चर्चा में क्यों
हाल ही में, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने ‘वैश्विक खाद्य संकट रिपोर्ट-2022’ जारी की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के अनुसार, यूक्रेन संघर्ष से भोजन, ऊर्जा और वित्त के रूप में एक त्रि-आयामी संकट पैदा हो गया है। इससे विश्व के सबसे कमजोर लोगों, देशों और अर्थव्यवस्थाओं पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है।
खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट 2022
- यह रिपोर्ट ‘ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फ़ूड क्राइसिस’ (जिसमें WFP भी शामिल है) द्वारा तैयार की गई है, जो एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है। इस रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में भूख का स्तर खतरनाक रूप से उच्च बना हुआ है।
- वर्ष 2021 में भूख का स्तर अभी तक जारी किये गए वैश्विक खाद्य संकट रिपोर्ट (GRFC) के विगत सभी आँकडों में सर्वाधिक है।
- वर्ष 2021 में 53 देशों/क्षेत्रों में लगभग 193 मिलियन लोगों ने गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना किया। यह आँकड़ा वर्ष 2020 में भूख के पिछले उच्च स्तर की तुलना में लगभग 40 मिलियन की वृद्धि दर्शाता है।
सर्वाधिक प्रभावित देश
- वर्ष 2021 में भूख की ख़राब स्थिति में होने या भूख के संकट का सामना करने वाले लोगों की कुल संख्या का लगभग 70% मुख्यत: दस देशों/क्षेत्रों में पाए गए-
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, उत्तरी नाइजीरिया, सूडान और दक्षिण सूडान।
- सीरियाई अरब गणराज्य, यमन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और हैती।
- उपर्युक्त में से सात देशों में संघर्ष/टकराव तीव्र खाद्य असुरक्षा का प्राथमिक कारण रहा है।
- रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर गंभीर खाद्य असुरक्षा की स्थिति वर्ष 2021 की तुलना में और ख़राब हो सकती है।
बांग्लादेश की स्थिति
- रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 और यूक्रेन संघर्ष के कारण बांग्लादेश को भी खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश कुल आयातित खाद्य वस्तुओं का 10.7% रूस से और 4.5% यूक्रेन से आयात करता है।
- बांग्लादेश दुनिया के सबसे बड़े गेहूं आयातकों में से एक है, जो मुख्यत: भारत, कनाडा, रूस और यूक्रेन से गेहूं खरीदता है। वैश्विक भूख संकट का सामना करने के लिये विश्व खाद्य कार्यक्रम भारत के साथ गेहूं खरीद पर चर्चा कर रहा है।
- विदित है कि वर्ष 2020-21 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में भारत का गेहूं उत्पादन 109.59 मिलियन टन रहा।
अन्य निष्कर्ष
- इथियोपिया, दक्षिणी मेडागास्कर, दक्षिण सूडान और यमन में लगभग 5 लाख से भी अधिक लोग तीव्र खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं।
- संघर्ष के कारण 24 देशों/क्षेत्रों के 139 मिलियन लोग तीव्र खाद्य असुरक्षा की स्थिति में रहने के लिये मजबूर हुए।
- चरम मौसम की घटनाओं ने आठ देशों/क्षेत्रों में 23 मिलियन से अधिक लोगों को तीव्र खाद्य असुरक्षा की स्थिति में धकेल दिया है।
- आर्थिक संकट के कारण वर्ष 2021 में 21 देशों/क्षेत्रों के 30 मिलियन से अधिक लोगों को तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।