(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : पर्यावरण, जैव विविधता, सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन) |
संदर्भ
मई 2024 में अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित 19वें संयुक्त राष्ट्र वन फोरम में जंगलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की रणनीतिक योजना : 2017-2030 पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस दौरान भारत ने अपनी संशोधित राष्ट्रीय वन नीति साझा की। इस नीति में जंगल की आग को संबोधित करने के उद्देश्य से सिफारिशों शामिल हैं।
- साथ ही, वर्ष 2023-24 के लिए विषयगत प्राथमिकताओं का समर्थन करने वाली गतिविधियों पर भी विचार किया गया।
- इसमें जंगल की आग से निपटने एवं एक मॉडल वन अधिनियम विकसित करने पर चर्चा हुई।
संयुक्त राष्ट्र की रणनीतिक योजना : 2017-2030
- पहली संयुक्त राष्ट्र वन रणनीतिक योजना पर समझौता जनवरी 2017 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र वन फोरम के एक विशेष सत्र में तैयार किया गया था। यह वर्ष 2030 में वैश्विक वनों के लिए एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- इस योजना को संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था।
- रणनीतिक योजना में वर्ष 2030 तक के लिए 6 वैश्विक वन लक्ष्यों एवं 26 संबंधित लक्ष्यों का एक सेट शामिल है, जो स्वैच्छिक व सार्वभौमिक हैं।
- इसमें वर्ष 2030 तक वैश्विक वन क्षेत्र में 3% तक की वृद्धि का लक्ष्य है, जो 120 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि दर्शाता है। यह फ्रांस के आकार के दोगुने से भी अधिक क्षेत्र है।
संयुक्त राष्ट्र की रणनीतिक योजना के 6 वैश्विक लक्ष्य
- वन-आधारित आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय लाभों को बढ़ाना
- संरक्षित वनों के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि पर जोर देना
- वित्तीय संसाधन जुटाना
- स्थायी वन प्रबंधन को लागू करने के लिए शासन ढांचे को बढ़ावा देना
- क्रॉस-कटिंग लक्ष्यों के रूप में सहयोग करना
- समन्वय और तालमेल को बढ़ावा देने पर अतिरिक्त ध्यान देना
भारत की रणनीति
- भारत ने नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से जंगल की आग के बाद भू-क्षेत्र की बहाली के साथ-साथ जंगल की आग की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की सिफारिश की।
- भारत ने प्रौद्योगिकी को अधिक-से-अधिक अपनाने पर बल दिया है, जिसमें वास्तविक समय में आग की निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग का उपयोग, जंगल की आग की रिपोर्टिंग के लिए ऑनलाइन जियोपोर्टल और आग के बाद की बहाली के लिए पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित दृष्टिकोण शामिल हैं।
- भारत ने वन प्रमाणन के लिए सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत वैश्विक मानक बनाने का भी सुझाव दिया और सार्वभौमिक मानकों के विरुद्ध वर्तमान प्रमाणन कार्यक्रमों का मूल्यांकन करने की आवश्यकता पर बल दिया।
- भारत ने जंगल की आग से निपटने में समुदायों की बढ़ती भूमिका पर ध्यान दिया और हाल के वर्षों में ऐसी घटनाओं के बढ़ते पैमाने और अवधि पर जोर दिया, जिसका जैव-विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं, अर्थव्यवस्थाओं, आजीविका और मानव कल्याण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
- जंगल की आग की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता रोकथाम एवं बहाली के लिए व्यापक दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
अन्य संगठनों और देशों की रणनीति
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा ग्लोबल फायर मैनेजमेंट हब के संचालन का भी प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य जंगल की आग को कम करने में ज्ञान और अनुभव साझा करने के लिए एक मंच बनाना है।
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, एकीकृत अग्नि प्रबंधन के माध्यम से रोकथाम और तैयारियों पर केंद्रित प्रतिक्रियाशील प्रतिक्रियाओं से सक्रिय उपायों की ओर स्थानांतरित होने की आवश्यकता है।
- यूक्रेन ने अपने विस्तारित वन कोड की रूपरेखा तैयार की, जिसमें जंगलों पर पड़ने वाले प्रभाव का विवरण दिया गया।
- कोस्टा रिका ने वनों की कटाई, वन आवरण संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए भुगतान पर अपने प्रतिबंध पर प्रकाश डाला।
- इंडोनेशिया ने अपनी वन और अन्य भूमि उपयोग नेट सिंक 2030 रणनीति प्रस्तुत की।
- मलेशिया ने 7.9 मिलियन पेड़ लगाने की योजना के साथ, अपने क्षेत्र का कम से कम 50% वन आवरण के तहत रखने की रणनीति प्रस्तुत की।
- नेपाल ने समुदाय-प्रबंधित वनों, पुनर्स्थापित वनों, संरक्षित क्षेत्रों और वृक्षारोपण नीतियों में अपनी प्रगति की समीक्षा की।
- लैटिन अमेरिका के ग्वाटेमाला ने अपनी वार्षिक वनों की कटाई दर में 0.36% की कमी दर्ज की तथा वन सरंक्षण नीति पर जोर दिया।