(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण पारिस्थितिकी)
(सामान्य अध्ययन, मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र-3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोजमर्रा के जीवन पर इनका प्रभाव, पर्यावरण संरक्षण)
चर्चा में क्यों?
कोविड-19 महामारी और वाहनों के उत्सर्जन के बारे में लोगों की बढ़ती समझ ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में विकास की अपार सम्भावनाएँ पैदा कर दी हैं।
भूमिका
- हाल के वर्षों में भारत के इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में वृद्धि हुई है, हालाँकि यह गति वैश्विक औसत से कम है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine -ICE) वाहनों की बिक्री अधिक होती है।
- वर्तमान में भारत के इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में अधिकांश हिस्सा ई-रिक्शे का है, जो एक स्वच्छ और किफायती आवागमन प्रदान करता है। इसीलिये भारत में अमेज़न जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भी माल के आवागमन हेतु पूर्ण रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग पर विचार कर रही हैं।
इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में भारत के प्रयास
नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (National Electric Mobility Mission Plan-NEMMP) को वर्ष 2013 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत वर्ष 2020 तक 6 से 7 मिलियन हाइब्रिड वाहनों की बिक्री के लक्ष्य को प्राप्त करना है।इसके अंतर्गत वर्ष 2015 में इलेक्ट्रिक तथा हाइब्रिड वाहनों के निर्माण की तकनीक के प्रोत्साहन हेतु फेम इंडिया (Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid &) Electric Vehicles in India (FAME India) योजना शुरू की गई। प्रारंभ में इस योजना को 2 वर्षों के लिये शुरू किया था लेकिन बाद में इसके पहले चरण (फेम-I) को 4 वर्षों के लिये बढ़ा दिया गया था।इस योजना में इलेक्ट्रिक वाहनों केखरीद मूल्य को उचित बनाकर माँग प्रोत्साहन, प्रौद्योगिकी मंच, पायलट परियोजनाओं और चार्जिंग पॉइंट के लिये बुनयादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
Table 1: EV Sales in India (2014–15 to 2019–20)
Segment |
FY15 |
FY16 |
FY17 |
FY18 |
FY19 |
FY20 |
e-2-wheelers |
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20,000 |
23,000 |
54,800 |
126,000 |
152,000 |
e-4-wheelers |
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2,000 |
2,000 |
1,200 |
3,600 |
3,400 |
Buses |
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|
|
|
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600 |
Total |
16,000 |
22,000 |
25,000 |
56,000 |
129,600 |
156,000 |
‘फेम योजना’ के दूसरे चरण (फेम-II) की शुरुआत वर्ष 2019 में तीन वर्षों के लिये की गई है। इसके लिये बड़े बजट का प्रावधान सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शता है, साथ ही इस क्षेत्र में कार्यशील कम्पनियों, शोधकर्ताओं और खरीददारों के लिये विशेष छूट के प्रावधान किये गए हैं।
भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र की चुनौतियाँ
- वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत अधिक है तथा यह एक आम भारतीय के बजट में समाहित नहीं हो पा रही है।
- भारत में इस क्षेत्र में तकनीकी नवाचार (Technological Innovation) की कमी है तथा यह क्षेत्र अधिकांश रूप से आयात पर निर्भर है।
- कम्पनियों तथा खरीदारों को छूट तथा सब्सिडी प्राप्त करने के लिये विभिन्न शर्तों तथा प्रशासनिक जटिलताओं (Administrative Hurdles) का सामना करना पड़ता है।
- भारत में इलेक्ट्रिक चौपहिया वाहनों का बाज़ार सीमित है। इसका मुख्य कारण फेम-II योजना में इन वाहनों को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं दिया जाना है।
- लेड एसिड बैटरी (Lead-acid Battery) की तुलना में लिथियम आयन बैटरी (Lithium-ion Battery) दोगुनी महँगी होती है, जिसे फेम-II योजना के दायरे से बाहर रखा गया है। इसका इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- वर्तमान में भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में एक मज़बूत मूल्य श्रृंखला (इसमें किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन से लेकर वितरण तक सभी गतिविधियाँ शामिल होती हैं) के अभाव के चलते इस क्षेत्र से जुड़े निर्माताओं को कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे इस क्षेत्र की वृद्धि बाधित हो रही है।
आगे की राह
- भारत सरकार को इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र के लिये अपने नीतिगत दृष्टिकोण में परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
- भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित किये जाने से प्रदूषण के स्तर में गिरावट आएगी, जिससे भारत की तेल आयात पर निर्भरता कम होगी,साथ ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्वच्छ ऊर्जा सम्बंधी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी सहायता मिलेगी ।
- सरकार को इलेक्ट्रिक वाहन सम्बंधी नीति में निर्माताओं, निवेशकों उपभोक्ताओं के लाभ हेतु सनसेट क्लॉज़ (इस प्रावधान के तहत नियम या कानून या इनका कोई खंड एक निश्चित अवधि के पश्चात निष्प्रभावी हो जाता है) का प्रावधान करना चाहिये, ताकि समय के साथ नए नीतिगत परिवर्तन किये जा सकें।
निष्कर्ष
यह क्षेत्र भारत में अभी नवजात अवस्था में है, इसलिये इस क्षेत्र को मेक इन इंडिया तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसे कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।भारत सरकार द्वारा ऊर्जा सुरक्षा तथा आयात बिल को कम करने हेतु इस क्षेत्र की तरफ विशेष रूप से ध्यानदेने की आवश्यकता है।
प्री फैक्ट्स
- National Electric Mobility Mission Plan (NEMMP) की शुरुआत वर्ष 2013 में भारी उद्योग विभाग (Department of Heavy Industry-DHI) द्वारा देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और विकास हेतु की गई थी।
- फेम इंडिया (Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid &) Electric Vehicles in India-FAME India) की शुरुआत वर्ष 2015 में 2 वर्षों के लिये की गई थी, बादमें इसके पहले चरण (फेम-I) को 4 वर्षों के लिये बढ़ा दिया गया था।
- फेम-II की शुरुआत अप्रैल 2019 में 3 वर्ष के लिये की गई है।
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