(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)
संदर्भ
हाल ही में, सरकार ने जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान लघु बचत साधनों/जमाओं पर ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। विगत तीन माह में सरकारी प्रतिभूति प्रतिफल (G-Sec Yields) में तेज वृद्धि को देखते हुए दरों में बढ़ोतरी न करने का निर्णय लिया गया है।
क्या है जी-सेक
- सरकारी प्रतिभूति या सरकारी बॉण्ड जैसे साधनों का उपयोग सरकारें धन उधार लेने के लिये करती हैं। सरकारें नियमित रूप से घाटे में रहती हैं- अर्थात वे करों के माध्यम से प्राप्त होने वाली आय (राजस्व) से अधिक व्यय करती हैं। इसलिये सरकारों को ऋण लेने की आवश्यकता होती है।
- सरकारी प्रतिभूतियाँ निजी स्तर पर दो व्यक्तियों या संस्थाओं के बीच दैनिक ऋण प्रक्रिया से दो मामलों में भिन्न होती हैं-
- पहला, सरकारी प्रतिभूतियों में सभी प्रकार के निवेशों का जोखिम न्यूनतम होता है तथा सरकार द्वारा धन वापस न करने की संभावना लगभग शून्य होती है। इस प्रकार यह सबसे सुरक्षित निवेश है।
- दूसरा, इनकी संरचना तथा प्रभावी ब्याज दरों (जिसे प्रतिफल भी कहते है) की गणना करने का तरीका भी भिन्न है।
जी-सेक प्रतिफल की गणना
- जी-सेक की संरचना के कारण इसके प्रतिफल में समय के साथ परिवर्तन होता रहता है और प्राय: एक ही दिन में इसमें कई बार परिवर्तन हो जाता है।
- प्रत्येक जी-सेक का एक अंकित मूल्य (Face Value), एक कूपन भुगतान (Coupon Payment) और कीमत (Price) होती है। बॉण्ड की कीमत उसके अंकित मूल्य के बराबर भी हो सकती है अथवा नहीं भी।
- उदाहरण- मान लीजिये सरकार ने 100 रुपये के अंकित मूल्य और 5 रुपये के कूपन भुगतान के साथ 10 वर्ष के लिये सरकारी प्रतिभूति जारी किया।
- यदि कोई सरकार से एक जी-सेक खरीदना चाहता है, तो उसे आज सरकार को 100 रुपये देना होगा। सरकार परिपक्वता अवधि (10 वर्ष) पूरा होने पर 100 रुपये की राशि वापस करने का वादा करेगी तथा परिपक्वता अवधि के अंत तक प्रत्येक वर्ष 5 रुपये का भुगतान करेगी।
- यहाँ इस जी-सेक का अंकित मूल्य इसकी कीमत के बराबर है तथा इसका प्रतिफल (या प्रभावी ब्याज दर) 5% है।
जी-सेक प्रतिफल में उतार-चढ़ाव
- सरकार द्वारा सीमित संख्या में जी-सेक जारी करने और खरीदार की संख्या अधिक होने पर प्रतिस्पर्धा के कारण बोली लगेगी जिससे बॉण्ड की कीमत अंकित मूल्य से अधिक हो सकती है।
- हालाँकि, ऐसी स्थिति में भी जी-सेक का कूपन भुगतान वही रहेगा। अत: परिणामी प्रतिफल (प्रभावी ब्याज दर) कम हो जाएगा। इस प्रकार, अधिक प्रतिस्पर्धा के कारण ज्यादा बोली लगने से प्रभावी ब्याज दर कम होती जाती है।
जी-सेक प्रतिफल के मायने
- किसी भी अर्थव्यवस्था में सरकारी प्रतिभूतियां सबसे सुरक्षित निवेश मानी जाती हैं और ये अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों की व्यापक प्रवृत्ति का पता लगाने का एक अच्छा तरीका हैं।
- सरकारी प्रतिभूति पर प्रतिफल का बढ़ना बॉण्ड की कीमतों में गिरावट को प्रदर्शित करता हैं अर्थात कम लोग सरकारी प्रतिभूति खरीदना (या सरकार को कम लोग ऋण देना) चाहते हैं।
- इसका तात्पर्य यह है कि लोग सरकार की वित्तीय स्थिति या वापस भुगतान करने की क्षमता के बारे में चिंतित होते जा रहा है।
- दूसरी तरफ, यदि अधिक से अधिक लोग ऐसे सरकारी प्रतिभूति को उधार देना चाहते हैं तो बॉण्ड की कीमतों में वृद्धि और प्रतिफल में कमी आती है।