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हरित हाइड्रोज़न : भविष्य के लिये स्वच्छ ईंधन

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन सम्बंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

पृष्ठभूमि

टिकाऊ और सस्ती ऊर्जा के भविष्य के लिये हाइड्रोज़न धीरे-धीरे स्वच्छ ऊर्जा मिश्रण का हिस्सा बनता जा रहा है। इसको तेज़ी से बढ़ते हुए एक भावी घटक के रूप में देखा जा रहा है, जो ऊर्जा संक्रमण, जैसे- ऊर्जा क्षेत्र का डी-कार्बनाइज़ेशन और जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा में स्थानांतरण की गति को तीव्र करेगा।

हरित हाइड्रोज़न

  • हाइड्रोज़न का उत्पादन कई विधियों से किया जा सकता है। सबसे स्थापित और प्रमाणित तरीकों में से एक है- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके किसी इलेक्ट्रोलाइज़र के माध्यम से जल को हाइड्रोज़न और ऑक्सीजन में विभाजित करना।
  • इस प्रकार उत्पादित हाइड्रोज़न को हरित हाइड्रोज़न कहते हैं, जबकि अन्य विधियों में कार्बन का उत्सर्जन होता हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा की लागतों में गिरावट के साथ ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता के कारण राजनीतिक और व्यापारिक परिप्रेक्ष्य में हाइड्रोज़नका महत्त्व बढ़ता जा रहा है।

जीवाश्म ईंधन से हाइड्रोज़न आधारितनवीकरणीय ऊर्जा में स्थानांतरण की स्थिति:

  • यद्यपि ऊर्जा संक्रमण अभी नवजात अवस्था में है परंतु हाइड्रोज़न आधारित बाज़ारों व परियोजनाओं के विकास ने इसको गति देने के साथ-साथ ऊर्जा बाज़ारों का भी ध्यान आकर्षित किया है।
  • हाइड्रोज़न का सम्भावित उपयोग उद्योग, परिवहन, बिजली और वितरित ऊर्जा सहित विभिन्न एंड-यूज़ क्षेत्रों (End-Use Sectors) में किया जा सकता है।
  • इंड-यूज़ ऊर्जाउपयोगकर्ता द्वारा सीधे उपभोग की जाने वाली ऊर्जा है। यह प्राथमिक ऊर्जा के विपरीत है, जो कि प्राकृतिक संसाधनों से सीधे प्राप्त की गई ऊर्जा है।

भविष्य में हाइड्रोज़न का महत्त्व

  • उद्योग निकाय हाइड्रोज़न परिषद् के अनुमानों के अनुसार, हाइड्रोज़न तकनीक भविष्य में विश्व की कुल ऊर्जा आवश्यकता के लगभग 18% की आपूर्ति करने के साथ ही वर्ष 2050 तक दुनिया भर में लगभग 425 मिलियन वाहनों को शक्ति/पॉवर देने में सक्षम होगी।
  • वर्ष 2050 के लिये यूरोपीय आयोग के ऊर्जा रोडमैप द्वारा प्रस्तावित किया गया है कि 85% ऊर्जा का उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से किया जाएगा,जिसका 65% हिस्सा सौर और पवन ऊर्जा से आएगा।
  • इस माँग को पूरा करने के लिये, आयोग ने जल के अणुओं को हाइड्रोज़न व ऑक्सीजन में विभाजित करने तथा बाद में उपयोग के लियेहाइड्रोज़न का भंडार करने के लिये अतिरिक्त बिजली के उपयोग का प्रस्ताव दिया है।
  • कई अन्य देश/क्षेत्र पूरी तरह से न्यूनतम कार्बन आधारित बिजली (Low-Carbon Electricity) की ओर स्थानांतरित होकर उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य बना रहे हैं। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया राज्य का लक्ष्य वर्ष 2025 तक निम्न-कार्बन स्रोतों से 100% बिजलीपैदा करने का है। वर्ष 2040 तक स्वीडन,वर्ष 2045 तक कैलिफोर्नियाऔर वर्ष 2050 तक डेनमार्क इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

निम्न कार्बन आधारित बिजली (Low-Carbon Electricity) और हरित हाइड्रोज़न

  • सौर और पवन तकनीक की घटती लागत से भविष्य के ऊर्जा मिश्रण में इनकी हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा,नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग न केवल निम्न कार्बन बिजली प्रदान करने के लिये किया जा सकता है, बल्कि ग्रीन हाइड्रोज़न भी बनाया जा सकता है, जो एंड-यूज़ क्षेत्रों (End-Use Sectors) जैसे- परिवहन, उद्योगों और भवन में जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को विस्थापित कर सकता है।
  • यह कई प्रक्रियाओं में फीडस्टॉक्स के रूप में भी जीवाश्म ईंधन की जगह ले सकता है। यह हाइड्रोज़न को एक बहुमुखी प्रौद्योगिकी बनाता है, जो अर्थव्यवस्थाओं को डी-कार्बोनाइज़ करने में मदद कर सकती है।

