हाल ही में, हिंद महासागर क्षेत्र (आई.ओ.आर.) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये भारत सरकार द्वारा ‘फाइव एस’ दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया गया।
सरकार के अनुसार लगभग 7500 किलोमीटर की विशाल तट रेखा वाले देश तथा हिंद महासागर क्षेत्र के सबसे बड़े राष्ट्र के रूप में भारत को क्षेत्र में सभी देशों के शांतिपूर्ण और समृद्ध सह-अस्तित्व को सुनश्चित करने के लिये सक्रिय भूमिका निभाने की ज़रुरत है।
प्रमुख बिंदु
फाइव 'एस' विज़न का अर्थ ‘सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति और समृद्धि’ से है। अर्थात हिंद महासागर क्षेत्र के देशों का सम्मान, उनके बीच संवाद, सहयोग और शांति स्थापित कर समृद्धि के रास्ते खोलना है।
ध्यातव्य है कि वैश्विक व्यापार का लगभग 75% भाग और दैनिक वैश्विक हस्तांतरण का लगभग 50% भाग इस क्षेत्र से होकर गुज़रता है। अतः विश्व के आधे कंटेनर जहाज़ों, थोक कार्गो यातायात का एक तिहाई और वैश्विक तेल व्यापर के दो तिहाई भाग को सुगम बनाने वाले प्रमुख समुद्री मार्गों के कारण हिन्द महासागर न सिर्फ एक साझा परिसंपत्ति है बल्कि इस क्षेत्र के लिये एक जीवन रेखा भी है।
ध्यातव्य है कि वर्ष 2015 में भारत ने हिंदमहासागर क्षेत्र में ‘सभी के लिये सुरक्षा और विकास’ को सुनिश्चित करने के लिये अपने ‘सागर विज़न’ को प्रस्तुत किया था।
इसके अलावा सरकार ने तटवर्ती देशों में आर्थिक और सुरक्षा संबंधी सहयोग को मज़बूत करने, भूमि और समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के लिये क्षमताओं को बढ़ाने, टिकाऊ क्षेत्रीय विकास की दिशा में काम करने, विनियमित फिशिंग सहित ब्लू अर्थव्यवस्था, प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री डकैती, आतंकवाद, अवैध, असूचित और अनियमित (आई.यू.यू.) फिशिंग आदि जैसे क्षेत्रों की पहचान की, जिन पर व्यापक स्तर पर कार्य किया जाना है।
उल्लेखनीय है कि हिन्द महासागर क्षेत्र को समुद्री डकैती, ड्रग्स/ लोगों और हथियारों की तस्करी, मानवीय एवं आपदा राहत और खोज और बचाव (एस.ए.आर.) जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिन्हें समुद्री सहयोग के ज़रिए पूरा किया जा सकता है ।