(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन, आपदा व आपदा प्रबंधन) |
संदर्भ
- केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने पिछले कुछ दिनों में कई जिलों में पराबैंगनी विकिरण के उच्च स्तर के कारण पराबैंगनी सूचकांक (Ultraviolet Index : UVI) अलर्ट जारी किया है।
- जर्नल एनवायरनमेंटल मॉनिटरिंग एंड असेसमेंट में प्रकाशित वर्ष 2004 से 2022 के बीच की अवधि के दौरान किए गए अध्ययन के अनुसार, केरल में 79% से अधिक UV माप ‘बहुत उच्च’ एवं ‘चरम’ श्रेणियों में थे।
पराबैंगनी सूचकांक के बारे में
- क्या है : सूर्य से आने वाली पराबैगनी विकिरण (UV विकिरण) के स्तर की माप
- यह सूचकांक 1 से 11+ के पैमाने पर सूर्य से आने वाली यू.वी. विकिरण की माप करता है।
- विकास : UV सूचकांक को विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्व मौसम विज्ञान संगठन तथा अंतर्राष्ट्रीय गैर-आयनीकरण विकिरण संरक्षण आयोग द्वारा विकसित
- महत्व : यू.वी. विकिरण के अत्यधिक संपर्क के जोखिम के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सुरक्षात्मक उपाय अपनाने की आवश्यकता के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए महत्वपूर्ण

- यू.वी. विकिरण का स्तर एवं सूचकांक का मान पूरे दिन अलग-अलग होता है। यू.वी.आई. में किसी दिए गए दिन में अधिकतम दैनिक यू.वी. स्तर प्रदान किया जाता है जो सौर दोपहर के आसपास चार घंटे की अवधि के दौरान होता है।
- विभिन्न अलर्ट : विकिरण स्तर और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके प्रभावों के आधार पर जारी विभिन्न अलर्ट-
- ग्रीन अलर्ट : 0 से 2 तक
- येलो अलर्ट : 3 से 5
- ऑरेंज अलर्ट : 6 ,7
- रेड अलर्ट : 8 से 10
- पर्पल अलर्ट : 11 से ऊपर
उच्च पराबैंगनी विकिरण (UVR) का स्वास्थ्य पर प्रभाव
यू.वी. विकिरण की अल्प मात्रा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है जोकि विटामिन डी के उत्पादन में महत्वपूर्ण होती है। हालाँकि, यू.वी.आर. के अत्यधिक संपर्क से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक परिणाम इस प्रकार हैं :
- त्वचा पर प्रभाव :
- त्वचा की लोचशीलता (Skin Elasticity) में कमी
- सनबर्न (Sunburn) : अत्यधिक UV विकिरण के संपर्क में आने से त्वचा जल जाती है, जिससे लालिमा, दर्द एवं सूजन हो जाती है और त्वचा का रंग खराब होने लगता है।
- कैंसर : अत्यधिक UV विकिरण के संपर्क में रहने से त्वचा कैंसर, बेस सेल कार्सिनोमा और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (आंख में और उसके आसपास कैंसर) का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव : यू.वी. विकिरण प्रतिरक्षा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- आँखों पर प्रभाव : यू.वी. विकिरण के तीव्र प्रभावों में फोटोकेराटाइटिस एवं फोटोकंजंक्टिवाइटिस (क्रमशः कॉर्निया व कंजंक्टिवा की सूजन) शामिल हैं। लंबे समय तक संपर्क में रहने से रेटिना को नुकसान हो सकता है।