हरित हाइड्रोज़न : लागत

  • विद्युत अपघटित(इलेक्ट्रोलाइटिक)हाइड्रोज़न उत्पादन में बिजली की लागत सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। ज़्यादातर मामलों में कार्बन कैप्चर यूज़ एंड स्टोरेज (CCUS) या नवीकरणीय विद्युत के साथ उत्पादित कम कार्बन उत्सर्जन वाले हाइड्रोज़न (Low-Carbon Hydrogen) जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न हाइड्रोज़न की तुलना में महंगे हैं।
  • प्राकृतिक गैस से उत्पादित हाइड्रोज़न की लागत आम तौर पर $1.53/kgH2 के आसपास होती है, जबकि नवीकरणीय विद्युत (सौर पी.वी. या तटवर्ती पवन) से उत्पन्न हाइड्रोज़न के लिये यह लागत लगभग $2.56/kgH2 है।
  • अत्यधिक कम लागत वाले सौर और विद्युत अपघटन के संयोजन और बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण वर्ष 2025 तक हरित हाइड्रोज़न की लागत घटकर $1.5प्रति किलोग्राम हो जानी चाहिये। फिर यह लागत वर्ष 2030 तक $1 तक हो जानी चाहिये, जो सम्भवत: यूरोप में प्राकृतिक गैस की लागत के बराबर होगी।
  • उच्च क्षमता, प्लांट ऑटोमेशन, प्लांट लोड मैक्सिमाइज़ेशन से वर्ष 2025 तक इलेक्ट्रोलिसिस प्लांट की लागत को $300/किलोवाट और वर्ष 2030 में $200/किलोवाट तक कम करने में मदद मिल सकती है।

भारत और हाइड्रोज़न

  • टेरी (TERI) के अनुसार, भारत में हाइड्रोज़न के उपयोग का सम्भावित अनुमान बहुत अधिक है, जो वर्ष 2050 तक तीन से दस गुना बढ़ सकता है।
  • यह कार्बन-तटस्थ अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण में सहायक सिद्ध होगा।

बाधाएँ

  • ऊर्जा संक्रमण में हाइड्रोज़न के पूर्ण लाभों का दोहन करने के लिये कई बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है।
  • इन बाधाओं में इसके महत्त्व की अपर्याप्त मान्यता, प्राथमिक स्तर पर बड़े पैमाने पर निवेश के दीर्घकालिक जोखिमों को कम और साझा करने के लिये तंत्र की कमी के साथ-साथ हितधारकों के बीच समन्वित कार्रवाई की कमी, विकासशील तकनीकों के साथ निष्पक्ष आर्थिक व्यवहार और अर्थव्यवस्थाओं को चलाने के लिये सीमित प्रौद्योगिकी मानकशामिल हैं।

आगे की राह

  • लम्बे समय तक हाइड्रोज़न के फायदेप्रेरणादायक हैं और ऊर्जा संक्रमण के लिये एक उत्साहजनक तस्वीर पेश करते हैं। पिछले तीन वर्षों में उत्पादों के व्यवसायीकरण ने इस क्षेत्र की वृद्धि को गतिप्रदान की है।
  • सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला के साथ हाइड्रोज़न से सम्बंधित प्रौद्योगिकियों की लागत और प्रदर्शन में सुधार से हरित हाइड्रोज़न क्रांति में मदद मिलेगी।

प्री फैक्ट :

  • हाइड्रोज़न उत्पादन की सबसे स्थापित और प्रमाणित विधियों में से एक ‘नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके किसी इलेक्ट्रोलाइज़र के माध्यम से जल को हाइड्रोज़न और ऑक्सीजन में विभाजित करना’ है।इस प्रकार उत्पादित हाइड्रोज़न को हरित हाइड्रोज़न कहतेहैं।
  • इंड-यूज़ ऊर्जा उपयोगकर्ता द्वारा सीधे उपभोग की जाने वाली ऊर्जा है।इंड-यूज़ क्षेत्रों (End-Use Sectors) में उद्योग, परिवहन, बिजली और वितरित ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया जा सकता है।
  • वर्ष 2050 के लिये यूरोपीय आयोग के ऊर्जा रोडमैप ने प्रस्तावित किया है कि 85% ऊर्जा का उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से किया जाएगा।

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