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ग्रीनिंग एंड रेस्टोरेशन ऑफ वेस्टलैंड विद एग्रो फॉरेस्ट्री (GROW) रिपोर्ट

प्रारंभिक परीक्षा –  ग्रीनिंग एंड रेस्टोरेशन ऑफ वेस्टलैंड विद एग्रो फॉरेस्ट्री (GROW) रिपोर्ट
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ

नीति आयोग ने ‘ग्रीनिंग एंड रेस्टोरेशन ऑफ वेस्टलैंड विद एग्रो फॉरेस्ट्री (GROW) रिपोर्ट’ का अनावरण किया।

GROW

प्रमुख बिंदु 

  • यह रिपोर्ट बंजर भूमि को उत्पादक कृषि वानिकी (Agroforestry) क्षेत्रों में बदलने की क्षमता पर जोर देती है।
  • इसमें भारत के सभी जिलों में कृषि-वानिकी गतिविधियों के उपयुक्त होने की संभावना का मूल्यांकन करने के लिए रिमोट सेंसिंग और GIS तकनीकों का इस्तेमाल किया है।
  • इस रिपोर्ट में कृषि-वानिकी को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देने के लिए एक कृषि वानिकी उपयुक्तता सूचकांक (Agroforestry Suitability Index: ASI) भी पेश किया गया है।
  • GROW पहल का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को बहाल करना है।
  • इसके साथ ही अतिरिक्त कार्बन सिंक स्थापित करने का लक्ष्य है जिससे  जो 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के समकक्ष को अवशोषित करने में सक्षम होगा।

कृषि वानिकी उपयुक्तता सूचकांक (Agroforestry Suitability Index-ASI) :

  • यह राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता निर्धारण के लिए विषयगत आँकड़ों पर आधारित है ।
  • इस रिपोर्ट में राज्य-वार और जिला-वार विश्लेषण किया गया है
  • इस पहल में हरियाली के बहाली परियोजनाओं में सरकारी विभागों और उद्योगों का समर्थन करने के लिए रिपोर्ट में विस्तृत विश्लेषण प्रदान किया गया है।

बंजर भूमि (Wasteland)

  • बंजर भूमि (Wasteland) ऐसी भूमि होती है, जो खेती के लिए न तो उपजाऊ होती है न ही उपयुक्त होती है।
  • ऐसी भूमि का  चराई और अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए भी उपयोग नहीं होता है।
  • भारत के बंजर भूमि एटलस 2019 के अनुसार वर्ष 2015-16 में भारत के कुल भौगोलिक क्षेल का 16.96% हिस्सा बंजर भूमि था।

वेस्टलैंड एटलस – 2019

  • वेस्टलैंड एटलस – 2019 के अनुसार वर्ष 2015-16 के कुल अनुमानित बंजर भूमि क्षेत्र 55.76 मिलियन हेक्टेयर (भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 16.96%) है।
  • इसमें वर्ष 2008-09 से 56.60 मिलियन हेक्टेयर (17.21%) की कमी देखी गई है।

बंजर भूमि में परिवर्तन

  • राजस्थान (0.48 Mha), बिहार (0.11 Mha), उत्तर प्रदेश (0.10 Mha), आंध्र प्रदेश (0.08 Mha), मिजोरम (0.057 Mha), मध्य प्रदेश (0.039 Mha), जम्मू और कश्मीर (0.038 Mha) और पश्चिम बंगाल (0.032 Mha) जैसे राज्यों में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला है।
  • अधिकांश क्षेत्र फसल भूमि (0.64 Mha), वन-सघन/खुला (0.28 Mha), वन वृक्षारोपण (0.029 Mha), बागान (0.057 Mha) और औद्योगिक क्षेत्र (0.035 Mha) जैसी श्रेणियों में परिवर्तित हो गया है।

