राजस्थान के देशज आदिवासी समुदायों द्वारा वैश्विक चुनौतियों के लिए प्रस्तुत किए गए समाधान एवं नीतियों में उनकी भूमिका पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सतत विकास पर ‘उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच’ (HLPF) में प्रकाश डाला गया।
आदिवासी समुदायों की भूमिका
- आदिवासियों की जीवनशैली एवं सांस्कृतिक मूल्यों ने आत्मनिर्भरता, बाह्य स्रोतों पर अल्प निर्भरता एवं उन्नत कृषि पद्धतियों को जन्म दिया है।
- इससे वैश्विक चुनौतियों से निपटने एवं उनके परिवारों के लिए भोजन, पोषण व आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
आदिवासियों की सर्वोत्तम प्रथाएं
- स्थानीय बीजों का उत्पादन
- स्रोत पर जल संरक्षण
- कृषि क्षेत्र में पशुओं का उपयोग
- मिश्रित फसल के माध्यम से मृदा अपरदन एवं कटाव को रोकना
- पोषण सुरक्षा के लिए बिना खेती वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग
इन प्रथाओं का परिणाम
- इससे आदिवासी समुदायों की बाजार पर निर्भरता में कमी आती है जो वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी सहित कठिन दौर में जीवित रहने में सहायक होती है।
- बीज संप्रभुता, मृदा संप्रभुता, खाद्य एवं पोषण संप्रभुता, जल संप्रभुता व सांस्कृतिक संप्रभुता पर आधारित पहलों ने राज्य में जनजातीय समुदायों को सामूहिक रूप से महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने के लिए सशक्त बनाया है।
- आदिवासियों ने जल, जंगल, जमीन एवं बीज जैसे महत्वपूर्ण तत्वों को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास किए हैं, जो उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं।