प्रारंभिक परीक्षा : हिग्स बोसॉन मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3-विज्ञान एवं प्रोधौगिकी(नवाचार) |
संदर्भ:
- यूरोप के CERN में लार्ज हैड्रोन कोलाइडर (LHC) पार्टिकल मैशर के साथ काम करने वाले भौतिकविदों ने बताया कि उन्होंने हिग्स बोसोन कण में क्षय होने के कारण एक Z बोसोन कण और एक फोटॉन बनने का पता चला है।
- यह एक बहुत ही दुर्लभ क्षय प्रक्रिया है जो हिग्स बोसोन के साथ-साथ हमारे ब्रह्मांड के बारे में महत्वपूर्ण बातें बताती है।
हिग्स बोसॉन क्या है?
- यह एक इलेक्ट्रॉन उप-परमाणु कण है जिसमें द्रव्यमान होता है।
- यह द्रव्यमान कैसे उत्पन्न होता है, या हम यह कैसे कह सकते हैं कि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन से कम होता है या फोटॉन का कोई द्रव्यमान नहीं होता है? इसका उत्तर हिग्स बोसोन कण से मिल जाता है।
- हिग्स बोसोन के साथ एक कण की परस्पर क्रिया जितनी मजबूत होती है, उसका द्रव्यमान उतना ही अधिक होता है।
- यही कारण है कि इलेक्ट्रॉनों का एक निश्चित द्रव्यमान होता है, प्रोटॉनों में यह अधिक होता है, और न्यूट्रॉनों में प्रोटॉनों की तुलना में बस थोड़ा सा अधिक होता है।
- एक हिग्स बोसोन दूसरे हिग्स बोसोन के साथ भी परस्पर क्रिया कर सकता है - इस तरह हम जानते हैं कि इसका द्रव्यमान प्रोटॉन या न्यूट्रॉन से अधिक है।
कब खोजी गई?
4 जुलाई,2012 को यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान केंद्र (सर्न) के वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि उन्होंने एक नए उप-परमाण्विक कण की खोज कर ली है। यह बहुप्रतीक्षित हिग्स बोसॉन कण था जिसका अस्तित्व सैद्धांतिक तौर पर प्रतिपादित किया जाता रहा है। दुनिया भर के हजारों वैज्ञानिक वर्ष 2009 से इस कण की खोज में लगे थे। इस बड़े दल में अनेक भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल रहे हैं जिनमें टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान, मुंबई के भी कई वैज्ञानिक शामिल रहे हैं।