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गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य

  • छत्तीसगढ़ सरकार ने एक नया बाघ अभयारण्य स्थापित करने का निर्णय लिया है    जिसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने एक दशक पहले सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी।
  • इसके अंतर्गत गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य को संयुक्त रूप से नए बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित किया जाना है। यह छत्तीसगढ़ का चौथा बाघ अभयारण्य है।
  • अवस्थिति : मध्य प्रदेश और झारखंड की सीमा से लगे उत्तरी छत्तीसगढ़ में स्थित है।
    • छत्तीसगढ़ के अन्य तीन बाघ अभयारण्य : उदंती-सीतानदी, अचानकमार एवं इंद्रावती बाघ अभयारण्य 
  • जीव-जंतु : बाघ, तेंदुए, लकड़बग्घा, सियार, भेड़िये, स्लॉथ भालू, बार्किंग डिअर, चिंकारा और चीतल सहित कई स्तनधारी प्रजातियों की उपस्थिति।
  • नदियाँ : 
    • हसदेव गोपद और बरंगा का उद्गम क्षेत्र 
    • बनास और रेहंद जैसी नदियों का जलग्रहण क्षेत्र।

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान

  • यह बांधवगढ़ एवं पलामू बाघ अभयारण्य के बीच बाघों के आवागमन के लिए एक गलियारा प्रदान करता है।
  • मूल रूप से संजय दुबरी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा रहा है, जिसे वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ के गठन के बाद एक अलग इकाई बनाया गया था।

बाघ अभयारण्य को अधिसूचित या गैर-अधिसूचित करना 

  • अधिसूचना : वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के प्रावधानों के अनुसार, 
    • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सलाह पर राज्य सरकार किसी क्षेत्र को बाघ अभयारण्य अधिसूचित कर सकती है।
  • परिवर्तन एवं अधिसूचना रद्द करना : वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38W के अनुसार, 
    • एन.टी.सी.ए. की सिफारिश और राष्ट्रीय वन्य जीवन बोर्ड (NBWL) की मंजूरी से ही बाघ अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव किया जा सकता है।
    • राज्य सरकार एन.टी.सी.ए. और एन.बी.डब्ल्यू.एल. की मंजूरी के बाद ही केवल सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए बाघ अभयारण्य को गैर-अधिसूचित कर सकती है।
    • एन.बी.डब्ल्यू.एल. वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत गठित एक वैधानिक बोर्ड है जो वन्य जीव और वनों के विकास व संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है। 
  • गठन : वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत 
  • उद्देश्य 
    • निर्देशों का कानूनी रूप से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर को वैधानिक प्राधिकार प्रदान करना।
    • संघीय ढांचे के भीतर राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन के लिए आधार प्रदान करके बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन में केंद्र-राज्य की जवाबदेही को बढ़ावा देना।
    • संसद द्वारा निगरानी की व्यवस्था करना।
    • बाघ अभयारण्यों के आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के आजीविका हितों को संबोधित करना।
  • प्रमुख सदस्य 
    • अध्यक्ष : पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के प्रभारी मंत्री 
    • उपाध्यक्ष : पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में राज्य मंत्री 
    • सदस्य : तीन संसद सदस्य, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सचिव और अन्य सदस्य
  • प्रोजेक्ट टाइगर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
    • यह नामित बाघ अभयारण्यों में बाघ संरक्षण के लिए बाघ राज्यों को केंद्रीय सहायता प्रदान करती है।
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