चर्चा में क्यों?
हाल ही में, रामसर अभिसमय ने ‘वैश्विक आर्द्रभूमि रिपोर्ट 2021’ जारी की।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- आर्द्रभूमियों के कुल क्षेत्रफल में अब तक लगभग 35% की कमी आई है। इसके पतन का मुख्य कारण आर्द्रभूमियों का बड़े पैमाने पर कृषि योग्य भूमि में परिवर्तन है।
- जलवायु परिवर्तन अब भी आर्द्रभूमियों के लिये सबसे बड़ा जोखिम बना हुआ है। वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये रामसर अभिसमय को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।
- आर्द्रभूमियों की पुनर्बहाली को ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (Nationally Determined Contributions) और राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं आपदा जोखिम से संबंधित योजनाओं में शामिल करने की आवश्यकता है।
आर्द्रभूमि का महत्त्व
- अच्छी तरह से प्रबंधित आर्द्रभूमि दुनिया भर में कुल मिलाकर 4 बिलियन लोगों को भोजन, पानी और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान कर सकती है।
- पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने और जूनोटिक रोगों के नियंत्रण के लिये आर्द्रभूमियों को महत्त्वपूर्ण माना जाता है, जिससे भविष्य की महामारियों की रोकथाम की जा सकती है।
- आर्द्रभूमि को कार्बन सिंक (Carbon Sink) के लिये सबसे प्रभावी भूमि-आधारित पारिस्थितिकी तंत्र माना जाता है। यह 'ब्लू कार्बन' पारिस्थितिक तंत्र, जैसे कि तटीय आर्द्रभूमि, उष्णकटिबंधीय वर्षावन आदि की तुलना में 55 गुना तेजी से ‘कार्बन पृथक्करण’ (Carbon Sequestration) करती है।