(प्रारम्भिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।)
संदर्भ
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैश्विक क्षय रोग (टीबी) रिपोर्ट, 2024 जारी किया है।
वर्ष 2024 में,दुनिया की 99% से अधिक आबादी और टीबी के मामलों वाले 193 देशों और क्षेत्रों ने डाटा की रिपोर्ट की है।
यह रिपोर्ट वैश्विक, क्षेत्रीय और देश स्तर पर टीबी महामारी एवं रोग की रोकथाम, निदान और उपचार में प्रगति का व्यापक व अद्यतन मूल्यांकन प्रदान करती है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
मामलों की संख्या :वर्ष 2023 में, भारत में लगभग 25.2 लाख टीबी के मामले रिपोर्ट किए गए, जो वर्ष 2022 में 24.2 लाख मामलों से अधिक है।
वैश्विक योगदान : भारत और इंडोनेशिया वर्ष 2021 से 2023 तक टीबी के वैश्विक मामलों में कुल वृद्धि के 45% के लिए उत्तरदायी थे।
शीर्ष पांच देश, जिसमें भारत और इंडोनेशिया के अलावाचीन, फिलीपींस, पाकिस्तान शामिल हैं, कुल वैश्विक मामलों के 56% के लिए जिम्मेदार थे।
प्रगति बनाम लक्ष्य : भारत में वर्ष 2015 से 2023 के मध्य टीबी के मामलों में 18% की गिरावट देखी गई है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2025 तक 50% कमी के लक्ष्य से बहुत कम है।
इसी प्रकार, टीबी से संबंधित मौतों में 75% के लक्ष्य के मुकाबले केवल 24% की कमी आई है।
निदान में वृद्धि : वैश्विक स्तर पर, वर्ष 2023 में 82 लाख लोगों में टीबी के नए मामलें देखे गए। यह वर्ष 1995 में डब्ल्यूएचओ द्वारा निगरानी शुरू करने के बाद से सबसे अधिक संख्या है।
वर्ष 2023 में टीबी कोविड-19 को पीछे छोड़ते हुए, पुनः प्रमुख संक्रामक रोग बन गया है।
वित्तीय संसाधन में कमी :वर्ष 2023 में लक्षित 2200 करोड़ डॉलर में से केवल 570 करोड़ डॉलर ही उपलब्ध थे।
भारत में फंडिंग में गिरावट : भारत में टीबी के लिए कुल वित्तपोषण वर्ष 2019 में 43.2 करोड़ डॉलर से घटकर वर्ष 2023 में 30.2 करोड़ डॉलर हो गया।
जबकि, घरेलू वित्तपोषण 34.5 करोड़ डॉलर से घटकर 25.3 करोड़ डॉलर रह गया।
क्षय रोग (टीबी) के बारे में
क्या है :एक संक्रामक रोग ।
कारक : मुख्य रूप से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु।
संचरण : हवा के माध्यम से।
जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या थूकता है।
प्रभावित अंग :मुख्य रूप से फेफड़ा; लेकिन शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है।
सामान्य लक्षण :
लंबे समय तक खांसी, अक्सर तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक; इसमें रक्त से सना हुआ थूक शामिल हो सकता है।
सीने में बेचैनी या दर्द, जो अक्सर खांसने से बढ़ जाता है
कमज़ोरी व थकान की स्थिति
थोड़े समय में वजन का घटना
लगातार हल्का बुखार या बीच-बीच में बुखार आना
नींद के दौरान अत्यधिक पसीना आना।
उपचार : मुख्य रूप से एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन से। ताकि प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके और दवा प्रतिरोध विकसित होने का जोखिम कम हो सके।
शहरी क्षेत्रों में उच्च जनसंख्या घनत्व संक्रमण व स्वच्छता का अभाव
मधुमेह, धूम्रपान व शराब का सेवन जैसी स्थितियाँ
प्राथमिक देखभाल तक सीमित पहुंच, निम्न प्रबंधन व देखभाल की व्यवस्था
भारत के टीबी उन्मूलन प्रयास
राष्ट्रीय लक्ष्य और रणनीतिक योजना 2017-2025 : भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक टीबी का उन्मूलन करना है, जबकि वैश्विक निर्धारित लक्ष्य वर्ष 2030 है।
योजना में भारत के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि वर्ष 2025 तक प्रति लाख जनसंख्या पर 44 नए टीबी मामले या कुल 65 मामले से अधिक न हों।
उपचार कवरेज और पहुंच :भारत ने 85% उपचार कवरेज सुनिश्चित किया है और सरकारटीबी के उपचार के लिए मुफ़्त दवाइयाँ प्रदान करती है।
वस्तुतः टीबी का उपचार लंबा और महंगा हो सकता है।
अनुपालन चुनौतियों का निपटान : टीबी के उपचार के लिए अक्सर लंबे समय तक अनुपालन की आवश्यकता होती है।
सरकार अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नवोन्मेषी तरीके विकसित करने पर काम कर रही है, जैसे कि गोली के डिब्बे जो रोगी को दवा लेने के लिए ट्रैक करते हैं और याद दिलाते हैं। साथ ही उपचार के छोटे कोर्स भी शुरू कर रही है।
निक्षय पोर्टल और मित्र :सरकार ने अधिसूचित टीबी मामलों को ट्रैक करने के लिए निक्षय पोर्टल और एक सामुदायिक कार्यक्रम शुरू किया है, जहाँ स्वयंसेवक (निक्षय मित्र) टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करते हैं।
रोगियों की प्रेरणा को बनाए रखने और उपचार के दौरान उचित पोषण सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर पर यह जुड़ाव महत्वपूर्ण है।
उन्नत उपचार विकल्प : दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए बेडाक्विलाइन और डेलामानिड जैसी नई दवाएं अब सरकार की उपचार योजनाओं का हिस्सा हैं।
इससे रोग के अधिक चुनौतीपूर्ण रूपों से निपटने के लिए उपलब्ध चिकित्सीय शस्त्रागार में वृद्धि होगी।
विश्व क्षय रोग दिवस
विश्व क्षय रोग दिवस, प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है। वर्ष 2024 का का विषय है 'हाँ! हम टीबी को खत्म कर सकते हैं!'
गौरतलब है कि 24 मार्च 1882 को डॉ. रॉबर्ट कोच ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की थी ।
इसका उद्देश्य टीबी की वैश्विक महामारी और इस रोग का उन्मूलन करने के लिए किए जा रहे कई प्रयासों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है।