > मेघालय का स्थान है। 
  • खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, वर्ष 2015 और 2020 के बीच भारत में वनों की कटाई की दर 668,000 हेक्टेयर प्रति वर्ष थी, जो दुनिया भर में दूसरी सबसे अधिक है।
    • वन कार्बन के लिए सिंक और स्रोत दोनों होते हैं।
    • वन खड़े रहने या दोबारा उगने पर हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाते हैं और काटे जाने या खराब होने पर कार्बन डाइऑक्साइड को उत्सर्जित करते हैं।
      • इस प्रकार, वनों के नष्ट होने से जलवायु परिवर्तन में तेजी आती है।
    • वृक्ष आवरण हानि में मानव-जनित हानि (कटाई व आग आदि) और प्राकृतिक व्यवधान (आग, बीमारी व तूफान आदि) से होने वाली हानि शामिल हैं।
      • ये स्थायी या अस्थायी हो सकते हैं।
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