(प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र-1 : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)
संदर्भ
हाल ही में, कॉप-27 के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 'ग्रीनवाशिंग' के लिये शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance) का आह्वान किया है। गुटेरेस ने निजी निगमों को ग्रीनवाशिंग प्रथाओं से दूर रहने और एक वर्ष के अंतर्गत अपने तरीके सुधारने की चेतावनी दी है।
क्या है ग्रीनवाशिंग
- ग्रीनवाशिंग से तात्पर्य जलवायु कार्रवाई में अनुचित व्यवहार के प्रयोग से है। निजी कंपनियां, निगम और कभी-कभी देश भी, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये किये जा रहे कार्यों और इन कार्यों के प्रभावों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं।
- इस प्रक्रिया में, वे भ्रामक जानकारी प्रदान करते हैं, असत्यापित दावे करते हैं और कभी-कभी अपने उत्पादों या प्रक्रियाओं के बारे में स्पष्ट रूप से झूठ बोलते हैं और गुमराह करते हैं।
- इस प्रकार, ग्रीनवाशिंग वह प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत कंपनियां या नागरिक प्रशासक पर्यावरण के लिये वास्तव में जितना करते है, वह उससे कहीं अधिक प्रचारित करते हैं। इस प्रक्रिया में किसी उत्पाद या नीति को वास्तविकता से अधिक पर्यावरण के अनुकूल या कम हानिकारक बताया जाना शामिल हो सकता है।
- विदित है कि इस शब्द का प्रयोग पहली बार पर्यावरणविद् ‘जे वेस्टरवेल्ड’ द्वारा वर्ष 1986 में किया गया था।
ग्रीनवाशिंग के उदहारण
- कई कंपनियों, निगमों, शहरों, राज्यों और देशों ने शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्धता प्रकट की है, परंतु विनियमन के अभाव में इन प्रतिज्ञाओं का पालन नहीं किया जाता हैं।
- एक अनुमान के अनुसार, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 75% के लिये कोयला, तेल और गैस उत्तरदायी है, जो शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य प्राप्ति के प्रयासों से पूरी तरह से असंगत हैं।
- अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग ने वॉलमार्ट कंपनी पर ग्राहकों को गुमराह करने के लिये 5.5 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया, क्योंकि इसने घर के सजावटी सामानों को बांस से निर्मित बताकर बेचा था, जबकि ये रेयॉन से बने थे।
- विदित है कि रेयॉन सेल्युलोज से बना एक फाइबर है जिसके निर्माण में सोडियम हाइड्रॉक्साइड जैसे हानिकारक रसायनों का उपयोग होता है जो पर्यावरण के लिये खतरनाक हैं।
- जर्मन कार कंपनी वोक्सवैगन पर ग्रीन डीजल वाहनों के उत्सर्जन परीक्षण में धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। इसके अलावा शेल मेक्स और बीपी लिमिटेड तथा कोका कोला जैसी कई अन्य बहुराष्ट्रीय निगमों को भी ग्रीनवाशिंग के आरोपों का सामना करना पड़ा है।
कार्बन क्रेडिट पर ग्रीनवॉशिंग का प्रभाव:
- वर्तमान में अनौपचारिक बाजारों में सभी प्रकार की गतिविधियों के लिये कार्बन क्रेडिट उपलब्ध हैं, जैसे- वृक्ष लगाने, एक निश्चित प्रकार की फसल उगाने, कार्यालय भवनों में ऊर्जा कुशल उपकरण स्थापित करने आदि।
- ये क्रेडिट सामान्यतया अनौपचारिक तृतीय पक्ष की कंपनियों द्वारा प्रमाणित किये जाते हैं और अन्य कंपनियों को बेचे जाते हैं। इन लेन-देनों में ईमानदारी का अभाव पाया जाता है।
- भारत एवं ब्राज़ील जैसे देशों ने क्योटो प्रोटोकॉल के तहत भारी मात्रा में कार्बन क्रेडिट जमा किया था, जिसे वे पेरिस समझौते के तहत स्थापित किये जा रहे नए बाजार में स्थानांतरित करना चाहते हैं।
- लेकिन कई विकसित देशों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। इनके अनुसार ये कार्बन उत्सर्जन में कमी का सही प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
कार्बन क्रेडिट
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किसी देश या फर्म द्वारा पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के सापेक्ष दिये जाने वाले क्रेडिट को कार्बन क्रेडिट कहा जाता है। इसे उन संस्थाओं द्वारा खरीदा जा सकता है जो अपने कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने में असमर्थ है।
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ग्रीनवाशिंग से निपटने के लिये सुझाव
- समिति के अनुसार वित्तीय संस्थानों द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देने और कोयला, तेल एवं गैस के रूप में पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों में निवेश को हतोत्साहित करने पर ध्यान देना चाहिये।
- कंपनियों को अपनी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में कार्य करना चाहिये और अपने प्रयासों को श्रृंखला के केवल एक स्तर तक सीमित नहीं करना चाहिये।
- कंपनियों को किसी भी प्रकार से जीवाश्म ईंधन के उपयोग में निवेश नहीं करना चाहिये तथा वनों की कटाई और अन्य पर्यावरणीय विनाशकारी गतिविधियों में संलग्न नहीं होना चाहिये।
- सभी राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं को एक 'न्यायसंगत संक्रमण' सुनिश्चित करना चाहिये ताकि आजीविका प्रभावित न हो।