संदर्भ
हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (HDFC) की घोषणा के अनुसार, एच.डी.एफ.सी. बैंक (HDFC Bank) और एच.डी.एफ.सी. लिमिटेड (HDFC Ltd) को विलय किया जाएगा। एच.डी.एफ.सी. लिमिटेड देश की सबसे बड़ी आवास वित्त ऋणदाता (Mortgage Lender- गिरवी पर ऋण देने वाला) है, जबकि एच.डी.एफ.सी. बैंक भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंकों में शामिल है। इस विलय के वर्ष 2024 तक पूर्ण होने की संभावना है।
विलय के बिंदु
- सौदे की शर्तों के तहत, भारतीय वित्तीय क्षेत्र में सबसे बड़े बैंकों में से एक एच.डी.एफ.सी. बैंक का पूर्ण (100%) स्वामित्व सार्वजनिक शेयरधारकों के पास होगा, जबकि एच.डी.एफ.सी. लिमिटेड के मौजूदा शेयरधारकों के पास बैंक का 41% हिस्सा होगा।
- यह दोनों संस्थाओं के मध्य एक ‘ऑल-शेयर डील’ है, इसलिये इसमें कोई नकद लेनदेन शामिल नहीं है। शेयर स्वैप की शर्तों के अनुसार, एच.डी.एफ.सी. लिमिटेड के शेयरधारकों को एच.डी.एफ.सी. लिमिटेड में उनके प्रत्येक 25 शेयरों के लिये एच.डी.एफ.सी. बैंक के 42 इक्विटी शेयर प्राप्त होंगे।
- विलय के बाद एच.डी.एफ.सी. लिमिटेड की सभी सहायक और सहयोगी कंपनियां एच.डी.एफ.सी. बैंक का हिस्सा बन जाएंगी।
- इस विलय के लिये दोनों कंपनियों को आर.बी.आई. (RBI), सेबी (SEBI), भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI), राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB), इरडा (IRDAI), PFRDA, एन.सी.एल.टी. (NCLT), बी.एस.ई. (BSE), एन.एस.ई. (NSE) आदि से मंजूरी लेनी होगी।
निहितार्थ
- हाल के वर्षों में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) उद्योग के लिये नियामक ढाँचे का विकास धीरे-धीरे बैंकिंग क्षेत्र के नियामक ढाँचे के साथ सामंजस्य स्थापित करने के करीब आ रहा है।
- भारतीय रिजर्व बैंक विगत कुछ वर्षों से एन.बी.एफ.सी. उद्योग के लिये नियामक ढाँचे को सख्त कर रहा है। इसलिये एच.डी.एफ.सी. लिमिटेड जैसे बड़े एन.बी.एफ.सी. का बैंकों के साथ विलय औचित्यपूर्ण है क्योंकि आर.बी.आई. द्वारा बैंकों को अधिक कड़ाई से विनियमित किया जाता है।
- चूँकि पूंजी पर्याप्तता के लिये बेसल III मानदंड लागू हैं, इसलिये गैर-निष्पादित संपत्ति बही की बहुत बारीकी से निगरानी की जाती है। अत: इससे एन.बी.एफ.सी. को अधिक कड़ाई से विनियमित किया जा सकेगा।
विलय से होने वाले लाभ
- इस विलय से एच.डी.एफ.सी. लिमिटेड को एच.डी.एफ.सी. बैंक के चालू और बचत खाते जमा (CASA Deposits) तक पहुँच प्राप्त होगी, जो कम लागत वाले फंड हैं। इससे ऋण व्यवसाय के लिये पूंजीगत लागत में कमी आएगी।
- पूंजीगत लागत कम होने से उचित दर पर उधार देने की क्षमता स्वतः ही बेहतर हो जाती है। इसके अतिरिक्त, आवास ऋण के ग्राहकों को एच.डी.एफ.सी. बैंक ग्राहक बनाने के लिये टैप भी किया जा सकता है।
- इस विलय से क्रेडिट की बढ़ती मांग का दोहन बेहतर ढंग से किया जा सकता है। इससे बड़े बही-खाते और पूंजी आधार के साथ विभिन्न क्षेत्रों में ऋण प्रवाह बढ़ेगा।
- एच.डी.एफ.सी. बैंक, भारतीय स्टेट बैंक के बाद देश में दूसरा सबसे बड़ा ऋणदाता बना रहेगा, जबकि विलय के बाद इसका आकार तीसरे सबसे बड़े ऋणदाता आई.सी.आई.सी.आई. बैंक (ICICI Bank) से दोगुना हो जाने की संभावना है। इस विलय के बाद यह देश की तीसरी सर्वाधिक मूल्यवान कंपनी हो जाएगी। ।