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भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट-2024

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1, रिपोर्ट और सूचकांक)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन ;संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ 

हाल ही में केंद्रीय भूजल बोर्ड (Central Ground Water Board : CGWB) द्वारा वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट - 2024" (Annual Groundwater Quality Report – 2024) रिपोर्ट जारी की गई। 

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

नाइट्रेट संदूषण

  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 तक देश के 440 जिले ऐसे हैं जिनके भूजल में नाइट्रेट की मात्रा अत्यधिक है। 
    • जबकि वर्ष 2017 में ऐसे जिलों की संख्या 359 थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, परीक्षण के लिए देश भर से एकत्र किए गए 15,239 भूजल नमूनों में से 19.8% में नाइट्रेट या नाइट्रोजन यौगिक सुरक्षित सीमा से अधिक थे। 
  • आँकड़ों  के अनुसार 20 % जल के नमूने में नाइट्रेट की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा पीने के पानी के लिए निर्धारित सीमा (45 मिलीग्राम/लीटर)  से अधिक रही। 
  • राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों  में नाइट्रेट संदूषण की समस्या सबसे गंभीर है जहाँ क्रमशः 49%, 48% और 37% नमूनों में नाइट्रेट की मात्रा सुरक्षित सीमा से अधिक पाई गई।
    • हालाँकि  इन राज्यों में नाइट्रेट की समस्या लंबे समय से है और वर्ष 2017 से संदूषण का यह स्तर काफी हद तक स्थिर भी है।
  • रिपोर्ट के अनुसार मध्य और दक्षिणी भारत के क्षेत्रों में संदूषण वृद्धि की प्रवृत्ति देखी जा रही है, जो चिंता का विषय है।
    • जिसमें महाराष्ट्र में 35.74%, तेलंगाना में 27.48%, आंध्र प्रदेश में 23.5% और मध्य प्रदेश 22.58% स्तर देखा गया है। 
  • CGWB द्वारा भारत में भूजल की उपलब्धता से संबंधित रिपोर्ट के अनुसार देश भर में भूजल निष्कर्षण की मात्रा 60.4% है। 
  • भूजल स्तर के लिए किए गए विश्लेषण के अनुसार  लगभग 73% ब्लॉक 'सुरक्षित' क्षेत्र में हैं, जिसका अर्थ है कि निकाले गए जल  की भरपाई के लिए उनमें पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध है। 
    • यह आँकड़ा वर्ष 2022 में 67.4% से काफी अधिक है। हालाँकि, 2022 की तुलना में वर्ष 2024 के मूल्यांकन के लिए 343 कम ब्लॉकों का विश्लेषण किया गया।

अन्य संदूषक 

  • रिपोर्ट में भूमिगत जल की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले अन्य प्रमुख रासायनिक प्रदूषक फ्लोराइड, आर्सेनिक और यूरेनियम की सांद्रता में वृद्धि संबंधी आँकड़े भी जारी किए गए। 
    • रिपोर्ट के अनुसार 9.04 % नमूनों में फ्लोराइड का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक था। 
      • इसमें राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्य शामिल हैं। 
  • रिपोर्ट के आकलन के अनुसार  अत्यधिक यूरेनियम सांद्रता वाले भूजल के नमूने राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे महत्वपूर्ण भूजल तनाव क्षेत्रों से एकत्र किए गए थे । 
    • ये ऐसे राज्य हैं जहाँ भूजल का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। इन क्षेत्र में जल पुनर्भरण की मात्रा की तुलना में  अधिक  जल निष्कर्षण किया जा रहा है। 
    • रिपोर्ट के अनुसार इस प्रकार का ओवरलैप इन क्षेत्रों में यूरेनियम संदूषण पर अत्यधिक दोहन और बढ़ते जल स्तर के बढ़ते प्रभाव को संदर्भित करता है।
  • कई राज्यों, विशेष रूप से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के बाढ़ के मैदानों में आर्सेनिक का उच्च स्तर (10 भाग प्रति बिलियन से अधिक) पाया गया। 
    • इसमें पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, असम और मणिपुर के क्षेत्र, साथ ही पंजाब और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव क्षेत्र आदि शामिल हैं।

संदूषकों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव 

  • फ्लोराइड और आर्सेनिक प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं, जिसमें फ्लोराइड द्वारा फ्लोरोसिस (Fluorosis) और आर्सेनिक से कैंसर आदि शामिल हैं।
    • फ्लोरोसिस(Fluorosis): यह एक ऐसी स्थिति है जो दांत और हड्डियाँ को प्रभावित कर सकता हैष।  इसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और गंभीर मामलों में, यह हड्डियों और जोड़ों को क्षति पहुँचा सकता है।
    • आर्सेनिक के उच्च स्तर के दीर्घकालिक प्रभावों में त्वचा में रंजकता में परिवर्तन(changes in skin pigmentation), त्वचा के घाव (skin lesions) और हथेलियों और पैरों के तलवों पर पैच (hyperkeratosis) जैसी स्थितियाँ शामिल हैं। गंभीर मामलों में त्वचा कैंसर जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
  • पेयजल में यूरेनियम की उपस्थिति  किडनी की क्षति (नेफ्राइटिस) का कारण बन सकता है। 
    • नेफ्राइटिस (Nephritis) : यह एक ऐसी स्थिति जिसमें किडनी के ऊतकों में सूजन आ जाती है और रक्त से अपशिष्ट को छानने में समस्या होती है।
  • इसी प्रकार पेयजल में नाइट्रेट संदूषणके कारण कई स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • मेथेमोग्लोबिनेमिया : इसे ब्लू बेबी सिंड्रोम(blue baby syndrome) के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में नाइट्रेट लाल रक्त कोशिकाओं (Red blood cells (RBCs) की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को कम कर देता है। 
      • यह छह महीने से कम उम्र के शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और कुछ स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को प्रभावित कर सकता है। इसके लक्षणों में त्वचा का रंग नीला पड़ना शामिल है।   
    • कैंसर : इस संदर्भ में किए गए विभिन अध्ययनों के अनुसार नाइट्रेट के संपर्क और कैंसर, विशेषकर गैस्ट्रिक कैंसर के बढ़ते जोखिम के बीच संबंध है।   
    • अन्य स्वास्थ्य प्रभाव : अन्य संभावित स्वास्थ्य प्रभावों में हृदय गति में वृद्धि, मतली, सिरदर्द और पेट में ऐंठन शामिल हैं।

इसे भी जानिए

केंद्रीय भूजल बोर्ड(Central Ground Water Board): 

  • केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक वैज्ञानिक विभाग है। 
  • गठन : केंद्रीय भूजल बोर्ड का गठन वर्ष 1970 में तत्कालीन अन्वेषणात्मक नलकूप संगठन (Exploratory Tube well Organization) का नाम बदलकर किया गया था। 
    • वर्ष 1972 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के भूजल प्रभाग (Ground Water Division) का इसमें विलय कर दिया गया। 
  • उद्देश्य : भारत के भूजल संसाधनों के वैज्ञानिक और सतत विकास एवं  प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास तथा प्रसार करना है, जिसमें अन्वेषण, मूल्यांकन और वृद्धि की निगरानी करना शामिल है।
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