(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - भूजल निष्कर्षण, केंद्रीय भूजल बोर्ड, अटल भू-जल योजना, जल शक्ति अभियान)
(मुख्य परीक्षा के लिए,सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:1 – जल संसाधन)
संदर्भ
- केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, देश में 2022 में भूजल निष्कर्षण का स्तर पिछले 18 वर्षों में सबसे कम रहा है।
- 2022 की आकलन रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण क्षमता 437.6 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है, जबकि वार्षिक भूजल निकासी 239.16 बीसीएम है।
- 2020 में, वार्षिक भूजल पुनर्भरण 436 bcm और वार्षिक भूजल निकासी 245 bcm थी।
- 2022 में भूजल निष्कर्षण, 2004 के बाद से सबसे कम रहा है, जब यह 231 बीसीएम था।
- इसके अतिरिक्त आकलन में 7,089 मूल्यांकन इकाइयों में से, केवल 1,006 इकाइयों को अति-शोषित इकाइयों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- आकलन के अनुसार, भूजल पुनर्भरण में वृद्धि, मुख्य रूप से नहर के रिसाव से पुनर्भरण में वृद्धि, सिंचाई के पानी के वापसी प्रवाह और जल निकायों/टैंकों और जल संरक्षण संरचनाओं से पुनर्भरण के कारण हुई है।
भूजल
- भूजल, वह जल होता है जो चट्टानों और मिट्टी से रिस जाता है, और भूमि के नीचे जमा हो जाता है।
- जिन चट्टानों में भूजल जमा होता है, उन्हें जलभृत (एक्विफर) कहा जाता है, सामान्य तौर पर, जलभृत बजरी, रेत, बलुआ पत्थर या चूना पत्थर से बने होते है।
- इन चट्टानों से पानी नीचे बह जाता है, क्योंकि चट्टानों के बीच में ऐसे बड़ी और परस्पर जुड़ी हुई जगहें होती हैं, जो चट्टानों को पारगम्य (प्रवेश के योग्य) बना देती है।
- जलभृतों में जिन जगहों पर पानी भरता है, वे संतृप्त जोन (सैचुरेटेड जोन) कहलाते है।
- सतह में जिस गहराई पर पानी मिलता है, वह जल स्तर (वॉटर टेबल) कहलाता है।
- देश के वार्षिक भूजल संसाधन में वर्षा जल का योगदान 68% है, और अन्य स्रोतों, जैसे नहरों में रिसाव, सिंचाई के दौरान पानी वापस लौटना, टैंक, तालाब तथा जल संरक्षण जैसी संरचनाओं का दोबारा भरना इत्यादि की हिस्सेदारी 32% है।
- दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान राज्यों में भूजल विकास का स्तर बहुत अधिक है, जहां भूजल विकास 100% से अधिक है, इसका अर्थ यह है कि इन राज्यों में वार्षिक भूजल उपभोग वार्षिक भूजल पुनर्भरण से अधिक है।
- हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश तथा केंद्र शासित प्रदेश पुद्दूचेरी में भूजल विकास का स्तर 70% और उससे अधिक है।
- अन्य राज्यों में भूजल विकास का स्तर 70% से नीचे है।
भारत में भूजल निष्कर्षण की स्थिति
- देश में कुल भूजल निष्कर्षण के 89% का उपयोग सिंचाई क्षेत्र में किया जाता है।
- इसके बाद भूजल निष्कर्षण के 9% का प्रयोग घरेलू उपयोग के लिये तथा 2% का उपयोग, औद्योगिक प्रयोजनों के लिए किया जाता है।
- शहरों में जल की कुल आवश्यकता के 50% का तथा ग्रामीण घरेलू जल की 85 फीसदी आवश्यकता की पूर्ति भी भूजल निष्कर्षण के द्वारा की जाती है।
भूजल संदूषण
- भूजल संदूषण तब होता है, जब जल में प्रदूषकों की उपस्थिति निर्धारित मात्रा से अधिक होती है।
- सामान्य तौर पर पाए जाने वाले संदूषकों में आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट और आयरन शामिल हैं, जो प्रकृति से भूआनुवांशिक होते है।
- अन्य संदूषणों में बैक्टीरिया, फॉस्फेट और भारी धातुएं आती हैं, जिनका कारण घरेलू सीवेज, कृषि कार्य और औद्योगिक अपशिष्ट सहित अन्य मानव गतिविधियाँ है।
- संदूषण के स्रोतों में कचरा भरावों, सैप्टिक टैंकों और लीकेज वाले भूमिगत गैस टैंकों से होने वाला प्रदूषण और उर्वरकों एवं कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग भी शामिल है।
भूजल संरक्षण के सुझाव
- सतही जल इकाइयों, जैसे वॉटरशेड या नदी क्षेत्र और जमीन के नीचे की जल इकाइयों, जैसे जलभृतों के बीच संबंध तय करना।
- भूजल पुनर्भरण क्षेत्रों को चिन्हित करना।
- गांव या वॉटरशेड के स्तर पर भूजल संतुलन को बरकरार रखना।
- जलभृत के प्रकार, भूजल निकासी, मानसून में वर्षा और जल स्तर को देखते हुए किसी विशिष्ट क्षेत्र के लिए शुष्क मौसम की फसल की योजना बनानी चाहिए।
- इसमें उच्च मूल्य वाली और कम पानी का उपभोग करने वाली फसलों को भी चुना जा सकता है।
- ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणाली जैसी आधुनिक सिंचाई की तकनीकों को अपनाना, जिससे वाष्पीकरण और कृषि में जल के गैर लाभकारी, गैर वसूली योग्य प्रयोग को कम किया जा सके।
- विनियामक उपायों के जरिए भूजल के पृथक्करण या प्रयोग को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबंध लगाना।
- जैसे सिंचाई के कुएं की गहराई को निर्धारित करना, सिंचाई के बीच न्यूनतम दूरी को तय करना एवं उसे कठोरता से लागू करना।
सरकार द्वारा संरक्षण के लिए किये गए प्रयास
- अटल भू-जल योजना
- विश्व बैंक की सहायता द्वारा कुल 6000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ शुरू की गयी, यह योजना पाँच वर्षों की अवधि (2020-21 से 2024-25) के लिये लागू की जाएगी।
- इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य, प्राथमिकता वाले 7 राज्यों(गुजरात, हरियाण, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) में जनभागीदारी के माध्यम से भू-जल प्रबंधन में सुधार करना है।
- जल शक्ति अभियान
- इस अभियान का उद्देश्य, मानसून की शुरुआत से पहले, नई पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण, वर्तमान तालाबों और जल निकायों को पुनर्जीवित करके तथा आर्द्रभूमि और नदियों का कायाकल्प करके वर्षा जल का संरक्षण करना है।
- इस अभियान के अंतर्गत वनीकरण पर भी विशेष ध्यान देना निर्धारित किया गया है।
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (CGWB)
- केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यबी), जल संसाधन मंत्रालय का एक अधीनस्थ कार्यालय है।
- इसे देश के भूजल संसाधनों के प्रबन्धन, अन्वेषण, मानीटरिंग, आकलन, संवर्धन एवं विनियमन हेतु वैज्ञानिक संभरण उपलब्ध कराने का दायित्व सौंपा गया है
- केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड की स्थापन, वर्ष 1970 में कृषि मंत्रालय के तहत समन्वेषी नलकूप संगठन को पुन:नामित करके की गई थी।
- इसका मुख्यालय फरीदाबाद, हरियाणा में है।
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