प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, हाजी मलंग दरगाह मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 1 |
संदर्भ-
- हाल ही में महाराष्ट्र के सी.एम. एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वे जल्द ही सदियों पुरानी हाजी मलंग दरगाह को मुक्त कराएंगे।
मुख्य बिंदु-
- दक्षिणपंथी समूहों का दावा है कि यह दरगाह वास्तव में एक मंदिर है।
- यह समुद्र तल से 3000 फीट ऊपर माथेरान की पहाड़ियों पर मलंगगढ़ किले के पास स्थित है।
विवाद के बारे में-
- केतकर का परिवार पिछली 14 पीढ़ियों से इस दरगाह की देखभाल कर रहा है।
- दरगाह के ट्रस्टी का कहना है कि जो कोई भी दरगाह के मंदिर होने दावा कर रहा है, वह ऐसा राजनीतिक लाभ के लिए कर रहा है।
- 1980 में शिवसेना नेता आनंद दिघे ने इस दरगाह को नाथ संप्रदाय से संबंधित एक प्राचीन हिंदू मंदिर बताया था।
- 1990 के दशक में शिव सेना ने इस मुद्दे को उठाना बंद कर दिया था।
- मुख्यमंत्री शिंदे ने इस मुद्दे को फिर से उठाने का फैसला किया है।
- फरवरी 2023 में मुख्यमंत्री शिंदे ने दरगाह का दौरा किया था।
- श्री शिंदे ने आरती की थी और दरगाह के अंदर भगवा चादर चढ़ाई थी।
- अब इस दरगाह को लेकर विवाद बढ़ने लगा है।
18वीं शताब्दी में भी हुआ था विवाद-
- इस दरगाह को लेकर पहली बार 18वीं शताब्दी में विवाद हुआ था।
- यह संघर्ष इसलिए नहीं था कि यह मंदिर है या दरगाह बल्कि इसलिए था कि इसकी देखरेख ब्राह्मण कर रहे हैं।
- इस समय दरगाह के वंशानुगत संरक्षक कुछ स्थानीय मुसलमानों ने इसकी देखरेख एक ब्राह्मण द्वारा किए जाने पर आपत्ति जताई थी।
- इसके नियंत्रण पर विवाद की जानकारी तत्कालीन स्थानीय प्रशासक को मिली।
- स्थानीय प्रशासक ने वर्ष, 1817 में निर्णय लिया कि दरगाह पर नियंत्रण का निर्णय लॉटरी से होगी।
- तीन बार लॉटरी के विजेता काशीनाथ पंत के प्रतिनिधि केतकर रहे, जिन्हें संरक्षक घोषित किया गया।
- उसी समय से केतकर हाजी मलंग दरगाह ट्रस्ट के वंशानुगत ट्रस्टी हैं।
- ट्रस्टी चंद्रहास केतकर के अनुसार, ट्रस्ट बोर्ड में पारसी, मुस्लिम और हिंदू समुदायों के साथ-साथ आस-पास के किसान भी शामिल थे।
- 2008 के बाद से ट्रस्ट में कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है।
- वर्तमान में ट्रस्ट में तीन सदस्य हैं, क्योंकि बाकी या तो रिटायर हो गए हैं या उनका निधन हो गया है।
- फिलहाल दरगाह की देखरेख ब्राह्मण परिवार करता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय-
- 1954 में हाजी मलंग के प्रबंधन पर अभिजीत केतकर परिवार के नियंत्रण से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि दरगाह एक समग्र संरचना थी, जिसे हिंदू या मुस्लिम कानून द्वारा शासित नहीं किया जा सकता है।
- दरगाह को अपने खास रीति-रिवाजों द्वारा ही शासित किया जा सकता है।
दरगाह के बारे में-
- यह दरगाह मुंबई में स्थित है।
- यह दरगाह यमन के 12वीं शताब्दी के सूफी संत हाजी अब्द-उल-रहमान की है।
- आस- पास रहने वाले लोग इस दरगाह को हाजी मलंग बाबा के नाम से जानते हैं।
- 20 फरवरी को हाजी मलंग की जयंती मनाई जाती है।
द गजेटियर्स ऑफ बॉम्बे प्रेसीडेंसी –
- इस दरगाह का उल्लेख द गजेटियर्स ऑफ बॉम्बे प्रेसीडेंसी में भी है।
- बॉम्बे प्रेसीडेंसी के गजेटियर्स के अनुसार-
-
- दरगाह एक अरब मिशनरी हाजी अब्द-उल-रहमान के सम्मान में बनवाया गया था।
- स्थानीय राजा नल के शासनकाल में सूफी संत हाजी अब्द-उल-रहमान यमन से कई अनुयायियों के साथ आए थे
- वह पहाड़ी के निचले पठार पर बस गए थे।
- दरगाह की संरचना और कब्रें 12वीं शताब्दी से अस्तित्व में हैं और पवित्र मानी जाती हैं।
- 18वीं शताब्दी में तत्कालीन मराठा संघ ने कल्याण के एक ब्राह्मण काशीनाथ पंत खेतकर के नेतृत्व में दरगाह में चढ़ावा भेजा था।
- ऐसा माना जाता था कि संत की शक्ति के कारण अंग्रेज यहां से चले गए थे।
दरगाह के बारे में लोक कथाएं-
- राजा नल ने अपनी बेटी की शादी सूफी संत से की थी।
- हाजी मलंग और मां फातिमा दोनों की कब्रें दरगाह के अंदर स्थित हैं।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- हाजी मलंग दरगाह के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह दरगाह हाजी अब्द-उल-रहमान के सम्मान में बनवाया गया था।
- हाजी अब्द-उल-रहमान कतर से आये थे।
- इस दरगाह का प्रबंधन अभिजीत केतकर का परिवार करता है।
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर- (c)
मुख्य परीक्षा क लिए प्रश्न-
प्रश्न- हाजी मलंग दरगाह के सांस्कृतिक महत्व को स्पष्ट करते हुए इस दरगाह पर उठे विवाद की समीक्षा करें।
|