संदर्भ
- गुजरात ने देश का ग्रीन हाइड्रोजन मैन्युफैक्चरिंग हब बनने और औद्योगिक क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसी के तहत रिलायंस, अडानी, आर्सेलर मित्तल और टोरेंट सहित कई बड़े कॉरपोरेट्स के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
क्या होता है ग्रीन हाइड्रोजन?
- हाइड्रोज़न का उत्पादन कई विधियों से किया जा सकता है। इनमें सबसे स्थापित और प्रमाणित तरीकों में से एक है- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर किसी इलेक्ट्रोलाइज़र के माध्यम से जल को हाइड्रोज़न और ऑक्सीजन में विभाजित करना। इस प्रकार उत्पादित हाइड्रोज़न को ग्रीन हाइड्रोज़न कहते हैं, जबकि अन्य विधियों में कार्बन का उत्सर्जन होता है।
ईंधन के रूप में हाइड्रोजन
- हाइड्रोजन वैकल्पिक ईंधन का एक स्वच्छ स्रोत है। जब ईंधन सेल में उपयोग किया जाता है जो रासायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है, तो उप-उत्पाद केवल पानी होता है।
- बायोमास, प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा, पवन और सौर ऊर्जा एवं अन्य नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विभिन्न स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है। इसलिए, बिजली उत्पादन और परिवहन अनुप्रयोगों के लिए ईंधन के रूप में हाइड्रोजन एक अच्छा विकल्प है।
हाइड्रोजन ईंधन के कुछ प्रकार
- विभिन्न स्रोतों और प्रक्रियाओं से प्राप्त हाइड्रोजन को विभिन्न रंग के टैब द्वारा वर्गीकृत किया जाता है-
- ग्रे हाइड्रोजन-जीवाश्म ईंधन से उत्पादित हाइड्रोजन
- ब्लू हाइड्रोजन- इस प्रकार का हाइड्रोजन प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है।
- ग्रीन हाइड्रोजन- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके उत्पन्न हाइड्रोजन
- ब्राउन हाइड्रोजन- इस प्रकार के हाइड्रोजन का उत्पादन ब्राउन कोयले का उपयोग करके किया जाता है
हाइड्रोजन ईंधन के लाभ
हाइड्रोजन पारंपरिक जीवाश्म ईंधन की तुलना में कई लाभ प्रदान करता है जो निम्नलिखित हैं-
- यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है और बहुतायत में पाया जाता है।
- यह एक स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है क्योंकि हाइड्रोजन के जलने से कोई हानिकारक उपोत्पाद उत्पन्न नहीं होता है। इसमें लगभग शून्य कार्बन पदचिह्न (Zero Carbon Footprint) होता है।
- यह परमाणु ऊर्जा या प्राकृतिक गैस ऊर्जा के विपरीत मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है।
- ऑटोमोबाइल के लिए, हाइड्रोजन को टैंकों में संग्रहित कर इसका उपयोग किया जा सकता है।
- यह लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में हल्का है, जो इसे लंबी दूरी के ट्रकों और वाणिज्यिक वाहनों के लिए आदर्श बनाता है।
हाइड्रोजन ईंधन की सीमाएँ
- हाइड्रोजन अस्थिर है और अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ है।
- हाइड्रोजन एक गंधहीन गैस है जिसके रिसाव का पता लगाने के लिए सेंसर की आवश्यकता होती है। यह इसे एक जोखिम भरा और खतरनाक ईंधन बनाता है।
- वर्तमान में हाइड्रोजन की उत्पादन लागत उच्च है जो इसे आर्थिक दृष्टि से नुकसानदेह बनाती है। साथ ही, उत्पादन के तरीकों में जीवाश्म ईंधन शामिल हैं जो प्रदूषण का कारण बनते हैं।
- हल्का पदार्थ होने के कारण, हाइड्रोजन का भंडारण और परिवहन कठिन हो जाता है।
- हाइड्रोजन को स्टोर करने के लिए इसे तरल रूप में परिवर्तित करना पड़ता है और बहुत कम तापमान पर या उच्च दबाव पर गैस के रूप में स्टोर करना पड़ता है।
- भले ही हाइड्रोजन ईंधन सेल आंतरिक दहन इंजनों की तुलना में अधिक ऊर्जा-कुशल हैं, फिर भी वे लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में कम कुशल हैं।
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयास
- ऑटो के अलावा, पेट्रोलियम रिफाइनिंग और स्टील जैसे क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन का लाभ उठाने का ठोस प्रयास किया जा रहा है
- अप्रैल 2022 में, ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा असम में भारत का पहला 99.99 प्रतिशत शुद्ध ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र चालू किया
- टाटा मोटर लिमिटेड ने पहले हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों का परीक्षण किया
- अडानी फ़्रांस सरकार के सहयोग से "दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र" बनाने के लिए प्रयासरत
- अमेरिकन कंपनी ओहमियम इंटरनेशनल ने कर्नाटक में भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन फैक्ट्री शुरू की
अक्षय ऊर्जा के लिए अन्य पहलें
- जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (JNNSM)
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
- पीएम- कुसुम
- राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति (National Wind Solar Hybrid Policy)
- रूफटॉप सोलर योजना
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
- भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया।
- घोषणा 2021 के बजट में वित्त मंत्री द्वारा की गई थी।
- नोडल मंत्रालय- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
उद्देश्य
- मिशन स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन प्राप्त करने पर जोर देगा।
- 2030 के लिए नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य 450 GW है, इस मिशन से इस प्रक्रिया को गति मिलने की उम्मीद है।
- यह मिशन 2050 तक ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा।
- हाइड्रोजन का उपयोग पेरिस समझौते के तहत भारत की उत्सर्जन प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने और जीवाश्म ईंधन पर आयात निर्भरता को कम करने के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करेगा।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की आवश्यकता
- भारत में बिजली उत्पादन जीवाश्म ईंधन (कोयला)पर बहुत अधिक निर्भर है। यदि हाइड्रोजन इसे प्रतिस्थापित कर सकता है, तो प्रदूषण कम होगा (जीवाश्म ईंधन नहीं जलाने के कारण) साथ ही कोयले के आयात को कम किया जा सकता है।
- हाइड्रोजन ग्रह पर उपलब्ध सबसे प्रचुर तत्व है और इसके अन्य फायदे हैं
- जैसे-यह पेट्रोल से 2-3 गुना हल्का, अधिक ऊर्जा-सघन और ऊर्जा कुशल है।
मिशन की रणनीति
- हाइड्रोजन के सक्षम क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
- ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की स्थापना के साथ एक मजबूत मानक और नियमन संरचना भी विकसित की जाएगी।
- इसके अलावा, मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास (रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार भागीदारी- SHIP) के लिए एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी की सुविधा प्रदान की जाएगी;
- मिशन के तहत एक समन्वित कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाया जाएगा।
मिशन से लाभ
- ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के लिए निर्यात के अवसरों का सृजन;
- औद्योगिक, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी
- 2030 तक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी की कमी होने की संभावना
- आयातित जीवाश्म ईंधन और फीडस्टॉक पर निर्भरता में कमी;
- स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास;
- रोजगार के अवसरों का सृजन; और अत्याधुनिक तकनीकों का विकास।
- भारत की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता कम से कम 5 एमएमटी प्रति वर्ष तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें लगभग 125 जीडब्ल्यू की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता शामिल है।
- 2030 तक 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होने की संभावना है।
- इस मिशन से ग्रीन हाइड्रोजन की मांग, उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्राप्त होगी।