प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री हरिचंद ठाकुर को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित की।
श्री हरिचंद ठाकुर के बारे में
- परिचय : वे 19वीं सदी के महान समाज सुधारक, धार्मिक नेता एवं शरणार्थियों के उद्धारक थे। उन्होंने बंगाल में मतुआ महासंघ की स्थापना की थी।
- वे विशेष रूप से बंगाल एवं उड़ीसा के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। उनकी शिक्षाएँ व कृति आज भी समाज में परिवर्तन के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
- जन्म स्थान : उनका जन्म बंगाल के ओरकांडी नामक स्थान पर नामशूद्र नामक अछूत समुदाय में हुआ था, जो वर्तमान बांग्लादेश में है।
- माता- पिता का नाम : कमला देवी एवं कृष्णराम ठाकुर
प्रमुख योगदान
- निम्नवर्ग का उत्थान : उन्होंने करुणा एवं न्याय को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक सुधार का मार्ग अपनाया।
- चांडाल आंदोलन : 19-20वीं सदी के बंगाल में ‘चांडाल आंदोलन’ (नामशूद्र आंदोलन) नामक अस्पृश्यता आंदोलन का नेतृत्व किया। इसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1911 में बंगाल में अस्पृश्यता पर प्रतिबंध लगा दिया।
- सिद्धांत : सत्य, प्रेम, पवित्रता पर आधारित
- सामाजिक सुधार : मतुआ संप्रदाय पुरुष एवं महिला को समान मानते हैं, अल्पायु में विवाह को हतोत्साहित करते हैं और विधवा पुनर्विवाह की अनुमति देते हैं।
- शिक्षा : निम्न जाति के लोगों के लिए ओरकांडी में एक अंग्रेजी माध्यम हाई स्कूल का निर्माण किया गया।
- शरणार्थियों के उद्धारक : उनका यह मानना था कि हर व्यक्ति को शरण देने का अधिकार है और समाज में हर किसी को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है।
जीवन के नैतिक मूल्य
- समानता एवं न्याय : इनका जीवन समानता एवं न्याय के सिद्धांतों पर आधारित था। उनका यह मानना था कि सभी व्यक्तियों को समान अधिकार व अवसर मिलना चाहिए।
- मानवता : इन्होंने हमेशा मानवता व इंसानियत का पालन किया। उनका जीवन हमेशा समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए समर्पित था।
- धर्म का सही रूप : उन्होंने धर्म को केवल बाह्य कर्मकांडों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे जीवन के आंतरिक सत्य एवं नैतिकता से जोड़ने का प्रयास किया है।