(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध) |
संदर्भ
दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूली बच्चों एवं उनके अभिभावकों के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश में के तहत स्कूल परिसर में स्मार्टफोन के उपयोग के लिए कुछ ‘दिशनिर्देश’ जारी किए।
मुद्दे की पृष्ठभूमि
- यह मामला एक नाबालिग छात्र से संबंधित था जिसे स्कूल परिसर में स्मार्टफोन का दुरुपयोग करने के लिए दंडित किया गया था। छात्र पक्ष एवं स्कूल पक्ष दोनों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से स्कूलों में ‘सेलुलर फोन’ के प्रयोग के लिए दिशा-निर्देश तय करने को कहा।
- न्यायालय के अनुसार, वर्तमान में स्कूल जाने वाले छात्रों द्वारा स्मार्टफोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध अवांछनीय व अव्यवहारिक दृष्टिकोण है।
- यद्यपि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) एवं केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) ने वर्ष 2009 में इस मुद्दे पर कुछ दिशानिर्देश बनाए थे किंतु इसके वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हुए।
दिशा-निर्देशों के बारे में
- न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देश स्कूली छात्रों को स्मार्टफोन के उपयोग की अनुमति देने के लाभकारी एवं हानिकारक प्रभावों के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में कार्य करेंगे।
- न्यायालय के वर्तमान दिशा-निर्देशों को सी.बी.एस.ई., शिक्षा निदेशालय (दिल्ली सरकार) एवं के.वी.एस. द्वारा लागू करने एवं स्कूलों द्वारा स्मार्टफोन उपयोग की नीतियां लागू करने का निर्देश दिया गया है।
- दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुसार स्कूली छात्रों द्वारा स्मार्टफोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध एक ‘अवांछनीय व अव्यवहारिक’ दृष्टिकोण है तथा इसका विनियमन एवं निगरानी की जानी चाहिए।
- स्कूलों को छात्रों को जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार, डिजिटल शिष्टाचार एवं स्मार्टफोन के नैतिक उपयोग के बारे में शिक्षित करना चाहिए।
- स्मार्टफोन के अंधाधुंध उपयोग के हानिकारक प्रभावों के अलावा ये उपकरण लाभकारी उद्देश्यों की पूर्ति भी करते हैं जिनमें माता-पिता एवं बच्चों के बीच समन्वय स्थापित करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता करना शामिल है।
- जहाँ भी स्मार्टफोन को सुरक्षित रखने की व्यवस्था करना संभव हो, वहाँ छात्रों को स्कूल में प्रवेश करते समय अपने डिवाइस जमा कराने और घर लौटने पर उन्हें वापस लेने की सुविधा होनी चाहिए।
- नीति में सुरक्षा एवं समन्वय के उद्देश्य से कनेक्टिविटी के लिए स्मार्टफोन के उपयोग की अनुमति होनी चाहिए, किंतु मनोरंजन या मन बहलाने के लिए स्मार्टफोन के उपयोग की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
- स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग को विनियमित करने और निगरानी करने की नीति अभिभावकों, शिक्षकों व विशेषज्ञों के परामर्श से बनाई जानी चाहिए ताकि सभी पक्षों की चिंताओं को कम करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित किया जा सके।
- नीति में स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग के नियमों के उल्लंघन के लिए पारदर्शी, निष्पक्ष एवं लागू करने योग्य परिणाम स्थापित किए जाने चाहिए तथा अत्यधिक कठोरता बरते बिना सुसंगत अनुप्रयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- किसी भी उल्लंघन में किसी छात्र को अनुशासित करने के उपाय के रूप में एक निश्चित अवधि के लिए स्मार्टफोन जब्त करना या किसी छात्र को निर्दिष्ट दिनों के लिए डिवाइस ले जाने से रोकना शामिल हो सकता है।
- प्रौद्योगिकी की तीव्र प्रगति को देखते हुए उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए नीति की नियमित समीक्षा एवं उसमें संशोधन किया जाना चाहिए।
कक्षाओं में स्मार्टफोन के प्रभाव पर अध्ययन
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने भी स्मार्टफोन एवं कक्षा में पढ़ाई को एकीकृत करते समय संतुलित दृष्टिकोण की वकालत की है।
- वर्ष 2023 वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट के अनुसार स्मार्टफोन के उपयोग का नकारात्मक प्रभाव ज्यादातर ध्यान भटकाने वाली गतिविधियों में वृद्धि और सीखने के समय में गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में समय व्यतीत करने से जुड़ा है।
- कक्षाओं में स्मार्टफोन के इस्तेमाल से छात्र गैर-स्कूल-संबंधी गतिविधियों में संलग्न हो जाते हैं जो स्मरण-शक्ति एवं समझने की क्षमता को प्रभावित करता है।
- हालाँकि, रिपोर्ट में अन्य शोध भी प्रस्तुत किए गए हैं जो बताते हैं कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग का पढ़ने, गणित व विज्ञान के अंकों के साथ ‘एक सीमा तक’ सकारात्मक संबंध है। इस सीमा से परे शोध में ‘शैक्षणिक लाभ में कमी’ पाई गई।
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