प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, HAPS, ज़ेफिर, ऊर्जा घनत्व मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
संदर्भ-
फरवरी, 2024 में बेंगलुरु स्थित ‘नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज’ (NAL) द्वारा नई पीढ़ी के आभासी मानवरहित हवाई वाहन (UAV) के एक प्रोटोटाइप HAPS का सफल परीक्षण किया गया।
मुख्य बिंदु-
- यह सामान्य UAV से अलग है।
- पूर्णतः सौर ऊर्जा से संचालित यह UAV महीनों तक हवा में रह सकता है।
- यह जमीन से लगभग 20 किमी की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
- इस वर्ग के UAV को HAPS या उच्च ऊंचाई वाले आभासी-उपग्रह वाहन या HALE कहा जाता है।
- NAL के वैज्ञानिक डॉ. एल वेंकटकृष्णन ने HAPS का विकास करने वाले टीम का नेतृत्व कर रहे हैं।
- अभी तक किसी भी देश ने इस तकनीक में महारत हासिल नहीं की है।
- इस श्रेणी के वाहन का विश्व रिकॉर्ड एयरबस द्वारा निर्मित ‘ज़ेफिर’ के नाम है।
- इसने दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले अगस्त, 2022 तक लगातार 64 दिनों तक उड़ान भरी थी।
HAPS की आवश्यकता-
वर्तमान प्रौद्योगिकियों की सीमाएँ -
- HAPS जो कार्य करेगा, वर्तमान में वे कार्य सामान्य UAV और उपग्रहों द्वारा किए जाते हैं; लेकिन दोनों की कुछ सीमाएँ हैं।
1. सामान्य UAV-
- सामान्य UAV या ड्रोन अधिकांशतः बैटरी चालित होते हैं और कुछ घंटों से अधिक हवा में नहीं रह सकते हैं।
- ये निरंतर निगरानी बहुत प्रभावी ढंग से नहीं कर सकते हैं।
- ये HAPS की अपेक्षा कम ऊंचाई पर उड़ते हैं, जिसके कारण वे सीमित क्षेत्र तक ही निगरानी कर सकते हैं।
2. उपग्रह-
- उपग्रह बहुत बड़े क्षेत्रों का निरीक्षण करते हैं।
- पृथ्वी की निम्न कक्षाओं में स्थित उपग्रह पृथ्वी का लगातार चक्कर लगाते हैं।
- ये लगातार लक्ष्य क्षेत्र पर नजर नहीं रख सकते।
- जमीन से लगभग 36,000 किमी की ऊंचाई पर स्थित भूस्थैतिक उपग्रह एक क्षेत्र पर लगातार नजर रख सकते हैं।
- ये बहुत महंगे हैं।
- इन्हें एक बार उपयोग करने के बाद पुन: उपयोग में नहीं लाया जा सकता है।
3. HAPS-
- HAPS का उद्देश्य उपर्युक्त कमियों को दूर करना है।
- निगरानी के लिए HAPS अधिक उपयोगी हो सकता है।
- ये भूस्थैतिक उपग्रहों की तरह काम करते हैं, लेकिन अतिरिक्त लचीलेपन के साथ।
- इन्हें आसानी से किसी अन्य स्थान पर पुनः तैनात किया जा सकता है।
- इन्हें एक अलग पेलोड के साथ पुनः सुसज्जित किया जा सकता है, जो कि भूस्थैतिक उपग्रह के साथ संभव नहीं है।
- ये समतापमंडलीय वाहन एक निश्चित क्षेत्र में घूमने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
- ये सामान्य UAV की तुलना में धीमी गति से चलते हैं।
- इनकी गति लगभग 80-100 किमी प्रति घंटा है।
- पृथ्वी से 20 किमी की ऊंचाई पर इतनी धीमी गति का अर्थ है कि पृथ्वी पर मौजूद वस्तुएं इसके दायरे से बाहर नहीं हैं।
- यह 200 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र पर आसानी से निगरानी रख सकता है।
- यह 5 मीटर रिज़ॉल्यूशन के साथ 400 वर्ग किमी क्षेत्र में भी निगरानी रख सकता है।
- फरवरी, 2024 में NAL द्वारा विकसित प्रोटोटाइप ने हवा में साढ़े आठ घंटे बिताए थे।
- मार्च, 2024 में NAL कम से कम 24 घंटे उड़ान वाले HAPS के विकास की योजना बना रहा है।
- NAL फुल-स्केल वाहन को 2027 तक बनाने के लिए प्रयासरत है, जो लगातार 90 दिनों तक हवा में रहेगा।
HAPS की प्रौद्योगिकी चुनौतियाँ-
- पूर्णतः सौर ऊर्जा चालित और महीनों तक हवा में रहने में सक्षम वाहन विकसित करने में तकनीकी बाधाएं आ रही हैं।
- प्रमुख चुनौतियाँ-
- विमान को उड़ान भरने, पेलोड को चालू रखने और बैटरियों को चार्ज करने के लिए पर्याप्त सौर ऊर्जा उत्पन्न न हो पाना
