(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : शहरीकरण एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि)
संदर्भ
भारत के तीन शहर वारंगल, नीलांबूर और त्रिशूर यूनेस्को के ग्लोबल नेटवर्क ऑफ लर्निंग सिटीज़ (GNLC) में शामिल हो गए हैं। इनको स्थानीय लोगों के मध्य आजीवन सीखने को बढ़ावा देने के कारण शामिल किया गया है। यूनेस्को प्राय: पांच लाख एवं उससे अधिक आबादी वाले शहरों को जी.एन.एल.सी. के लिये विचार करता है। नीलांबूर एक लाख से कम आबादी वाला जी.एन.एल.सी. में शामिल होने वाला पहला शहर है।
शहरों का समावेशन
- केरल के नीलांबूर और त्रिशूर तथा तेलंगाना का वारंगल यूनेस्को की मान्यता प्राप्त करने वाले पहले भारतीय शहर बन गए हैं। इस वर्ष 44 देशों के 77 शहरों को यूनेस्को ग्लोबल नेटवर्क ऑफ लर्निंग सिटीज़ में शामिल किया गया है।
- इस प्रकार इसमें 76 देशों के 294 शहर शामिल हो गए हैं।
- इस समूह में बीजिंग, शंघाई, हैम्बर्ग, एथेंस, इंचियोन, ब्रिस्टल और डब्लिन जैसे शहर भी शामिल हैं। इससे अन्य शहरों के साथ विचारों तथा पहले से लागू समाधानों के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।
- ग्लोबल नेटवर्क ऑफ़ लर्निंग सिटीज़
- यूनेस्को जी.एन.एल.सी. एक अंतर्राष्ट्रीय नीति-उन्मुख नेटवर्क है जो प्रेरणा, जानकारी और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करते हैं। इसमें ऐसे शहर शामिल होते हैं जो अपने समुदायों में आजीवन सीखने की कला को सफलतापूर्वक बढ़ावा देते हैं।
- इसे यूनेस्को इंस्टीट्यूट फॉर लाइफलॉन्ग लर्निंग (UIL) द्वारा समन्वित किया जाता है। यूनेस्को जी.एन.एल.सी. सदस्य शहरों के बीच साझेदारी निर्माण तथा क्षमता विकास आदि जैसे पहलुओं का समर्थन करता है। इसमें नीतिगत संवाद और सहकर्मियों में सीखने की कला को बढ़ावा देना, प्रभावी रणनीतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं का दस्तावेजीकरण करना शामिल है।
यूनेस्को जी.एन.एल.सी. के निहितार्थ
- यूनेस्को लर्निंग सिटी का दर्ज़ा चुने हुए शहरों में सभी के लिये शिक्षा सुनिश्चित करेगा। इसके लिये विभिन्न क्षेत्रों में सतत शिक्षा प्रदान करने के लिये विभिन्न योजनाएँ तैयार की जाएँगी।
- विकास के सभी चरणों में अन्य शहरों के साथ विचारों को साझा करने से बहुत लाभ हो सकता है क्योंकि सीखने वाले शहर के विकास चरण में उत्पन्न होने वाले मुद्दों के समाधान पहले से ही अन्य शहरों में मौजूद हो सकते हैं।
- यह नेटवर्क सतत विकास लक्ष्य (SDGs) 4 और 11 सहित सभी 17 एस.डी.जी. का समर्थन करता है।
- एस.डी.जी. 4 समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करने तथा सभी के लिये आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देने से संबंधित है।
- एस.डी.जी. 11 शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ बनाने से संबंधित है।
लर्निंग सिटीज़
- लर्निंग सिटीज़ सभी के लिये आजीवन सीखने को बढ़ावा देता है। यूनेस्को लर्निंग सिटीज़ को एक ऐसे शहर के रूप में परिभाषित करता है, जो:
- सभी स्तर पर समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये हर क्षेत्र में अपने संसाधनों को प्रभावी ढंग से जुटाता है,
- परिवारों और समुदायों में सीखने की क्षमता पुनर्जीवित करता है;
- कार्यस्थल में सुविधा प्रदान करता है;
- आधुनिक शिक्षण प्रौद्योगिकियों के उपयोग का विस्तार करता है;
- सीखने में गुणवत्ता और उत्कृष्टता को बढ़ाता है;
- जीवन भर सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देता है।
- ऐसे शहर व्यक्तिगत सशक्तिकरण, सामाजिक समावेशन, आर्थिक विकास एवं सांस्कृतिक समृद्धि तथा सतत विकास को बढ़ावा देते हैं।
भारतीय शहरों के बारे में
त्रिशूर : केरल की सांस्कृतिक राजधानी
- त्रिशूर दक्षिण भारतीय राज्य केरल में स्थित है। यह पवित्र स्थलों और त्योहारों के लिये जाना जाता है। यहाँ भगवान शिव को समर्पित वडक्कुमनाथन मंदिर अवस्थित है, जो भित्ति चित्रों से सुसज्जित है।
- इसके समीप इंडो-गॉथिक शैली में अवर लेडी ऑफ डोलर्स बेसिलिका स्थित है। यहाँ स्थित सक्थान थंपुरन पैलेस में कांस्य मूर्तियों और प्राचीन सिक्कों के साथ एक पुरातत्व संग्रहालय है।
- यूनेस्को जी.एन.एल.सी. के सदस्य के रूप में त्रिशूर सभी के लिये सीखने तक समान पहुँच, बौद्धिक और सहकर्मी सीखने की प्रक्रियाओं में योगदान, डिजिटल लर्निंग इकोसिस्टम और स्थिरता के लिये कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है।
नीलांबूर : सागौन (Teak) की भूमि
- नीलांबूर केरल का एक पारिस्थितिक पर्यटन स्थल है। यह शहरी और ग्रामीण मिश्रण एवं विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पैटर्न वाला शहर है।
- यह शहर सभी नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करता है और घर-घर उपचार प्रदान करने के लिये स्वास्थ्य स्वयंसेवकों का उपयोग करता है।
- यह छात्रों और युवा नागरिकों के लिये प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण को भी बढ़ावा देता है।
- एक सीखने वाले शहर के रूप में नीलांबूर का उद्देश्य कृषि और हस्तशिल्प में नवाचार करना, पारिस्थितिक पर्यटन को बढ़ावा देना और जल प्रबंधन में सुधार करना है।
वारंगल : एक पर्यटन स्थल
- वारंगल दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में स्थित है। यह 12वीं से 14वीं शताब्दी तक काकतीय वंश की राजधानी थी। वारंगल की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है।
- यहाँ 7वीं शताब्दी में निर्मित एक झील पर भद्रकाली मंदिर स्थित है जो हिंदू देवी काली को समर्पित है। यह शहर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।