कृषि-वानिकी 

  • भूमि-उपयोग प्रणालियों का एक सामूहिक नाम है।
  •  इसमें कृषि भूमियों पर फसलों और पशु पालन के साथ-साथ वृक्षों का प्रबंधन भी किया जाता है।
  • वर्तमान में कृषि-वानिकी भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 8.65% कवर करती है।

कृषि-वानिकी से संबंधित पहल

  • राष्ट्रीय कृषि-वानिकी नीति, 2014 लागू की गई है।
  • राष्ट्रीय संधारणीय कृषि मिशन के तहत कृषि वानिकी पर उप-मिशन शुरु किया गया है।
  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में कृषि वानिकी घटक को शामिल किया गया है।
  • 'भारत, बॉन चैलेज संकल्प में शामिल हुआ है।
  •  इस संकल्प के तहत भारत ने वर्ष 2020 तक 13 मलियिन हेक्टेयर (MHA) निम्नीकृत  और वन-उन्मूलन वाली भूमि को पुनर्वहाल करने का लक्ष्य रखा है।
  • वर्तमान में, कृषि-वानिकी भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 8.65% भाग  कवर करती है।

कृषि-वानिकी के  प्रकार :

  • एग्रीसिल्वीकल्चरल सिस्टम: इस प्रणाली में समान भूखंड पर फसले भी उगाई जाती हैं और पेड़ भी उगाए जाते हैं।
  • सिल्वोपास्टोरल सिस्टमः इसमें चरागाहों या कृषि भूमि में वानिकी भी की जाती है और पालतू पशुओं को भी पाला जाता है।
  •  एग्रोसिल्वोपास्टोरल सिस्टम: इसमें समान भूखंड पर पेड़ों को उगाना, पशुओं को पालना और फसलों की खेती एक साथ की जाती है।

कृषि वानिकी का महत्त्व

  • यह माइक्रोक्लाइमेट मॉडरेशन और कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करती है।
  • यह उत्पादकता व मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि और मिट्टी के संरक्षण में सहायक है।
  • इसमें कृषि योग्य भूमि का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होता है।
  • बंजर भूमि को उत्पादक कृषि वानिकी प्रणालियों में परिवर्तित कर भूमि उपयोग दक्षता का अनुकूलन करता है।
  • यह मौजूदा कृषि भूमि पर दबाव कम करता है, खाद्य उत्पादन के लिए मूल्यवान कृषि योग्य भूमि को संरक्षित करता है।
  • वृक्षों को फसलों या पशुधन के साथ एकीकृत करके ग्रामीण समुदायों के लिए विविध आय के अवसर प्रदान करता है।
  • लकड़ी, फल, मेवे और अन्य कृषि वानिकी उत्पादों के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करता है, जिससे आर्थिक कल्याण बढ़ता है।
  • स्वदेशी और कम उपयोग में ली जाने वाली वृक्ष प्रजातियों को बढ़ावा देना, ताकि आयातित लकड़ी और लकड़ी उत्पादों पर निर्भरता कम हो सके।
  • कृषि वानिकी में उच्च पैदावार के लिए आनुवंशिक रूप से उन्नत सामग्री और प्रथाओं का विकास करना।
  • वृक्षों, फसलों और पशुधन को एकीकृत करके खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसी चुनौतियों का समाधान करता है।
  • कृषि वानिकी मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि कर, मिट्टी का कटाव कम करके और जैव विविधता को बढ़ावा देते हुए बंजर या क्षरित भूमि को पुनर्स्थापित करती है।
  • इससे वृक्षों के माध्यम से  मिट्टी को स्थिरता प्राप्त होता है, वृक्ष जल के बहाव को रोकते हैं और मिट्टी की संरचना में सुधार करते हैं, जिससे भूमि क्षरण को कम किया जा सकता है।
  • कृषि वानिकी कार्बन पृथक्करण (Carbon Sequestration), और जलवायु परिवर्तन से निपटने में योगदान देती है।
  •  जलसंभर संरक्षण, मृदा संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण में योगदान देता है।

