(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
चर्चा में क्यों
हालिया शोध के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में अलग-अलग ऊँचाई पर हिमालयन ग्रे लंगूर के भोजन में भिन्नता का पता चला है। लंगूरों के दो समूहों पर किये गये अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि 2,396 मीटर की औसत ऊँचाई पर कालातोप वनों में रहने वाले लंगूरों ने फूलों को आहार के रूप में लिया, जबकि 2,188 मीटर की औसत ऊँचाई पर खज्जियार वनों में लंगूरों ने फल का सेवन किया।
प्रमुख बिंदु
- हिमालयन ग्रे लंगूर को चंबा सेक्रेड लंगूर एवं कश्मीर ग्रे लंगूर के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सेमनोपिथेकस अजाक्स (Semnopithecus ajax) है।
- यह एक कोलोबाइन (colobine) यानी पत्ती खाने वाला बंदर है। इसे वर्ष 2005 में एक अलग एक प्रजाति के रूप में मान्यता देने से पूर्व उत्तरी मैदान ग्रे लंगूर की एक उप-प्रजाति माना जाता था।
- इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की लाल सूची में ‘संकटग्रस्त’(Endagered) प्रजाति के रूप में शामिल किया गया है।
आवास स्थल
- ये उपोष्णकटिबंधीय वर्षा वनों, उष्णकटिबंधीय नम शीतोष्ण, अल्पाइन, शंकुधारी और चौड़ी पत्ती वाले वनों एवं झाड़ियों में औसत समुद्र तल से 2,200-4,000 मीटर के मध्य के क्षेत्रों में निवास करते हैं।
- ये उत्तर-पश्चिमी भारत में हिमाचल-प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में पाए जाते हैं। ये हिमाचल प्रदेश में चंबा घाटी के कालातोप-खज्जियार वन्यजीव अभयारण्य में और जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ घाटी में मुख्य रूप से पाए जाते हैं।
- ये भोजन की उपलब्धता और पर्यावरण की स्थिति के आधार पर विभिन्न मौसमों के दौरान अपना आवास बदलते हैं।
- ये फसलों की कटाई के दौरान कृषि क्षेत्रों में आते हैं और वर्ष के अन्य समय घने वनों में चले जाते हैं। यह प्रवृत्ति कालातोप और खज्जियार के क्षेत्रों में अधिक दिखाई देती है।
उत्तरी मैदान ग्रे लंगूर
|
प्रारंभ में हिमालयन ग्रे लंगूर को उत्तरी मैदान ग्रे लंगूर की एक उप-प्रजाति माना जाता था। उत्तरी मैदान ग्रे लंगूर को बंगाल सेक्रेड लंगूर या हनुमान लंगूर भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सेमनोपिथेकस एंटेलस (Semnopithecus entellus) है। यह अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की लाल सूची में कम चिंताजनक (Least Concern) श्रेणी में सूचीबद्ध है।
|