(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना) |
संदर्भ
तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने वर्ष के पहले विधानसभा सत्र के पहले दिन पारंपरिक संबोधन (अभिभाषण) से इंकार कर दिया। उनका तर्क थी कि उनके निर्धारित संबोधन से पूर्व राष्ट्रगान का वादन नहीं किया गया।
हालिया विवाद
राजभवन का पक्ष
- तमिलनाडु राजभवन का आरोप है कि तमिलनाडु विधानसभा में भारत के संविधान एवं राष्ट्रगान का अपमान किया गया।
- इसके अनुसार राष्ट्रगान का सम्मान करना संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों में से एक है जिसका गायन सामान्यतया सभी विधानसभाओं (विधानमंडलों) में राज्यपाल के अभिभाषण की प्रारंभ एवं समाप्ति पर किया जाता है।
तमिलनाडु सरकार का पक्ष
- परंपरा के अनुसार, राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारंभ में राज्य गान ‘तमिल थाई वज़्थु’ का गायन और अभिभाषण की समाप्ति पर राष्ट्रगान का गायन होता है।
- यह परंपरा तमिलनाडु विधानसभा में जुलाई 1991 में जयललिता के नेतृत्व वाली AIADMK सरकार ने शुरू की थी।
संसद तथा कुछ अन्य राज्य विधानसभाओं में राष्ट्रगान का वादन
- प्रत्येक विधानसभा अपनी परंपरा का पालन करता है। उदाहरण के लिए, नागालैंड में कई दशकों तक राष्ट्रगान नहीं गाया जाता था।
- जब आर.एन. रवि इस राज्य के राज्यपाल थे तो सर्वप्रथम फरवरी 2021 में इसका गायन हुआ।
- इसी तरह मार्च 2018 में त्रिपुरा विधानसभा में पहली बार राष्ट्रगान का गायन किया गया।
- संसदीय परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति के अपने मंच पर पहुँचने तथा उनके अभिभाषण के बाद राष्ट्रगान का वादन किया जाता है।
राष्ट्रगान संबंधी संवैधानिक प्रावधान
मौलिक कर्तव्यों से संबंधित भारतीय संविधान की धारा 51(A)(a) के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रगान का आदर करे।
राष्ट्रगान के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश
- राष्ट्रगान के पूर्ण संस्करण का गायन निम्नलिखित अवसरों पर किया जाएगा :
- नागरिक एवं सैन्य अलंकरण
- राष्ट्रीय सलामी के दौरान (राष्ट्रपति या राज्यपाल/उपराज्यपाल को उनके संबंधित राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में औपचारिक अवसरों (सलामी) पर)
- परेड के दौरान
- सरकार द्वारा आयोजित औपचारिक राजकीय समारोह एवं अन्य समारोह पर
- सामूहिक समारोह में राष्ट्रपति के आगमन पर और उनके प्रस्थान पर
- राष्ट्रपति द्वारा ऑल इंडिया रेडियो पर राष्ट्र को संबोधित करने से ठीक पहले एवं बाद में
- राज्यपाल/उपराज्यपाल के अपने राज्य/संघ शासित प्रदेश में औपचारिक राजकीय समारोहों में आगमन एवं उनके प्रस्थान पर
- राष्ट्रीय ध्वज को परेड में लाने के दौरान
- रेजिमेंटल कलर्स प्रस्तुत करते समय
- नौसेना में ध्वजारोहण के समय
राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971
यदि कोई जानबूझकर भारत के राष्ट्रगान के गायन को रोकता है या ऐसे गायन में संलग्न किसी समूह में व्यवधान उत्पन्न करता है तो उसे अधिकतम तीन वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
आधिकारिक समारोहों में राष्ट्रगान का गायन न होने पर दंड
- 29 जनवरी, 2019 को प्रधानमंत्री, तमिलनाडु के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने मदुरै में एम्स भवन की आधारशिला रखने के लिए आयोजित एक समारोह में भाग लिया था। इस समारोह में राष्ट्रगान एवं तमिल थाई वज़्थू का गायन नहीं किया गया।
- इस पर आपत्ति जताते हुए वेम्बू नामक एक महिला ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को नियम बनाने, दंड लगाने एवं राष्ट्रगान वादन न होने की अवज्ञा के लिए मुख्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की थी।
- मद्रास उच्च न्यायालय ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रगान गायन कोई आदेश नहीं बल्कि केवल एक प्रथा है।
- ऐसे में प्रतिवादियों के खिलाफ़ आदेश जारी नहीं किया जा सकता है।
इसे भी जानिए!
- नवंबर 2016 में अपने एक आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा एवं अमिताव रॉय की पीठ ने देश भर के सभी सिनेमा हॉलों को अंतरिम आदेश दिया कि फ़िल्मों की स्क्रीनिंग से पहले राष्ट्रगान बजाया जाए और राष्ट्रगान समाप्त होने तक सभी उपस्थित लोगों को इसके सम्मान में खड़े रहना चाहिए।
- हालाँकि, जनवरी 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में संशोधन करते हुए सिनेमाघरों के लिए प्रत्येक शो से पहले 52 सेकंड का राष्ट्रगान बजाना वैकल्पिक बना दिया।
- इसने राष्ट्रगान बजाने या न बजाने का विकल्प व्यक्तिगत सिनेमा हॉल मालिकों के विवेक पर छोड़ दिया।
- हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया की यदि राष्ट्रगान बजाया जाता है तो हॉल में मौजूद दर्शकों को खड़े होकर राष्ट्रगान के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना होगा।
- सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रगान के दौरान दिव्यांग व्यक्तियों को खड़े होने से दी गई छूट सभी अवसरों पर लागू रहेगी।
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