हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने खरपतवारनाशक सहिष्णु बासमती चावल की किस्मों का व्यवसायीकरण किया
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार -
चावल की यह किस्म खरपतवारों को नियंत्रित कर सकती हैं
ये सीधी बुआई वाले चावल के बीजों को बढ़ावा दे सकती हैं।
सीधी बुआई वाले चावल
यह कम सिंचाई में बिना नर्सरी में उगाए और बिना रोपाई के सीधे सूखी बुआई द्वारा चावल उगाने की एक प्रणाली है।
यह चावल की खेती की एक कुशल और टिकाऊ विधि है जो किसानों, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है।
खरपतवारनाशक सहिष्णु चावल के संबंध में चिंतायें
खरपतवारनाशक सहिष्णु चावल के संबंध मेंभारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के दावों को वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर ‘अतिशयोक्तिपूर्ण’ माना जा रहा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, ये नई गैर-आनुवंशिक रूप से संशोधित किस्में में सीधी बुआई वाली प्रणाली में खरपतवारों को खत्म करने के लिए इमेजेथापायर नामक शाकनाशी के प्रयोग की अनुमति देती हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इमेजेथापायर केवल कुछ विशेष प्रकार के चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को ही मारता है और यह चावल की फसलों के लिए उपयुक्त नहीं है।
एक ही प्रकार के खरपतवारनाशक के निरंतर उपयोग से इसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता वाले अधिक शक्तिशाली खरपतवारों का विकास हो सकता है
यह भारत में चावल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा होगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन है।
स्थापना - 16 जुलाई 1929
मुख्यालय - नई दिल्ली
यह भारत में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन के लिए सर्वोच्च निकाय है।
प्रश्न - भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की स्थापना कब हुई थी ?