प्रारम्भिक परीक्षा – प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 ( पर्यावरण एवं जैव-विविधता) |
संदर्भ
US नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने जलवायु परिवर्तन और अल नीनो जलवायु पैटर्न के कारण कोरल रीफ के संकट के बारे में हाई अलर्ट जारी किया है।

- NOAA के अनुसार, समुद्री तापमान की वृद्धि के कारण प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) की घटना अत्यधिक बड़े पैमाने पर देखी जा रही है।
प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) का प्रभाव :-
- इसके प्रभाव से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र क्षतिग्रस्त, मछली पालन में हानि,पर्यटन उद्योगों को नुकसान आदि हो रहा है।
- NOAA के अनुसार, वैश्विक ब्लीचिंग की घटना वर्ष 2014 से वर्ष 2017 तक देखी गई थी।
- इसके परिणामस्वरूप ग्रेट बैरियर रीफ में लगभग एक तिहाई मूंगे नष्ट हो गए थे।
- इस वर्ष 2024 में औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है।
- इससे मूंगा चट्टानों के अस्तित्व के लिए खतरा माना जा रहा है।
- वैश्विक स्तर पर ब्लीचिंग की घटना तीन प्रमुख महासागर : अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर में देखी जा रही है।
प्रवाल (Coral)

- इसे मूँगा/Coral भी कहा जाता है।
- यह एक समुद्री अकशेरुकी प्राणी (Invertebrates) होता है।
- इसके लघु बेलनाकार रूप के कारण इसे "पॉलिप" भी कहा जाता है।
- ये जीव वृहद स्तर पर सघन कालोनी बनाकर रहते हैं।
- यह चूना (CaCo3) स्रावी जीव होते हैं, जो चूने द्वारा अपने बाह्य कवच का निर्माण करते है।
- यह बाह्य खोल कोरलाइट कहलाता है।
प्रवालों को दो भागों में विभाजित किया जाता है -
- कठोर मूंगा (Hard Coral)
- मुलायम मूंगा (Soft Coral)
- कठोर मूंगा ही चूने का स्राव करते हैं।
- इस कारण कठोर मूंगा को भित्ति निर्माता कोरल भी कहा जाता है।
- मुलायम मूंगा चूने का स्राव नहीं करते।
प्रवाल के विकास के लिए अनुकूल दशाए :-
- प्रवाल मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय महासागरों (30° N से 30° S) में पाए जाते हैं।
- तापमान : 20°C से 21°C तापमान उपयुक्त होता है।
- 18°C से कम तापमान पर प्रवाल जीवित नहीं रह सकते हैं।
- गहराई: 50-70 मीटर की गहराई तक ।
- लवणता: 32 ग्राम प्रति हजार से 42 ग्राम प्रति हजार तक
- अन्य दशाएं : सागरीय चबूतरे, डूबे हुए ज्वालामुखी द्वीप, पर्वत या पठार के भाग।
प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching):-

- समुद्री तापमान में वृद्धि, प्रकाश या पोषण में परिवर्तन के कारण प्रवालों पर तनाव बढ़ता है तो प्रवाल अपने ऊतकों में निवास करने वाले सहजीवी शैवाल ज़ूजैन्थेले को निष्कासित कर देते हैं।
- इस कारण प्रवाल सफेद रंग में परिवर्तित हो जाते हैं।
- इस घटना को कोरल ब्लीचिंग या प्रवाल विरंजन कहते हैं।
प्रवाल या मूंगा का महत्व:-
- मूंगा चट्टानें समुद्री तटों को तूफान/कटाव से बचाती हैं।
- ये पर्यटन को बढ़ावा देती है।
- इनका उपयोग खाद्य पदार्थों एवं दवाओं में किया जाता है।
खतरा :-
- प्राकृतिक खतरा: तापमान वृद्धि से, तलछट जमाव से, लवणता से आदि।
- मानवजनित खतरा: समुद्री खनन से, तलहटी में मछली पकड़ने में, पर्यटन, प्रदूषण आदि।
प्रवाल के संरक्षण हेतु प्रयास :-
- वैश्विक : ग्लोबल कोरल रीफ आर एंड डी एक्सेलेरेटर प्लेटफार्म
- भारतीय : राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम
ग्रेट बैरियर रीफ (ऑस्ट्रेलिया)
- यहाँ विश्व की सबसे बड़ी मूंगा चट्टान पायी जाती है।
- इसे UNESCO द्वारा वर्ष 1981 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
भारत में प्रवाल निम्नलिखित क्षेत्रों में पाए जाते हैं :-
- अंडमान-निकोबार
- कच्छ की खाड़ी
- लक्षद्वीप
- मन्नार की खाड़ी
- खंभात की खाड़ी
- ओडिशा के कोणार्क तट
- महाराष्ट्र में मालवन तथा विजयदुर्ग के तट
- कर्नाटक के नेतरानी द्वीप पर
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय संचालन (NOAA) एजेंसी ने जलवायु परिवर्तन के कारण कोरल रीफ के संकट के बारे में हाई अलर्ट जारी किया है।
- यह मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय महासागरों (30° N से 30° S) में पाए जाते हैं।
- प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) के कारण ग्रेट बैरियर रीफ में लगभग एक तिहाई मूंगे नष्ट हो गए हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) क्या है ? इसके वैश्विक प्रभाव की विवेचना कीजिए।
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स्रोत : INDIA TODAY