- पूरी रात परिचालन के लिए पर्याप्त बैटरियों का न होना
- डिज़ाइन-संबंधी चुनौतियाँ -
- बिजली की आवश्यकता को कम करने के लिए वाहन को बेहद हल्का होना चाहिए
- वाहन को स्थिर भी होना चाहिए
- HAPS को समताप मंडल में उड़ने के लिए बनाया गया है।
- पृथ्वी की सतह से 17 से 23 किमी ऊपर का क्षेत्र जलवायु की दृष्टि से इनकी उड़ान के लिए अनुकूल है।
- यहाँ हवा की गति बहुत कम है और हल्के वजन वाले विमानों के स्थिर रहने के लिए यह आदर्श है।
- यह ऊंचाई उस क्षेत्र से बहुत ऊपर है, जहां नागरिक विमान उड़ान भरते हैं।
- इससे अवलोकन और निगरानी गतिविधियों में मदद मिलती है।
- समस्या यह है कि इस ऊंचाई पर तापमान -50 डिग्री सेल्सियस या उससे कम तक गिर सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तु को गर्म रखने की आवश्यकता होती है।
- इससे बिजली संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
- समताप मंडल में हवा का घनत्व समुद्र तल पर मौजूद घनत्व का लगभग 7 प्रतिशत ही है।
- यह वाहन को लिफ्ट और थ्रस्ट उत्पन्न करने में गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न करता है।
- स्थान और वजन की सीमाओं के कारण उच्च दक्षता वाले सौर सेल्स और बैटरियों की आवश्यकता है।
- 500 वाट-घंटा/किग्रा की ऊर्जा घनत्व वाली बैटरी कोशिकाओं पर विचार किया जा रहा है।
ऊर्जा घनत्व किसी बैटरी में उसके वजन के अनुपात में संग्रहीत ऊर्जा की मात्रा का माप है।
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- दशकों से इस पर कार्य होने के बावजूद एक पूर्ण HAPS का विकास अभी भी इंजीनियरों की पहुंच से बाहर है।
- सौर सेल, बैटरी और मिश्रित सामग्री में उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास के कारण इसका निर्माण निकट भविष्य में संभव प्रतीत होता है।
HAPS के अनुप्रयोग-
- निगरानी के क्षेत्र
- दुश्मन के इलाके में घुसे बिना 200 किलोमीटर अंदर तक निगरानी करने में सक्षम
- आपदा प्रबंधन जैसी स्थितियों में
- दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल संचार नेटवर्क प्रदान करने में
- जियोलॉजिकल सेवा में
भारत में HAPS का विकास-
- HAPS के निर्माण के क्षेत्र में भारत प्रारंभिक चरण में है।
- भारत में विगत कुछ वर्षों में उभरती प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान को बढ़ावा देने पर बहुत बल दिया गया है, ताकि देश भविष्य की महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर न रहना पड़े।
- प्रारंभिक चरण में प्रौद्योगिकी विकास में शामिल होने से क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकियों को शीघ्र अपनाने, पेटेंट पर अधिकार, व्यापार के अवसर और स्पिन-ऑफ प्रौद्योगिकियों का भी परिणाम मिलता है।
- अभी तक कोई भी HAPS उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में नहीं उड़ा है, जो ऊपरी वायुमंडल में जेट स्ट्रीम की उपस्थिति के कारण बहुत बड़ी चुनौती पेश करता है।
- भारत को इस क्षेत्र में लाभ मिल सकता है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- हाई-अल्टीट्यूड सूडो सैटेलाइट व्हीकल के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ये अतिरिक्त लचीलेपन के साथ भूस्थैतिक उपग्रहों की तरह काम करते हैं।
- इन्हें आसानी से किसी अन्य स्थान पर पुनः तैनात किया जा सकता है।
- इन्हें एक अलग पेलोड के साथ पुनः सुसज्जित किया जा सकता है।
उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर- (c)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- हाई-अल्टीट्यूड सूडो सैटेलाइट व्हीकल की प्रौद्योगिकी चुनौतियों को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता बताएं।
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