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शिकायत निवारण तंत्र

महत्व और उद्देश्य

  • शिकायत निवारण तंत्र किसी भी संगठन की प्रभावशीलता का महत्वपूर्ण मापक है।
  • यह नागरिकों से फीडबैक प्राप्त करने और समस्याओं को हल करने का माध्यम है।

केंद्र सरकार स्तर पर शिकायत निवारण एजेंसियाँ:

  • प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) - MoPPG&P के अंतर्गत।
  • लोक शिकायत निदेशालय - कैबिनेट सचिवालय के अधीन।

CPGRAMS: ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली:

  • 24x7 ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, नागरिकों को शिकायतें दर्ज कराने की सुविधा।
  • भारत सरकार और सभी राज्यों के मंत्रालयों/विभागों से जुड़ा एकल पोर्टल।
  • भूमिका-आधारित एक्सेस, जिससे अधिकारी त्वरित समाधान कर सकें।

राज्य स्तर पर शिकायत निवारण व्यवस्था:

  • जिला स्तर पर - जिला मजिस्ट्रेट को लोक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त किया जाता है।
  • कुछ राज्यों में - जिला पंचायतों के स्वतंत्र शिकायत निवारण तंत्र भी मौजूद हैं।

शिकायत निवारण के लिए प्रमुख पहलें

  • संवैधानिक और वैधानिक संस्थान:
    • निगरानी और जांच एजेंसियाँ, जो भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच करती हैं।
  • मुख्य संस्थान:
    • केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC)
    • लोकायुक्त
    • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
    • राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC)
  • प्रगति (PRAGATI)
    • बहु-उद्देश्यीय एवं मल्टी-मॉडल प्लेटफॉर्म।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा संचालित।
    •  सरकारी योजनाओं की निगरानी और नागरिक शिकायतों के समाधान में मदद करता है।
  • ई-निवारण:
    • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की पहल।
    • करदाताओं की शिकायतों को तेज़ी से ट्रैक और हल करने के लिए डिज़ाइन किया गया।
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