प्रारंभिक परीक्षा: वैश्विक तपेदिक (टीबी) रिपोर्ट, 2023, WHO मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
संदर्भ-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी वैश्विक तपेदिक (टीबी) रिपोर्ट, 2023 के अनुसार, वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक टीबी के मामले भारत में थे।
प्रमुख बिंदु-
- भारत में 2022 में 2.8 मिलियन टीबी के मामले दर्ज किए गए, जिनमें मृत्यु दर 12 प्रतिशत थी।
- भारत में टीबी के मामले कुल वैश्विक मामलों का 27 प्रतिशत हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार मल्टीड्रग-प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बना हुआ है
- 2022 में भारत में एमडीआर-टीबी के 1.1 लाख मामले दर्ज किए गए।
वर्ष 2022 के वैश्विक आंकड़े-
- कुल मिलाकर, 2022 में दुनिया के 87 प्रतिशत टीबी मामलों के लिए 30 उच्च जोखिम वाले टीबी के देश जिम्मेदार थे।
- शीर्ष आठ सर्वाधिक टीबी मामले वाले देशों में-
- इंडोनेशिया (10 प्रतिशत), चीन (7.1 प्रतिशत), फिलीपींस (7.0 प्रतिशत), पाकिस्तान (5.7 प्रतिशत), नाइजीरिया (4.5 प्रतिशत), बांग्लादेश (3.6 प्रतिशत), और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (3.0 प्रतिशत) शामिल हैं।
- विश्व में 2022 में टीबी से कुल 1.3 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई (एचआईवी से पीड़ित 167,000 लोगों सहित)
- कोविड-19 के बाद टीबी दूसरी बड़ी संक्रामक बीमारी है।
- दुनिया भर में अनुमानित 10.6 मिलियन लोग तपेदिक (टीबी) से बीमार थे।
- बीमार लोगों में 5.8 मिलियन पुरुष, 3.5 मिलियन महिलाएं और 1.3 मिलियन बच्चे शामिल थे।
- मल्टीड्रग-प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और स्वास्थ्य सुरक्षा खतरा बना हुआ है। 2022 में दवा प्रतिरोधी टीबी से पीड़ित केवल 5 में से 2 लोगों को ही इलाज मिल सका।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
- टीबी सभी देशों और आयु समूहों में मौजूद है। टीबी इलाज योग्य और रोकथाम योग्य है।
- टीबी से निपटने के वैश्विक प्रयासों ने वर्ष 2000 से अनुमानित 75 मिलियन लोगों की जान बचाई है।
- 2030 तक टीबी महामारी को समाप्त करना संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के स्वास्थ्य लक्ष्यों में से एक है।
- टीबी पर 2018 संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठक में सहमत हुए कि वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वार्षिक 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है।
क्षय रोग (टीबी):
यह एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है। यह रोग फेफड़ों को प्रभावित करता है। संक्रमित लोगों के खांसने, छींकने या थूकने पर यह हवा के माध्यम से फैलता है।
क्षय रोग की रोकथाम और इलाज:
- टीबी रोग का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है और इलाज के बिना यह घातक हो सकता है।
- कुछ देशों में, टीबी से बचाव के लिए शिशुओं या छोटे बच्चों को बैसिल कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) टीका दिया जाता है।
- यह टीका फेफड़ों के बाहर टीबी को रोकता है लेकिन फेफड़ों में नहीं।
टीबी के सामान्य लक्षण:
लोगों में लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि टीबी शरीर में कहां सक्रिय होती है। जबकि टीबी आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती है, यह गुर्दे, मस्तिष्क, रीढ़ और त्वचा को भी प्रभावित करती है। इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं-
- लंबे समय तक खांसी (कभी-कभी खून के साथ)
- छाती में दर्द
- कमजोरी
- थकान
- वजन घटना
- बुखार
- रात का पसीना;आदि
कुछ स्थितियाँ किसी व्यक्ति में तपेदिक रोग के खतरे को बढ़ा सकती हैं; जैसे-
