हाल ही में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच निवेश बढ़ाने के लिये 8वीं उच्च स्तरीय बैठक (संयुक्त कार्यदल) का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये भारत द्वारा किया गया।
दोनों देशों के बीच आर्थिक सम्बंधों को मज़बूत करने के लिये संयुक्त कार्यदल का गठन वर्ष 2012 में किया गया था। इस कार्यदल की सफलता का ही परिणाम था कि जनवरी, 2017 में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने समग्र रणीनितक साझेदारी का समझौता किया।
इस बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने एंटी डम्पिंग शुल्क, टैरिफ और नियामक प्रतिबंध जैसी अड़चनों पर भी आपसी सहमती बनाने की बात की।
सिविल एविशन क्षेत्र (नागरिक उड्डयन क्षेत्र) को अहम क्षेत्र मानते हुए दोनों देशों ने आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ाने पर सहमति भी जताई है। दोनों देशों के नागरिक उड्डयन नियामक इस दिशा में काम करेंगे।
इन मुद्दों के अलावा दोनों देशों ने स्वास्थ्य सेवाओं, फॉर्मास्युटिकल, मोबिलिटी और लॉजिस्टिक, खाद्य व कृषि, ऊर्जा, उपयोगी सेवाओं सहित अन्य दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
ध्यातव्य है कि यू.ए.ई. भारत में दसवाँ सबसे बड़ा निवेशक है।
भारत-यू.ए.ई. सम्बंध
भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) की मित्रता वर्षों पुरानी सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक सम्बंधों पर आधारित है।
वर्ष 1966 में आबूधाबी के शासक के रूप में महामहिम शेख ज़ाएद बिन सुल्तान अल नहयान की ताज़पोशी तथा इसके बाद वर्ष 1971 में यू.ए.ई. परिसंघ के सृजन से सम्बंध मज़बूत हुए।
हाल के वर्षों में, दोनों देशों के सम्बंधों में और व्यापकता आई है तथा नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष और सुरक्षा सहयोग सहित अनेक क्षेत्रों में व्यापार एवं निवेश में वृद्धि हुई है।
संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है तथा भारत के लिये कच्चे तेल का 6वाँ बड़ा स्रोत भी है। जबकि भारत, यू.ए.ई. का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत के बाद चीन यू.ए.ई. का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।