प्रारंभिक परीक्षा – 'ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम'(GCP) मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3, पर्यावरण |
संदर्भ
केंद्र सरकार ने वृक्षारोपण कर ग्रीन क्रेडिट अर्जित करने के पद्धतियों को 28 फरवरी, 2024 अधिसूचित किया।
प्रमुख बिंदु
- इन तरीकों को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने ग्रीन क्रेडिट नियम, 2023 के प्रावधानों के आधार पर अधिसूचित किया है।
- इन्हें भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) की सिफारिश पर तैयार किया गया है।
'क्रेडिट गणना की अधिसूचित पद्धतियां
(Notified methods of credit calculation)
- प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश का वन विभाग हरित आवरण (Green cover) बढ़ाने के लिए प्रशासनिक नियंत्रण के तहत निम्नीकृत भूखंडों की पहचान करेगा।
- वृक्षारोपण के लिए चिन्हित भूखंड बिना विवाद वाला होना चाहिए और उसका आकार 5 हेक्टेयर या उससे अधिक होना चाहिए।
- भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) ने वन विभाग को दो साल के भीतर वृक्षारोपण का कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है।
- इस कार्यप्रणाली के तहत हरित क्रेडिट की गणना ऐसे भूमि खंड पर वृक्षारोपण के माध्यम से उगाए गए प्रति पेड़ एक हरित क्रेडिट की दर से की जाएगी, जो प्रति हेक्टेयर 1100 पेड़ों के न्यूनतम घनत्व के अधीन होना चाहिए।
- ग्रीन क्रेडिट किसी निर्धारित गतिविधि के लिए प्रदान किए गए प्रोत्साहन की एक यूनिट को कहा जाता है।
- यह गतिविधि पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाली होनी चाहिए।
- ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम (GCP) के तहत आठ गतिविधियों/ क्षेत्र को शामिल किया गया है।
- वृक्षारोपण इन्हीं में से किसी एक में किया जा सकेगा।
- इसका का लक्ष्य बाजार-आधारित तंत्न के माध्यम से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाले कायों को प्रोत्साहित करना और इसके बदले ग्रीन क्रेडिट जारी करना है।
- ग्रीन क्रेडिट को ख़रीदा-बेचा जा सकता है।
- इन्हें घरेलू बाजार प्लेटफॉर्म पर खरीद-बिक्री के लिए उपलब्ध किया जा सकेगा।
- ICFRE, ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम के प्रशासक के रूप में कार्य करेगी।
- इस संस्था को इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन, प्रबंधन, निगरानी और परिचालन की जिम्मेदारी भी सौपी गई है।
ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम (GCP) के लिए पहचाने गए अन्य क्षेत्र
- जल संरक्षण,
- संधारणीय कृषि,
- जल प्रबंधन,
- वायु प्रदूषण में कमी,
- मैंग्रोव संरक्षण एवं पुनर्बहाली,
- इकोमार्क लेबल विकास,
- संधारणीय भवन निर्माण (बिल्डिंग)
- अवसंरचना।
ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP):
- इसके तहत, व्यक्ति, उद्योग, किसान उत्पादक संगठन (FPO), शहरी स्थानीय निकाय (ULB), ग्राम पंचायतें और निजी क्षेत्र, अन्य संस्थाएं, पर्यावरण-अनुकूल कार्यों को करने के लिए ‘ग्रीन क्रेडिट’ अर्जित करने में सक्षम होंगे।
- इन कार्यों में पेड़ लगाना, जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन और वायु प्रदूषण को कम करना शामिल है।
- प्रस्तावित घरेलू बाजार मंच पर ग्रीन क्रेडिट का व्यापार किया जा सकेगा।
- यह पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उपभोक्ताओं/समुदायों को व्यवहार परिवर्तन की ओर प्रेरित करके स्थायी जीवन शैली को प्रोत्साहित करने के लिए LiFE - पर्यावरण के लिए जीवन शैली (Lifestyle for Environment) - के सिद्धांत का पालन करता है।
- इस योजना का कार्यान्वयन: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधीन(स्वायत्त संगठन/सरकारी एजेंसी) कार्य करने वाले भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद के अधीन होगा।
ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम'(GCP) के उद्देश्य:
- स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों/व्यक्तिगत या सामुदायिक व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए एक बाजार-आधारित (आपूर्ति और मांग) तंत्र बनाना।
- निजी क्षेत्र के साथ-साथ अन्य संस्थाओं को दायित्वों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करना।
ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP) का महत्व:
- यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है जो हरित परियोजनाओं को कार्बन के आलावा अन्य रिटर्न प्राप्त करने की अनुमति देने के लिए कई पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को महत्व देने और पुरस्कृत करने का प्रयास करता है।
- यह योजना, परियोजना समर्थकों को अतिरिक्त रूप से कार्बन बाजारों तक पहुंच की अनुमति देगी है ।
भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE):
- इसका मुख्यालय देहरादून (उत्तराखंड) में स्थित है।
- यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी है।
- 1 जून 1991 को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्थान घोषित किया गया।
- 5 जून 1906 को देश में वानिकी अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा इंपीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई।
- वर्ष 1986 में देश के वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार आवश्यकताओं के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद् का गठन किया गया।
संकल्पना
- राष्ट्रीय वानिकी कार्रवाई कार्यक्रम औऱ राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान योजना के परिचालनीयकरण के जरिए वन आच्छादन में वृद्धि करना तथा वन उत्पादकता बढ़ाना।
लक्ष्य
- अनुसंधान और शिक्षा द्वारा सतत आधार पर वनों से संबंधित समस्याओं को निपटाना ।
- लोगों, वनों और पर्यावरण के बीच पारस्परिक क्रिया से उत्पन्न करना।
- वनों से संबंधित प्रौद्योगिकियों और समाधानों को सृजित करना, परिरक्षित करना, प्रसारित करना एवं वनों का उन्नयन करना।
उद्देश्य
- वानिकी में अनुसंधान, शिक्षा, सहायता, प्रोत्साहन और समन्वय करना।
- वानिकी और संबद्ध विज्ञान के लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र (पुस्तकालय) का विकास और रखरखाव करना
- वनों, जैव विविधता, पर्यावरण और पारिस्थितिकी से संबंधित अनुसंधान और सामान्य जानकारी के लिए समाशोधन के रूप में कार्य करना।
- विभिन्न विस्तार कार्यक्रमों को विकसित करना और मास मीडिया तथा दृश्य-श्रव्य विस्तार मशीनरी के माध्यम से प्रचारित करना।
- वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में तथा संबद्ध विज्ञानों में परामर्श सेवाएं प्रदान करना।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- केंद्र सरकार ने वृक्षारोपण कर ग्रीन क्रेडिट अर्जित करने के पद्धतियों को 28 फरवरी, 2024 अधिसूचित किया।
- इन तरीकों को भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) की सिफारिश पर तैयार किया गया है।
- भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद को 1 जून 1991 को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्थान घोषित किया गया।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : 'ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम'(GCP) के महत्त्व का उल्लेख कीजिए।
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स्रोत:टाइम्स ऑफ़ इंडिया