- भारत में वैज्ञानिकों ने गंभीर हीमोफीलिया ए के उपचार के लिए लेंटिवायरल वेक्टर का उपयोग करते हुए पहली बार मानव जीन थेरेपी को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है। इस अध्ययन के परिणाम न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (NEJM) में प्रकाशित किए गए हैं।
- लेंटिवायरल वेक्टर एक प्रकार का वायरल वेक्टर है जिसका उपयोग जीन थेरेपी के लिए कोशिकाओं में आनुवंशिक सामग्री स्थानांतरित करने के लिए किया जा सकता है।
हीमोफीलिया ए
- हीमोफीलिया ए एक दुर्लभ वंशानुगत रोग है। यह दोषपूर्ण जीन के कारण होता है। इससे गंभीर, स्वतः स्फूर्त तथा संभावित रूप से घातक रक्तस्राव होता है।
- इस रक्त विकार की स्थिति में शरीर रक्त के थक्के बनाने में मदद करने के लिए पर्याप्त प्रोटीन (थक्के बनाने वाले कारक) नहीं बनाता है। जिससे रक्त का थक्का कम बनता है और परिणामस्वरूप रक्तस्राव या चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।
हीमोफीलिया के प्रकार
हीमोफीलिया को पीड़ित व्यक्ति में मौजूद थक्के बनाने वाले कारक के प्रतिशत के आधार पर मामूली या गंभीर के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। हीमोफीलिया तीन प्रकार का होता है :
- हीमोफीलिया ए : यह हीमोफीलिया का सबसे आम प्रकार है। यह तब होता है जब रक्त में पर्याप्त थक्का बनाने वाला फैक्टर 8 (फैक्टर VIII) नहीं होता है। CDC का अनुमान है कि 100,000 लोगों में से लगभग 10 को हीमोफीलिया ए होता है।
- हीमोफीलिया बी : हीमोफीलिया बी तब होता है जब आपके शरीर में थक्का जमाने वाला फैक्टर 9 (फैक्टर IX) पर्याप्त मात्रा में नहीं होता है। CDC का अनुमान है कि अमेरिका में लगभग 100,000 लोगों में से 3 को हीमोफीलिया बी है।
- हीमोफीलिया सी : हीमोफीलिया सी को फैक्टर 11 (फैक्टर XI) की कमी के रूप में भी जाना जाता है। यह हीमोफीलिया प्रकार बहुत दुर्लभ है, जो 100,000 लोगों में से 1 को प्रभावित करता है।
भारत की स्थिति
- हीमोफीलिया एक दुर्लभ विकार होने के बावजूद भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोगी समूह है, जिसमें अनुमानित 40,000 से 100,000 रोगी हैं।
- जर्नल हेलियॉन में मार्च 2024 में किए गए एक शोध अध्ययन का अनुमान है कि भारत में हीमोफीलिया के इलाज की प्रति मरीज लागत 10 साल की अवधि में $300,000 (या ₹2.54 करोड़) होगी।