(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 : सूचना प्रौद्योगिकी एवं कम्प्यूटर आदि सम्बंधित विषयों में जागरूकता)
संदर्भ
हाल ही में, भारत ने ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक साझेदारी’ (Global Partnership on Artificial Intelligence : GPAI) की अध्यक्षता ग्रहण की है।
प्रमुख बिंदु
- नवंबर 2022 में जी.पी.ए.आई. की बैठक का आयोजन टोक्यो (जापान) में किया गया, जहाँ भारत को इसकी अध्यक्षता सौंपी गई है।
- वर्ष 2022-2023 की संचालन समिति में पाँच सीटें जापान, फ्रांस, भारत, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रदान की गई है।
क्या है जी.पी.ए.आई.
- यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता के ज़िम्मेदार और मानव केंद्रित विकास तथा सकारात्मक उपयोग में सहायता करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय पहल है।
- जी.पी.ए.आई. को जून 2020 में 15 सदस्यों के साथ शुरू किया गया था, जिसके संस्थापक सदस्य देशों में भारत सहित अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य और सिंगापुर शामिल है। वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 25 हो गई हैं।
जी.पी.ए.आई. के उद्देश्य
- यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा मानवाधिकारों, समावेशन, विविधता, नवाचार और आर्थिक विकास में उपयोग का कुशल मार्गदर्शन करने हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय और बहु-हितधारक पहल है।
- प्रतिभागी देशों के विविधतापूर्ण अनुभवों का उपयोग करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने का यह अपने किस्म का पहला प्रयास भी है।
- इस पहल के द्वारा अनुसंधानों और गतिविधियों की सहायता से कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े सिद्धांतों (Theory) और व्यवहार (Practical) के बीच के अंतर को समाप्त किया जा रहा है।
- इस पहल ने अनेक उद्योगों, नागरिक समाज, सरकारों और शिक्षाविदों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास को बढ़ावा देने के लिये एक मंच प्रदान किया है।
भारत के लिये महत्त्व
- जी.पी.ए.आई. के माध्यम से भारत समावेशी विकास के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग से जुड़े अपने अनुभवों का लाभ उठाते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के वैश्विक विकास में सक्रिय साझीदारी निभा रहा है।
- ध्यातव्य है कि, भारत ने विगत वर्षों में अपनी विभिन्न नवोन्मेषी पहलों के माध्यम से देश के कुशल समावेशन और सशक्तीकरण को बढाने के साथ-साथ शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, ई-कॉमर्स, वित्त, दूरसंचार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाने के अनेक प्रयास किये हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृत्रिम बुद्धिमत्ता
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता से वर्ष 2025 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 450-500 बिलियन डॉलर जोड़े जाने की संभावना है जो देश के 5 ट्रिलियन डॉलर जी.डी.पी. लक्ष्य का 10% है। साथ ही, वर्ष 2035 तक कृत्रिम बुद्धिमत्ता से भारतीय अर्थव्यवस्था में 967 बिलियन डॉलर के शामिल होने की उम्मीद है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता भारत के प्रौद्योगिकी पारितंत्र के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है और वर्ष 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकोनॉमी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये एक अहम कारक है।
क्या है कृत्रिम बुद्धिमत्ता
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह व्यवहार से संबंधित है। यह मशीनों की सोचने, समझने, सीखने, समस्या हल करने और निर्णय लेने जैसे रचनात्मक कार्यों को करने की क्षमता को बताती है। जॉन मैकार्थी इसके जनक माने जाते हैं।
- यद्यपि कृत्रिम बुद्धिमत्ता को कई लोग निजता के अधिकार के लिये जोखिम के रूप में देखते हैं, कुछ इसे प्रौद्योगिकीय बेरोज़गारी के जनक के रूप में देखते हैं। कुछ लोग इसे इसलिये भी खतरनाक मानते हैं क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि इससे जुड़े आँकड़ों के माध्यम से कोई भी किसी की गतिविधियों, अतीत की बातों या किसी अन्य प्रकार की जानकारी को बड़ी आसानी से हासिल कर सकता है।