- मधुमेह
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
- कुपोषित होना
- तंबाकू इस्तेमाल;आदि
निदान:
- WHO द्वारा अनुशंसित रैपिड डायग्नोस्टिक परीक्षणों में एक्सपर्ट एमटीबी/आरआईएफ अल्ट्रा और ट्रूनेट परीक्षण शामिल हैं।
- संक्रमण वाले लोगों की पहचान के लिए ट्यूबरकुलिन त्वचा परीक्षण (टीएसटी) या इंटरफेरोंगामा रिलीज परख (आईजीआरए) का उपयोग किया जा सकता है।
- मल्टीड्रग-प्रतिरोधी और टीबी के अन्य प्रतिरोधी रूपों के साथ-साथ एचआईवी से संबंधित टीबी का निदान करना जटिल और महंगा है।
- बच्चों में तपेदिक का निदान करना विशेष रूप से कठिन है।
उपचार/इलाज:
- क्षय रोग का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है।
- उपयोग की जाने वाली सबसे आम एंटीबायोटिक्स हैं-
- आइसोनियाज़िड
- रिफम्पिं
- पायराज़ीनामाईड
- एथेमब्युटोल
- स्ट्रेप्टोमाइसिन; आदि
- प्रभावी होने के लिए, इन दवाओं को 4-6 महीने तक रोजाना लेना होगा।
दवा-प्रतिरोधी टीबी:
- तपेदिक पर जब मानक दवाओं का असर नहीं होता है तो उसे दवा-प्रतिरोधी टीबी कहा जाता है।
- इसके लिए विभिन्न दवाओं के साथ अधिक विषाक्त उपचार की आवश्यकता होती है।
- दवा प्रतिरोध तब उभरता है जब टीबी की दवाओं का अनुचित तरीके से उपयोग किया जाता है।
- कारण:
- स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं द्वारा गलत दवाएं
- खराब गुणवत्ता वाली दवाओं का सेवन
- रोगियों द्वारा समय से पहले इलाज बंद कर दिया जाना; आदि
भारत में टीबी के इलाज के लिए प्रयास:
1. भारत में टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-2025)
इस योजना के मुख्य फोकस क्षेत्र हैं-
- सभी टीबी रोगियों का शीघ्र निदान, गुणवत्ता सुनिश्चित दवाओं के साथ त्वरित उपचार
- निजी क्षेत्र में देखभाल चाहने वाले रोगियों के साथ जुड़ना।
2. निक्षय पारिस्थितिकी तंत्र:
नि-क्षय की निम्नलिखित दो व्यापक भूमिकाएँ हैं-
- देश भर में मल्टीड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) मामलों सहित सभी टीबी रोगियों का एक डेटाबेस बनाना
- इस डेटाबेस का उपयोग सभी स्तरों पर निगरानी और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए करना
3. निक्षय पोषण योजना:
- प्रधानमंत्री ने टीबी से ग्रसित लोगों के लिए यह योजना शुरू की थी। योजना के तहत टीबी से पीड़ित लोगों को 500 रुपए प्रतिमाह देने का प्रावधान है।
4. टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान, 2019
- इसके तीन मजबूत स्तंभों में नैदानिक दृष्टिकोण, सार्वजनिक स्वास्थ्य घटक और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी शामिल हैं।
5. प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान
- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 09 सितम्बर 2022 को इसकी शुरुआत की।
- सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।
6. वैश्विक प्रयास:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ग्लोबल फंड और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप के साथ एक “Find. Treat All. #EndTB” संयुक्त पहल शुरू की है।
प्रश्न:- वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट (टीबी), 2023 के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की जाती है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक टीबी के मामले भारत में दर्ज हुए।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न 1 और ना ही 2
उत्तर- (c)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न: तपेदिक (टीबी) एक संक्रामक रोग है, इसके लक्षण, निदान और उपचार का उल्लेख करते हुए भारत द्वारा इसके उन्मूलन के लिए किए जा रहे प्रयासों की चर्चा कीजिए।
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