हाल ही में, हरियाणा में पर्यावरणविदों ने पारिस्थितिकी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ‘हरित घोषणापत्र 2024’ जारी किया।
हरित घोषणापत्र 2024 के बारे में
- परिचय: अपनी तरह की पहली पहल में हरियाणा के पर्यावरणविदों व पारिस्थितिकीविदों ने कई नागरिक समाज के सदस्यों के साथ मिलकर एक 'हरित घोषणापत्र' (Green Manifesto) बनाया है।
- शामिल मुद्दे: इसमें वायु प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, घटते भूजल स्तर और अरावली की सुरक्षा की आवश्यकता जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।
- उद्देश्य: इस घोषणापत्र के द्वारा पर्यावरणविदों ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में अपनी मांगों को शामिल करने का अनुरोध किया है।
हरित घोषणापत्र में प्रमुख मांगें
- क्रिटिकल इकोलॉजिकल ज़ोन: हरियाणा में अरावली और शिवालिक पहाड़ियों द्वारा प्रदान की जाने वाली आवश्यक पारिस्थितिकी सेवाओं की रक्षा के लिए, भूड़ क्षेत्रों एवं शिवालिक सहित अरावली को कानूनी रूप से ‘क्रिटिकल इकोलॉजिकल ज़ोन’ के रूप में नामित किया जाना चाहिए।
- ट्री एक्ट : इसमें दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 की तर्ज पर हरियाणा के लिए भी सख्त ‘ट्री एक्ट’ बनाने की मांग की गई है, जिसमें फतेहाबाद में ब्लैकबक के आवास जैसे राज्य के सभी खुले प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों को कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाए और चार वर्षों में 10% मूल वन और वृक्षावरण के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए एक कार्य योजना बनाई जाए।
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट : हरियाणा के सभी प्रदूषित तालाबों और अन्य जल निकायों को साफ करके तथा ग्रामीण एवं शहरी हरियाणा में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने चाहिए।
- सामुदायिक रिजर्व: स्थानीय समुदायों की भागीदारी के साथ हर गांव में बनियों (स्थानीय जंगल) को पुनर्जीवित कर और उन्हें कानूनी रूप से ‘सामुदायिक रिजर्व’ के रूप में नामित किया जाना चाहिए।
- वृक्ष पेंशन : किसानों को अपने खेतों में देशी पेड़ उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘वृक्ष पेंशन’ के रूप में मौद्रिक प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए।
- पारंपरिक वृक्षों को प्रोत्साहन: हरियाणा के पारंपरिक वृक्षों, जैसे- लेसोडा, खेजड़ी एवं अरावली प्रजाति के इंद्रोक व जाल जैसे लुप्त हो रहे वृक्षों को वापस लाने जैसे प्रयास किए जाने चाहिए।