(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : शासन व्यवस्था, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।)
संदर्भ
हाल ही में, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने 'भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और भ्रामक विज्ञापनों के अनुमोदन के लिये दिशानिर्देश- 2022’ को जारी किया है।
प्रमुख दिशानिर्देश
- बच्चों की संवेदनशीलता, कोमलता और युवा मन पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए बच्चों को लक्षित करने वाले विज्ञापनों के संदर्भ में कई प्रावधान निर्धारित किये गए हैं।
- ये दिशानिर्देश बच्चों को प्रभावित करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाते हैं, जो उत्पाद या सेवा की विशेषताओं को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं।
- इसके अलावा, इन दिशानिर्देशों में उन विज्ञापनों पर रोक लगाई गई है, जिसमें किसी मान्यता प्राप्त निकाय की ओर से पर्याप्त एवं वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किये बिना ही स्वास्थ्य या पोषण संबंधी लाभों का दावा किया जाता है।
- इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि बच्चों को लक्षित करने वाले विज्ञापनों, जिसमें स्वास्थ्य चेतावनी की आवश्यकता होती है या बच्चों द्वारा नहीं खरीदी जा सकती है, में खेल, संगीत या सिनेमा के क्षेत्र से किसी हस्ती को नहीं दिखाया जाएगा।
- दिशानिर्देश में यह प्रावधान है कि विज्ञापन में जिस भाषा का उपयोग किया गया है, उसी भाषा में डिस्क्लेमर होगा और दावे में उपयोग किये गए फॉन्ट में ही डिस्क्लेमर दिया जाएगा।
- इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर सी.सी.पी.ए. निर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और प्रचारक पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है। पुन: उल्लंघन करने पर जुर्माने की यह राशि 50 लाख रूपये तक हो सकती है।
- प्राधिकरण भ्रामक विज्ञापन के प्रचारक को 1 वर्ष तक के लिये कोई भी प्रचार करने से प्रतिबंधित कर सकता है और इसके बाद भी उल्लंघन के लिये निषेध की अवधि को 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
लाभ
- इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना और ऐसे विज्ञापनों से शोषित या प्रभावित होने वाले उपभोक्ताओं की रक्षा करना है।
- इन दिशानिर्देशों के माध्यम से उपभोक्ताओं को निराधार दावों, अतिरंजित वादों, गलत सूचनाओं से बचाया जा सकेगा।
- गौरतलब है कि भ्रामक विज्ञापन उपभोक्ताओं के विभिन्न अधिकारों, जैसे कि सूचित होने का अधिकार, चुनने का अधिकार और संभावित असुरक्षित उत्पादों एवं सेवाओं के विरुद्ध सुरक्षा के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 10 के तहत जुलाई 2020 में सी.सी.पी.ए. की स्थापना की गयी। इस प्राधिकरण की स्थापना उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन एवं झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने तथा उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने एवं संरक्षित करने के उद्देश्य से की गई है।
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