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भारतीयों में नागरिकता छोड़ने की बढ़ती प्रवृति 

चर्चा में क्यों?

गृह मंत्रालय के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में छह लाख से अधिक भारतीयों ने नागरिकता का त्याग कर दिया है। 

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2017 एवं 2018 में नागरिकता का त्याग करने वाले भारतीयों की संख्या क्रमशः 1,33,049 और 1,34,561 थी, जबकि वर्ष 2019 एवं 2020 में यह संख्या 1,44,017 और 85,248 रही थी।
  • इस वर्ष 30 सितंबर तक 1,11,287 भारतीयों ने अपनी नागरिकता का त्याग कर दिया है। वर्ष 2020 और 2021 में हुई इस गिरावट का प्रमुख कारण कोविड-19 को माना जा रहा है।
  • विदित है कि 2016-20 की अवधि में 10,645 विदेशी नागरिकों ने भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन किया, जिनमें 70% से अधिक पाकिस्तान से थे जबकी 4% से अधिक ‘स्टेटलेस’ (किसी भी देश की नागरिकता नहीं) थे। इसी अवधि में 4,177 व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।

नियमों में संशोधन

  • वर्ष 2018 में गृह मंत्रालय ने नागरिकता त्याग की घोषणा के लिये नागरिकता नियमों में कुछ संशोधन किया था। इसके तहत पहली बार उन परिस्थितियों/कारणों, जिसके कारण किसी आवेदक ने विदेशी नागरिकता अर्जित करने और भारतीय नागरिकता का परित्याग करने का निर्णय लिया है, से सम्बंधित कॉलम शामिल किया गया था।
  • हाल ही में, मंत्रालय ने प्रक्रिया को सरल बनाने और आवेदकों के लिये ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड करने सम्बंधी प्रावधान किये हैं। साथ ही, नागरिकता का परित्याग करने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिये 60 दिनों की अधिकतम सीमा तय की गई थी।

    वैश्विक संपति स्थानांतरण समीक्षा रिपोर्ट

    • वैश्विक संपति स्थानांतरण समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में उच्च निवल संपति वाले व्यक्तियों (High Net Worth Individuals: HNIs) के देश छोड़ने के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2019 में 7,000 एच.एन.आई. ने भारत छोड़ा।
    • ध्यातव्य है कि मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में पलायन में पहले स्थान पर है। 
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