हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय लुप्तप्राय वन्यजीव एवं वनस्पति प्रजाति व्यापार अभिसमय (CITES) ने साइट्स प्लांट्स कमेटी की 27वीं बैठक में ‘साइट्स रोज़वुड्स : द ग्लोबल पिक्चर' रिपोर्ट जारी की है।
रोज़वुड (शीशम) प्रजातियों के बारे में
- साइट्स (CITES) शीशम की विभिन्न प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की देखरेख करता है, जिसमें डेलबर्गिया (Dalbergia), अफज़ेलिया (Afzelia), खाया (Khaya) एवं टेरोकार्पस (Pterocarpus) शामिल हैं।
- वर्तमान में इन प्रजातियों को साइट्स की परिशिष्ट II में सूचीबद्ध किया गया है, जो दर्शाता है कि इन्हें तुरंत विलुप्त होने का खतरा नहीं है किंतु यदि इनके व्यापार को विनियमित नहीं किया जाता है तो अत्यधिक जोखिम हो सकता है।
नवीनतम दिशानिर्देश
- यह दिशा-निर्देश रोज़वुड की कटाई को टिकाऊ बनाने और इसके व्यापार में लगे या संबंधित योजना बनाने वाले साइट्स पक्षकारों को मार्गदर्शन प्रदान करती है।
- इस दिशा-निर्देश में साइट्स में सूचीबद्ध शीशम प्रजातियों के लिए क्षमता निर्माण प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया है।
- सूचीबद्ध शीशम प्रजातियों के संरक्षण एवं व्यापार पर रिपोर्ट में पहचानी गई 13 उच्च-प्राथमिकता और 14 मध्यम-प्राथमिकता वाली प्रजातियों को लक्षित किया गया है।
- पश्चिमी अफ्रीका में पाई जाने वाली टेरोकार्पस एरिनेसियस (अफ्रीकी शीशम) अत्यधिक दोहन एवं अवैध व्यापार के कारण सर्वाधिक खतरे में पड़ी शीशम प्रजातियों में से एक है।
- साइट्स (CITES) द्वारा व्यापार स्थिरता एवं वैधता के बारे में चिंताओं के कारण टेरोकार्पस एरिनेसियस के व्यापार निलंबन की सिफारिशें की जा रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय लुप्तप्राय वन्यजीव एवं वनस्पति प्रजाति व्यापार अभिसमय (CITES)
- यह एक वैश्विक संधि है, जो यह सुनिश्चित करती है कि वन्यजीव एवं वनस्पतियों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानूनी, ट्रेसेबल (Traceable) और जैविक रूप से टिकाऊ हो।
- इसका मसौदा वर्ष 1963 में आई.यू.सी.एन. (IUCN) के सदस्यों की बैठक में अपनाए गए प्रस्ताव के परिणामस्वरूप तैयार किया गया था।
- 1 जुलाई, 1975 को साइट्स (CITES) लागू हुआ।
- यद्यपि साइट्स कानूनी रूप से इसके सदस्यों पर बाध्यकारी है किंतु यह राष्ट्रीय कानूनों का स्थान नहीं लेता है।
- CITES सचिवालय संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा प्रशासित है और जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में स्थित है।
साइट्स द्वारा प्रजातियों को उनकी संरक्षण स्थिति के अनुसार विभिन्न परिशिष्टों में सूचीबद्ध किया जाता है :
- परिशिष्ट I : इसमें विलुप्त होने के खतरे वाली प्रजातियां शामिल हैं तथा इन्हें वाणिज्यिक व्यापार पर प्रतिबंध सहित सर्वोच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान की गई है।
- परिशिष्ट II : इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जो वर्तमान में विलुप्त होने के खतरे का सामना नहीं कर रहीं हैं किंतु व्यापार नियंत्रण (विनियमन) के बिना विलुप्त हो सकती हैं।
- परिशिष्ट III : इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जिनके लिए किसी देश ने अन्य CITES पक्षकारों से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए कहा है।
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