संदर्भ
- ग्लासगो में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के 26वें शिखर सम्मेलन (कॉप-26) में वैश्विक मीथेन संकल्प (Global Methane Pledge) को लॉन्च किया गया है, जिस पर 100 से अधिक देशों द्वारा हस्ताक्षर किया जा चुका है।
- मीथेन (CH4), कार्बन डाइऑक्साइड के पश्चात् वातावरण में सर्वाधिक मात्रा में पाई जाने वाली दूसरी ग्रीनहाउस गैस है, इसलिये वैश्विक स्तर पर मीथेन उत्सर्जन में कटौती से संबंधित संकल्प को लाया जाना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
वैश्विक मीथेन संकल्प
- वैश्विक मीथेन संकल्प, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के संयुक्त नेतृत्व में किया गया एक प्रयास है, जिसकी पहली बार घोषणा सितंबर 2021 में की गई थी। उस समय केवल नौ देशों ने समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें अर्जेंटीना, घाना, इंडोनेशिया, इराक, इटली, मैक्सिको और यू.के. शामिल थे।
- इस समझौते का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को वर्ष 2020 के स्तर से 30 प्रतिशत तक कम करना है।
- विदित है कि भारत, तीसरा सबसे बड़ा मीथेन उत्सर्जक देश है, लेकिन इस संकल्प का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
मीथेन उत्सर्जन को न्यून करने की आवश्यकता
- मीथेन जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख कारण है अतः इसके उत्सर्जन को रोकना और पूर्व के उत्सर्जन को तेज़ी से कम करना अपरिहार्य है।
- इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व-औद्योगिक युग के बाद से वैश्विक औसत तापमान में 1.0 डिग्री सेल्सियस की शुद्ध वृद्धि में मीथेन का लगभग 50 प्रतिशत का योगदान है।
- इसके अलावा, आई.पी.सी.सी. की इस नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार मीथेन में प्रति वर्ष 0.3 प्रतिशत की कमी कार्बन डाइऑक्साइड के लिये शुद्ध-शून्य के बराबर है। यदि मीथेन में इस स्तर की कमी हासिल की जाती है तो कोई अतिरिक्त ग्लोबल वार्मिंग नहीं होगी।
- मीथेन उत्सर्जन को तेज़ी से कम करना कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के लिये पूरक कार्रवाई होगी।
- भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये मीथेन उत्सर्जन में प्रभावी कमी को सबसे प्रमुख रणनीति माना जा रहा है।
मीथेन गैस
- मीथेन, एक ग्रीनहाउस गैस है, जो प्राकृतिक गैस का एक घटक भी है। वातावरण में इसकी उपस्थिति से पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, मीथेन का वायुमंडलीय जीवनकाल 12 वर्ष होता है, जो कि कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में बहुत कम है।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा मीथेन को शक्तिशाली प्रदूषक के रूप में उल्लेखित किया गया है, जिसके अनुसार वायुमंडल में छोड़े जाने के लगभग 20 वर्षों के बाद भी इसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड से 80 गुना अधिक होती है।
- मीथेन का लगभग 40% प्राकृतिक स्रोतों, जैसे- आर्द्रभूमि से आता है, जबकि 60% के लिये मानवीय गतिविधियाँ ज़िम्मेदार होती हैं, जिसमें लैंडफिल में अपघटन, तेल और प्राकृतिक गैस प्रणाली, कृषि गतिविधियाँ (मुख्यतया चावल के खेत), कोयला खनन, अपशिष्ट जल उपचार और कुछ औद्योगिक प्रक्रियाएँ शामिल हैं।