संदर्भ
हाल ही में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (Stockholm International Peace Research Institute : SIPRI) ने वैश्विक सैन्य व्यय पर नवीनतम रिपोर्ट जारी की।
शीर्ष वैश्विक सैन्य व्यय वाले देश
- अमेरिका (916 अरब डॉलर)
- चीन (296 अरब डॉलर)
- रूस (109 अरब डॉलर)
- भारत (83.6 अरब डॉलर)
- सऊदी अरब (75.8 अरब डॉलर)
वैश्विक सैन्य व्यय रुझान
- वैश्विक सैन्य व्यय विगत वर्ष की तुलना में वर्ष 2023 में 7% बढ़कर 2.43 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया।
- वर्ष 2023 में लगातार नौवें वर्ष वैश्विक सैन्य व्यय में वृद्धि हुई।
- वर्ष 2023 में 6.8 %की वृद्धि वर्ष 2009 के बाद से साल-दर-साल सबसे तेज वृद्धि थी।
- वर्ष 2023 में वैश्विक सैन्य बोझ बढ़कर 2.3% हो गया।
- वैश्विक सैन्य बोझ की गणना में सैन्य व्यय को वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है।
- सरकारी व्यय के हिस्से के रूप में वैश्विक औसत सैन्य व्यय वर्ष 2023 में 0.4% अंक बढ़कर 6.9% हो गया।
- इसके अतिरिक्त प्रति व्यक्ति विश्व सैन्य व्यय 1990 के बाद से 306 अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया।
- रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में पाँच सबसे बड़े सैन्य व्यय वाले देश कुल वैश्विक सैन्य व्यय के 61% के लिए उत्तरदायी थे।
- रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन वर्ष 2023 में सैन्य व्यय में 51% की बढ़ोतरी के साथ आठवां सबसे बड़ा सैन्य व्यय करने वाला देश था।
वैश्विक सैन्य व्यय में वृद्धि के कारण
- रूस- यूक्रेन संघर्ष
- एशिया और मध्य पूर्व में बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव
भारत की स्थिति
- नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सैन्य व्यय करने वाला देश बन गया है।
- जबकि विगत वर्ष भारत पांचवें स्थान पर था।
- भारत का सैन्य व्यय विगत वर्ष की तुलना में 4.2% वृद्धि कर वर्ष 2023 में 83.6 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।
- रिपोर्ट में के अनुसार यह बढ़ते कर्मियों और संचालन लागत का परिणाम था, जो कुल सैन्य बजट का लगभग 80 प्रतिशत था।
- एक थिंक-टैंक की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में भारत के कुल सैन्य व्यय का 75% घरेलू स्तर पर उत्पादित उपकरणों के लिए निर्देशित किया गया था जो अब तक का उच्चतम स्तर है।
भारतीय सैन्य व्यय में वृद्धि के कारक
- आधुनिकीकरण और रक्षा उपकरणों में आत्मनिर्भरता पर बल
- चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ सीमा तनाव
- सैन्य कर्मियों की संख्या में वृद्धि
- परिचालन लागत में वृद्धि