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IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

फासी लकड़ी

चर्चा में क्यों

इस वर्ष जगन्नाथ मंदिर में रथ निर्माण के लिये उपयोग की जाने वाली फासी लकड़ी (एनोजियेसिस एक्यूमिनेटा) का अधिकांश भाग, वनों के बजाय निजी भूमि मालिकों से दान के रूप में प्राप्त हुआ है। 

प्रमुख बिंदु

  • रथ निर्माण के लिये फासी लकड़ी के 14 फीट लंबे और सीधे तथा 6 फीट परिधि वाले लगभग 72 लॉग का उपयोग किया जाता है। इनका चयन जगन्नाथ मंदिर समिति के सदस्यों द्वारा किया जाता है। ये लकड़ी प्राचीन काल से ही वनों से प्राप्त की जाती थी, किंतु इस वर्ष फासी लॉग का अधिकांश भाग निजी भूमि मालिकों से दान के रूप में प्राप्त हुआ है।
  • प्रत्येक वर्ष जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों के निर्माण के लिये प्रमुख रूप से फासी, धौरा (एनोजियेसिस लैटिफोलिया), आसन (टर्मिनलिया एलिप्टिका) और सेमल (बॉम्बैक्स सेइबा) वृक्ष प्रजातियों का उपयोग किया जाता है। ये वृक्ष प्रजातियाँ ओडिशा के 14 जिलों में पाई जाती हैं।
  • फासी पर्णपाती वृक्ष होते हैं तथा इन्हें परिपक्व होने में 50 से 60 वर्ष का समय लगता है। ये वृक्ष भारत में ये मुख्यतया महानदी के जलोढ़ बाढ़ के मैदानों में पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, ये बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम आदि में भी पाए जाते हैं।
  • अत्यधिक वन हानि तथा जलवायु परिवर्तन के कारण हाल के वर्षों में इन वृक्षों की वृद्धि में गिरावट देखी गई है। साथ ही, दशकों से काटे जाने के कारण इनका भी पुनर्जनन प्रभावित हुआ है।
  • हरित महानदी मिशन के एक भाग के रूप में लोगों से फलों के वृक्षों के साथ धौरा के वृक्ष लगाने का अनुरोध किया जा रहा है।
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