वर्ष 2013 के नोबेल पुरस्कार विजेता ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी पीटर हिग्स का निधन हो गया है। इन्होंने हिग्स बोसॉन या गॉड पार्टिकल की खोज की थी।
हिग्स बोसॉन (गॉड पार्टिकल)
- वर्ष 1964 में पीटर हिग्स ने हिग्स बोसॉन के अस्तित्व का सिद्धांत दिया, जोकि हिग्स क्षेत्र से जुड़ा एक मौलिक बल-वाहक कण है। हिग्स क्षेत्र एक क्वांटम क्षेत्र है जो कणों को द्रव्यमान प्रदान करता है और पूरे ब्रह्मांड में मौजूद है।
- इस कण की खोज 4 जुलाई, 2012 को लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) के शोधकर्ताओं ने की, जोकि दुनिया का सबसे शक्तिशाली कण त्वरक है। यह यूरोपीय कण भौतिकी प्रयोगशाला सी.ई.आर.एन. (CERN), स्विट्जरलैंड में स्थित है।
- हिग्स बोसॉन उन 17 मौलिक कणों में से एक है, जो भौतिकी के मानक मॉडल का निर्माण करते है तथा ब्रह्मांड के निर्माण की भौतिकी का वर्णन करते है।
- हिग्स बोसॉन के गुणों को विस्तार से मापना कण भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान में कई रहस्यों की खोज के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें प्राथमिक कणों के द्रव्यमान की भिन्नता से लेकर ब्रह्मांड के भविष्य तक शामिल हैं।
- हिग्स क्षेत्र में हिग्स बोसॉन एक तरंग के रूप में कार्य करता है और अपने कंपन (दोलन) के संदर्भ में अन्य मूलभूत कणों को द्रव्यमान प्रदान करने में मदद करता है।
- CERN के अनुसार, इस कण का द्रव्यमान 125 बिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट है, जो इसे एक प्रोटॉन से 130 गुना बड़ा बनाता है।
- बोसॉन के नाम से जाने जाने वाले उप-परमाण्विक कणों का नाम भारतीय भौतिक विज्ञानी सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर रखा गया है।