कृषि वानिकी की सीमाएँ

  • वृक्ष फसलों या पशुधन एकीकरण की स्थापना के लिए आवश्यक अग्रिम निवेश में रोपण, बाड़ लगाने, सिंचाई प्रणाली और श्रम के खर्च शामिल हैं, जो संसाधन-सीमित किसानों या समुदायों के लिए एक चुनौती हो सकती है।
  • इसके तहत  वृक्षों को परिपक्व होने और पैदावार देने में समय लगता है, जिससे निवेश पर रिटर्न में देरी होती है और किसानों को धैर्य रखने की आवश्यकता होती है।
  • वृक्षों द्वारा खाद्य फसलों के साथ स्थान, सूर्य का  प्रकाश, नमी और पोषक तत्त्वों के संभावित प्रतिस्पर्द्धा जिससे खाद्य फसलों की पैदावार कम हो सकती है।
  • वृक्षों की कटाई के दौरान खाद्य फसल को नुकसान हो सकता है।
  • वृक्षों में आश्रय पाने वाले हानिकारक कीट खाद्य फसलों को क्षति पहुँचा सकते हैं।
  • वृक्षों का तीव्र विस्तार, खाद्य फसलों को विस्थापित कर सकता है और पूरे खेतों पर कब्जा कर सकता है।
  • अधिक श्रम आदानों की आवश्यकता, जो कई बार अन्य कृषि गतिविधियों में कमी का कारण बन सकती है
  • एकल फसल वाले खेतों की तुलना में कृषि वानिकी अधिक जटिल है।
  • कृषि वानिकी प्रणालियों के विविध घटकों जैसे वृक्षों, फसलों और पशुधन के प्रबंधन के लिए विशेष ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है।
  • किसानों को लकड़ी, फल या मेवे जैसे वृक्ष उत्पादों के विपणन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर अगर इन उत्पादों के लिए स्थानीय या क्षेत्रीय स्तर पर बुनियादी ढाँचा या माँग अपर्याप्त हो।
  • कृषि वानिकी प्रणालियाँ पर्यावरणीय और जलवायु कारकों जैसे सूखा, कीट, बीमारियाँ और चरम मौसम की घटनाओं के प्रति सुभेद्य होती हैं।
  • बंजर भूमि क्षेत्रों में मिट्टी की निम्न गुणवत्ता, सीमित जल उपलब्धता या कठोर जलवायु परिस्थितियाँ हो सकती हैं, जो कृषि वानिकी पहल की सफलता और लचीलेपन को प्रभावित कर सकती हैं।
  • भारत का लक्ष्य इस कृषि पारिस्थितिकीय भूमि उपयोग प्रणाली के माध्यम से उत्पादकता, लाभप्रदता और स्थिरता को बढ़ाना है।
  • कृषिवानिकी भोजन, पोषण, ऊर्जा, रोजगार और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करते हुए पेड़ों, फसलों और पशुधन को एकीकृत करती है।

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. नीति आयोग ने ‘ग्रीनिंग एंड रेस्टोरेशन ऑफ वेस्टलैंड विद एग्रो फॉरेस्ट्री (GROW) रिपोर्ट’ का अनावरण किया।
  2. इस रिपोर्ट में कृषि-वानिकी को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देने के लिए एक कृषि वानिकी उपयुक्तता सूचकांक (Agroforestry Suitability Index: ASI) भी पेश किया गया है।
  3. बंजर भूमि (Wasteland) ऐसी भूमि होती है, जो खेती के लिए न तो उपजाऊ होती है न ही उपयुक्त होती है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

 (c) सभी तीनों 

(d)  कोई भी नहीं 

उत्तर: (c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : ग्रीनिंग एंड रेस्टोरेशन ऑफ वेस्टलैंड विद एग्रो फॉरेस्ट्री (GROW) रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

 स्रोत:pib

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