चर्चा में क्यों ?
- उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने 'भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश और भ्रामक विज्ञापनों के समर्थन, 2022' को अधिसूचित किया है।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 18 द्वारा CCPA को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया गया।
दिशा-निर्देशों के प्रमुख बिंदु
- दिशानिर्देशों का मुख्य उद्देश्य विज्ञापनों को विनियमित करना और उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों से बचाना है।
- ये दिशा निर्देश ऐसे विज्ञापनो पर जो किसी उत्पाद या सेवा की विशेषताओं को बढ़ा कर दिखाते है, जो अवास्तविक उम्मीदों को बढ़ावा देते है, रोक लगाते हैं।
- ऐसे उत्पादों या सेवाओं के विज्ञापनों को प्रतिबंधित किया गया है जो किसी प्रामाणिक निकाय द्वारा वैज्ञानिक रूप से मान्यता प्राप्त किए बिना किसी भी स्वास्थ्य या पोषण संबंधी लाभ का दावा करते हैं।
- निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं, विज्ञापनदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं।
- CCPA को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत स्थापित किया गया है।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(28) के तहत भ्रामक विज्ञापन को पहले ही परिभाषित किया जा चुका है।
- विज्ञापनों की संवेदनशीलता और बच्चों के मन में संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश बनाए गए हैं।
- दिशानिर्देश यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि उपभोक्ताओं को निराधार दावों, अतिरंजित वादों, गलत सूचना और झूठे दावों के साथ मूर्ख नहीं बनाया जा रहा है।
- इस तरह के विज्ञापन उपभोक्ताओं के विभिन्न अधिकारों का उल्लंघन करते हैं जैसे कि सूचित होने का अधिकार, चुनने का अधिकार और संभावित असुरक्षित उत्पादों और सेवाओं के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार।
- वर्तमान दिशानिर्देश "प्रलोभन विज्ञापन", "सरोगेट विज्ञापन" को परिभाषित करते हैं और स्पष्ट करते हैं कि "मुक्त दावा विज्ञापन (free claim advertisements)" क्या है।
- CCPA किसी भी भ्रामक विज्ञापन के लिए निर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है।
- दिशानिर्देशों का बार-बार उल्लंघन करने पर यह जुर्माना 50 लाख रुपये तक बढ़ा सकता है।
- यह भ्रामक विज्ञापन के समर्थनकर्ता को प्रतिबंधित कर सकता है।