हाल ही में विरासत साड़ी महोत्सव 2024 आयोजन शुरू हुआ
इसका आयोजन 15 से 28 दिसंबर 2024 तक होगा
यह कपड़ा मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है
विरासत - भारत की हाथ से बुनी साड़ियों का उत्सव है
इसमें नेशनल सेंटर फॉर हेरिटेज टेक्सटाइल्स (हथकरघा हाट) जनपथ, नई दिल्ली में विशेष हथकरघा साड़ी की प्रदर्शनी लगाई जाएगी
यह विरासत साड़ी महोत्सव का तीसरा संस्करण है
उद्देश्य
इस कार्यक्रम का उद्देश्य हथकरघा साड़ियों के बाजार और हथकरघा समुदाय की कमाई में सुधार करना है।
यह कार्यक्रम भारत की हथकरघा विरासत को प्रदर्शित करेगा।
देश के विभिन्न हिस्सों की हथकरघा साड़ियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा
देश भर के हथकरघा बुनकरों, साड़ी डिजाइनरों और साड़ी प्रेमियों और खरीदारों को एक साथ लाया जाएगा।
यह आयोजन हथकरघा क्षेत्र की परंपरा और क्षमता दोनों का उत्सव मनाएगा।
इस आयोजन से साड़ी बुनाई की सदियों पुरानी परंपरा पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित होने की संभावना है
हथकरघा
हथकरघा (Handloom) एक प्रकार की बुनाई की प्रक्रिया है, जिसमें कपड़े को हाथ से चलने वाले करघे (लूम) पर तैयार किया जाता है।
यह प्रक्रिया भारत और अन्य देशों में सदियों से पारंपरिक रूप से अपनाई जाती रही है।
हथकरघा न केवल एक कला है, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और स्थानीय कौशल का प्रतीक भी है।
हथकरघा क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक होने के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोगों, विशेषकर महिलाओं को रोजगार प्रदान करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक है।
हथकरघा उत्पादों की विशिष्टता विशिष्ट कला, बुनाई, डिज़ाइन और पारंपरिक रूपांकनों के साथ दुनिया भर से साड़ी प्रेमियों को आकर्षित करती है।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस
यह प्रतिवर्ष 7 अगस्त को मनाया जाता है
इसका पहला आयोजन 7 अगस्त 2015 को किया गया।
यह तिथि विशेष रूप से स्वदेशी आंदोलन की याद में चुनी गई थी
स्वदेशी आंदोलन को 7 अगस्त 1905 को शुरू किया गया था और स्वदेशी उद्योगों, विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया गया था।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उद्देश्य हथकरघा बुनकरों को सम्मानित करना है
देश के सांस्कृतिक, पारंपरिक और आर्थिक परिदृश्य में उनके योगदान की सराहना करके हथकरघा उद्योग को प्रेरणा और गौरव की भावना प्रदान करना है।
इस समारोह का उद्देश्य हथकरघा क्षेत्र के महत्व और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है।