चर्चा में क्यों
हाल ही में, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णिया में देश के पहले ग्रीनफील्ड अनाज आधारित इथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस संयंत्र का निर्माण केंद्र सरकार द्वारा बिहार की ‘इथेनॉल उत्पादन एवं संवर्धन नीति-2021’ को आगे बढ़ाए जाने के बाद ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड ने किया है।
- इस संयंत्र का निर्माण ‘शून्य अपशिष्ट उत्सर्जन’ (Zero Waste Discharge) जैसी नवीनतम तकनीक से किया गया है, जिसमें धान की भूसी और मक्का या चावल का प्रयोग किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि बिहार के 38 में से 18 ज़िलों को प्रमुख मक्का उत्पादक क्षेत्र (Corn Belt) के रूप में जाना जाता है।
शून्य तरल उत्सर्जन (Zero Liquid Discharge)
- ‘शून्य तरल उत्सर्जन’ या ‘शून्य अपशिष्ट उत्सर्जन’ एक अपशिष्ट जल प्रबंधन तकनीक है, जो तरल अपशिष्ट को समाप्त करके जल उपयोग दक्षता को अधिकतम करती है। इसके कार्यान्वयन से जल प्रदूषण में कमी आती है और जलापूर्ति में वृद्धि होती है किंतु यह प्रौद्योगिकी उच्च लागत एवं अत्यधिक ऊर्जा खपत वाली है।
- जेड.एल.डी. प्रक्रिया में अपशिष्ट जल उपचार, पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग पर बल दिया जाता है, जिससे जल संरक्षण में योगदान मिलता है।
- इस प्रक्रिया का उपयोग दवा निर्माता कंपनियों, कपड़े के कारखानों और रासायनिक व उर्वरक संयंत्रों में किया जाता है।