प्रारम्भिक परीक्षा – सकल पर्यावरणीय उत्पाद (GEP) मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 |
चर्चा में क्यों
- सकल पर्यावरणीय उत्पाद (GEP) के आकलन की अवधारणा को अंतरराष्ट्रीय जर्नल इकोलॉजिकल इंडिकेटर ने प्रकाशित किया है। इसमें लगभग 1.5 करोड़ वैज्ञानिक जुड़े हुए है।
मुख्य बिंदु
GEP अवधारणा:
- GEP की सर्वप्रथम वैश्विक स्तर पर अवधारणा वर्ष 1997 में रॉबर्ट कोस्टांजा के द्वारा पारिस्थितिक स्थिति को मापने हेतु एक मूल्यांकन प्रणाली के रूप में प्रस्तुत की गई थी।
- भारत में यह अवधारणा वर्ष 2011 में हिमालयन इन्वायरनमेंटल स्टडीज एंड कंजर्वेशन आर्गनाइजेशन (हेस्को) के संस्थापक पद्मभूषण डा.अनिल प्रकाश जोशी ने उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत किया था। जिसे अब अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हो गई है।
- वर्ष 2021 में GEP लागू करने वाला भारत का पहला राज्य उत्तराखंड है।
सकल पर्यावरणीय उत्पाद (GEP) :
- यह एक आर्थिक विकास के समानांतर पर्यावरणीय विकास के आकलन की प्रक्रिया है।
- यह सकल घरेलू उत्पाद की तरह ही पर्यावरणीय उत्पादों का आकलन करेगी।
GEP की आवश्यकता क्यों है ?
- जीडीपी में पर्यावरण पर होने वाले खर्चों को हमेशा समायोजित नहीं किया जाता है। इसलिए इसकी आवश्यकता पड़ी है। जैसे - किसी देश की हवा और पानी प्रदूषित होने से इसका सीधा असर वहां के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है लेकिन फिर भी जीडीपी में यह प्रदर्शित नहीं किया जाता है।
आकलन का तरीका
- GEP मानवजनित गतिविधियों से पारिस्थितिकी या प्रकृति को होने वाली क्षति तथा इसकी भरपाई के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं आदि का आकालन करेगा।
- इसके आकलन के चार प्रमुख स्तंभ - हवा, पानी, मिट्टी और जंगल हैं। इसके आधार पर सकल पर्यावरणीय उत्पाद के आकलन किया जाता है।
महत्व
यह पर्यावरण के संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायता करेगा।
GEP से लाभ-
- इससे पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील सकल पर्यावरणीय उत्पाद का आकलन किया जायेगा।
- यह किसी भी वर्ष में जीडीपी के समान वन, मिट्टी और पानी एवं हवा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी देगा।
- इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि पर्यावरण के किस क्षेत्र में ह्रास अत्यधिक है।जिसके लिए उपाय किया जाएगा।
- इससे अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बीच में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।
आगे की राह
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने से अब सकल पर्यावरणीय उत्पाद पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।
अंतरराष्ट्रीय जर्नल इकोलॉजिकल इंडिकेटर:
- यह इंडिकेटर वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक विकास, अनुप्रयोगों की समीक्षा तथा सूचकांक विकास जैसे- सैद्धांतिक, मॉडलिंग और मात्रात्मक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने वाली एक संस्था है।
- उद्देश्य : पारिस्थितिक और पर्यावरणीय संकेतकों की निगरानी और मूल्यांकन करना तथा पर्यावरणीय से संबंधित सिद्धांतों को प्रस्तुत करना है।
- यह सतत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए जटिल पर्यावरणीय अंतःक्रियाओं का आकलन करने वाले पर्यावरण प्रबंधन, नीति निर्माण और अंतःविषय अनुसंधान के लिए बढ़ावा देने वाली नीतियों को प्रस्तुत करता है।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- सकल पर्यावरणीय उत्पाद (GEP) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- GEP की अवधारणा सर्वप्रथम वर्ष 1997 में रॉबर्ट कोस्टांजा ने प्रस्तुत की थी।
- भारत में यह अवधारणा वर्ष 2011 में डा.अनिल प्रकाश जोशी ने प्रस्तुत की थी।
- यह एक पारिस्थितिक स्थिति को मापने हेतु एक मूल्यांक प्रणाली है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर - (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न:- सकल पर्यावरणीय उत्पाद (GEP) क्या है? इसके प्रभावों एवं महत्व की व्याख्या कीजिए।
|