(प्रारंभिक परीक्षा : भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय) |
संदर्भ
प्रतिवर्ष 6 जनवरी को 10वें सिख गुरु ‘गुरु गोबिंद सिंह’ की जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष इनकी यह 358वीं जयंती है।
गुरु गोबिंद सिंह जी के बारे में
जीवन परिचय
- जन्म : द्रिक पंचांग के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 1667 ई. में पौष शुक्ल सप्तमी को पटना साहिब में हुआ था।
- मृत्यु : 1708 ई. गुरु गोबिंद सिंह जी की हत्या महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक पश्तून (पठान) ने कर दी थी। यह हत्या सरहिंद के मुगल शासक नवाब वजीर खान के आदेश पर की गई थी।
- माता-पिता : गुजरी जी और गुरु तेग बहादुर (हिंद की चादर)
- नौवें गुरु ‘गुरु तेग बहादुर’ की मृत्यु के बाद गुरु गोविंद सिंह को नौ वर्ष की आयु में सिखों के दसवें एवं अंतिम गुरु के रूप में नियुक्त किया गया था।
- मुगल सम्राट औरंगजेब ने इस्लाम धर्म स्वीकार न करने पर गुरु तेग बहादुर का सिर कलम करवा दिया था।
- गुरु गोबिंद सिंह एक कुशल कवि, दार्शनिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। उन्होंने उत्पीड़न का मुकाबला करने और समाज में न्याय को बढ़ावा देने के लिए सिख योद्धा समुदाय ‘खालसा’ की स्थापना की थी।
शिक्षाएँ एवं धार्मिक विचार
- इन्हें पाँच ‘ककार’ आर्थात आस्था की पाँच वस्तुओं की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है। सिख इनका पालन करते हैं :
- केश : बिना कटे बाल
- कंघा : लकड़ी की कंघी
- कड़ा : कलाई पर पहना जाने वाला लोहे या स्टील का कंगन
- कृपाण : तलवार
- कच्छेरा : छोटी पतलून
- गुरु गोबिंद सिंह ने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में कई सुंदर भजन एवं प्रार्थनाओं की भी रचना की हैं।
- ‘शबद’ नाम से प्रसिद्ध इन भजनों को संगतों के दौरान गायन एवं श्रवण किया जाता है।
- गुरु गोबिंद सिंह ने पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को सिखों का स्थायी गुरु घोषित किया।
पंज प्यारे की अवधारणा
- गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा की स्थापना करते समय पंज प्यारे संस्था की स्थापना की थी।
- उन्होंने एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए बलिदान के लिए पाँच सिर (लोग) की मांग की। पाँच लोग इसके लिए तैयार हुए, जिनको पंज प्यारे नाम दिया गया।
- पंज प्यारे भारत की विभिन्न जातियों एवं राज्यों से संबंधित थे- भाई दया राम (लाहौर), भाई धरम राय (हस्तिनापुर, उत्तर प्रदेश), भाई हिम्मत राय (जगन्नाथ, ओडिशा), भाई मोहकम राय (गुजरात), भाई साहिब चंद (बीदर, कर्नाटक)।
- इसके बदले में गुरु गोबिंद सिंह ने उन्हें एक पात्र में अमृत (गुरबानी का पाठ करके तैयार किया गया मीठा जल) पिलाया।
- फिर उन्होंने उनके नामों के साथ ‘सिंह’ शब्द जोड़ दिया और उनका नाम बदलकर भाई दया सिंह, भाई धरम सिंह, भाई हिम्मत सिंह, भाई मोहकम सिंह एवं भाई साहिब सिंह रख दिया।
- खालसा के लिए धार्मिक एवं सामाजिक प्रोटोकॉल को परिभाषित करने के अलावा गुरु गोबिंद सिंह ने घोषणा की कि पंज प्यारों के पास समुदाय में किसी से भी अधिक अधिकार व निर्णय लेने की शक्ति है।
- कोई भी नाम प्राप्त सिख पंज प्यारे बन सकता है। पंज प्यारों द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय का समुदाय के सभी लोगों को पालन करना होता है।
- अकाल तख्त जत्थेदार कोई भी एकतरफा निर्णय नहीं ले सकते हैं और अकाल तख्त के प्रत्येक आदेश पर पाँचों तख्तों (अस्थायी सीटों) के सभी पाँच जत्थेदारों या उनके प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने चाहिए।
इसे भी जानिए!
वीर बाल दिवस
- वीर बाल दिवस प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को मनाया जाता है। वीर बाल दिवस दसवें सिख गुरु ‘गुरु गोविंद सिंह’ के पुत्रों की बहादुरी एवं बलिदान का सम्मान करने वाला एक राष्ट्रीय स्मरणोत्सव है।
- अराजकता के दौरान आनंदपुर साहिब किले में गुरु गोविंद सिंह के छोटे पुत्रों जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह को मुगलों ने इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाया।
- दोनों युवाओं (वीर बाल) ने अपना धर्म को त्यागने से इनकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप वज़ीर खान ने उन्हें 26 दिसंबर, 1705 के आसपास ईंटों में जिंदा चिनवा दिया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 में इनके बलिदान को सम्मान देने के लिए वीर बाल दिवस की घोषणा की।
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